एप्पल का भारत की ओर झुकना अब सिर्फ रणनीति नहीं, बल्कि एक नया औद्योगिक युग है। ताजा खबर यह है कि एप्पल 2026 के अंत तक अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhone भारत में ही बनाएगा। यह फैसला सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति और सप्लाई चेन डाइवर्सिफिकेशन की दिशा में एप्पल का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
चीन, जहां अभी भी 80% iPhone बनते हैं, अब धीरे-धीरे एप्पल की निर्माण प्राथमिकता से बाहर होता दिख रहा है। इसकी मुख्य वजह अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध और अमेरिकी टैरिफ नीति है। चीन में बने स्मार्टफोनों पर अमेरिका ने 20% शुल्क लगाया है, जबकि भारत पर यह शुल्क रुका हुआ है, जिससे भारत अब अधिक आकर्षक विकल्प बन गया है—even if उत्पादन लागत चीन से 5-8% अधिक हो।
भारत में एप्पल की गतिविधियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। मार्च 2025 में Foxconn और Tata ने मिलकर करीब $2 अरब मूल्य के iPhone अमेरिका भेजे—यह पिछले महीने की तुलना में 63% अधिक है। 2025 की वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बने $22 अरब के iPhone में से $17.4 अरब के iPhone एक्सपोर्ट किए गए, जिनमें अधिकतर अमेरिका गए।
भारत में iPhone उत्पादन की गति को और तेज़ करने के लिए एप्पल ने चेन्नई एयरपोर्ट पर “ग्रीन कॉरिडोर” बनाया है, जिससे कस्टम्स प्रक्रिया 30 घंटे से घटकर मात्र 6 घंटे हो गई है। इसके साथ ही रविवार को भी फैक्ट्रियां चालू रखी जा रही हैं ताकि उत्पादन लक्ष्य पूरे हो सकें।
हालाँकि कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं—जैसे मोबाइल पार्ट्स पर ऊँचे इंपोर्ट ड्यूटी और प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी। इसके अलावा, चीन सरकार ने भारत को भेजे जाने वाले मैन्युफैक्चरिंग इक्विपमेंट के एक्सपोर्ट अप्रूवल को धीमा कर दिया है, जिससे एप्पल की गति थोड़ी बाधित हो सकती है।
फिर भी, “मेक इन इंडिया” के तहत सरकार द्वारा दिए जा रहे $2.7 अरब के सब्सिडी और तेजी से बनती फैक्ट्रियों की मदद से भारत अब वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दौड़ में सबसे आगे निकलता दिख रहा है।
Leave a Reply