मातृ दिवस विशेष, कविता: मुझे तुम्हारी याद आती है!

कस्तूरी की गंध सी मां

माटी की सुगंध सी मां

सब देवों की पसंद सी मां

मुझे तुम्हारी याद आती है!

अंधियारे में दीप सी मां

भरे मोतियों सीप सी मां

हर पल मेरे समीप सी मां

मुझे तुम्हारी याद आती है!

मन में आशा बोती सी मां

खुशियां रोज पिरोती सी मां

कभी नाओझल होती सी मां

मुझे तुम्हारी याद आती है!

कोयल की पहली कूक सी मां

दिल में उठती हूक सी मां

कभी न करती चूक सी मां

मुझे तुम्हारी याद आती है!

भरे पोष में धूप सी मां

सदैव लगती रूपसी मां

तपते मरू में कूप सी मां

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मुझे तुम्हारी याद आती है!

सब ग्रंथों में वेद सी मां

कड़े परिश्रम स्वेद सी मां

सब रंग समेटे श्वेत सी मां

मुझे तुम्हारी याद आती है!

अंतराष्ट्रीय मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

: डा. सुलोचना शर्मा, बूंदी

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