पाकिस्तान खुद बर्बाद हो रहा है, बलूचिस्तान और सिंध अलग होना चाहते हैं, उसकी पूरी अर्थव्यवस्था सेना और ब्याज चुकाने में खत्म हो रही है। ऐसे में जनता को एकजुट रखने के लिए उसे एक दुश्मन चाहिए, और वह दुश्मन है भारत।
चीन ने भी अपने किसी पड़ोसी को नहीं छोड़ा। ताइवान को वो हथियाना चाहता है, रूस से भी।सीमा विवाद है, समुद्री विवाद कई देशों से है, और भूटान की कुछ ज़मीन तक वह हड़प चुका है।
पाकिस्तान और चीन का साझा दुश्मन भारत है, इसलिए वे एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। अगर हम पाकिस्तान से युद्ध कर भी लें, तो चीन की ओर से मोर्चा खुलने का डर हमेशा बना रहेगा।
इसलिए हमें अपने अन्य पड़ोसियों, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव और भूटान, से संबंध सुधारने और उन्हें बेहद मजबूत करने की ज़रूरत है।
बांग्लादेश के साथ सीमा को मज़बूत कर घुसपैठ रोकनी चाहिए। लेकिन जब हम उन्हें नीचा दिखाते हैं या शेख हसीना जैसी नेता का समर्थन करते हैं, जिनके राज में विपक्षियों को जेल में डाला या मार दिया गया, तो वहां भारत को समर्थन कैसे मिलेगा? हमें बांग्लादेश का व्यापारिक साझेदार बनना चाहिए, उसे ऋण देना चाहिए और निवेश बढ़ाना चाहिए ताकि वह भारत पर निर्भर हो सके। वहां से आने वाले गैर कानूनी प्रवासियों को एक द्विपक्षीय सरकारी नीति के तहत शांति और सम्मान से नियमित रुप से वापस भेजना चाहिए।।
नेपाल में एक बार फिर राजशाही की मांग उठ रही है। हमें वहां की जनता की भावनाओं के अनुसार पक्ष लेना चाहिए। नेपाली युवाओं की सेना में भर्ती और व्यापार को दोगुना करना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को नज़रअंदाज़ कर उन्हें अपना बनाना चाहिए। नेपाल आधिकारिक रूप से एकमात्र हिन्दू और हिंदी राष्ट्र हैं। हमें इसके लिए उनका कंधा थपथपाते रहना चाहिए।
श्रीलंका में राजीव गांधी ने तमिलों की परवाह न करते हुए वहां की सरकार का समर्थन किया, जिससे एलटीटीई ने उनकी हत्या कर दी। आज तक श्रीलंका में दोनों तरफ से कुछ हद तक ये बात ज़िंदा है। हमें वहां की जनता का दिल जीतना होगा और तमिलों के अधिकारों की रक्षा भी करनी होगी। व्यापार और निवेश यहां भी हमारे हित में रहेगा।
अफगानिस्तान के नागरिक भारत से प्रेम करते हैं। हमें किसी भी हाल में समुद्र के रास्ते वहां व्यापार बनाए रखना चाहिए। वहां सड़क, बांध, अस्पताल और सहायता जारी रखनी चाहिए और वहां के नागरिकों को भारत में शिक्षित करना चाहिए।
भूटान से हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। हमें इन्हें संजो कर रखना होगा।
म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ माहौल है। वहां के बौद्ध हमारा समर्थन चाहते हैं। हमें उनके साथ सीमा सुरक्षा, हथियारों और ड्रग्स को रोकने की साझेदारी करनी चाहिए, सरकार को पूर्ण समर्थन देना चाहिए और रोहिंग्या को शरण न देकर उन्हें चिन्हित कर वापस भेजना चाहिए।
मालदीव में भारत विरोधी सुर उठ रहे हैं। ऐसे नेता और पार्टियों को हमें ‘साम, दाम, दंड, भेद’ से साधना होगा। मालदीव अभी भी भारत पर निर्भर है, और हमें इस निर्भरता को और मज़बूत करना चाहिए। फिर जनता के समर्थन से एक बेहतर सरकार को बढ़ावा देना होगा।
हर जगह व्यापार, सहायता, सेना और शिक्षा का आदान-प्रदान बेहद महत्वपूर्ण है। साफ शब्दों में कहें तो, किसी को आप पर इतना निर्भर बना दीजिए कि वह आपके बिना न रह सके। तभी हम अपनी चारों सीमाएं मज़बूत कर पाएंगे।
चीन का अमेरिका से व्यापार लगभग ठप हो गया है, पाकिस्तान में उसका बड़ा निवेश है, भारत में वह 150 अरब डॉलर से ज़्यादा का सामान बेचता है, वह कभी भारत-पाक का बड़ा युद्ध नहीं चाहेगा।
हमें ज़मीनी हकीकत को समझकर हर दिन, हर हफ्ते, हर साल हर दिशा में काम करना होगा और भारत विरोधी ताकतों को सिर उठाने से पहले ही कुचल देना होगा।


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