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  • कर्नाटक के यौन शोषण कांड में मौन क्यों हैं ज्यादातर महिला नेता और पत्रकार?

    कर्नाटक के यौन शोषण कांड में मौन क्यों हैं ज्यादातर महिला नेता और पत्रकार?

    कर्नाटक में एक बड़ा यौन शोषण कांड सामने आया है, जिसमें एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ द्वारा कई महिलाओं का शोषण किए जाने के आरोप हैं। यह मामला तब गरमाया जब 400 से भी अधिक कथित वीडियो और तस्वीरें सार्वजनिक हुईं, जिसमें नेता को महिलाओं के साथ अंतरंग स्थितियों में दिखाया गया था। इस घटना के बाद, कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है और मुख्यमंत्री से विशेष जांच दल की स्थापना का अनुरोध किया है।

    कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने भी विधानसभा और बाहर इस मामले को उठाया है, जिससे सत्र का कामकाज भी काफी प्रभावित हुआ है। कांग्रेस ने इस मामले की उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा निगरानी में जांच की मांग की है, जबकि सरकार ने कहा है कि जांच पहले से ही चल रही है और उसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के बेटे विधायक एचडी रेवन्ना और उनके सांसद पुत्र प्रज्वल रेवन्ना को कर्नाटक के चर्चित सेक्स स्कैंडल मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने नोटिस भी जारी किया है। दोनों को जांच के लिए पेश होने का आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई रेवत्रा के घर काम करने वाली एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के बाद की गई है, जिसमें उन्होंने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

    वही हासन जिले में सैकड़ों वीडियो वायरल होने का दावा भी किया गया है, सैकड़ों पेन ड्राइव लोगो को बसों, पार्क और सार्वजनिक स्थलों पे पड़ी मिली जिसमे प्रज्वल को यौन शोषण करते हुए बताया गया है। प्रज्वल फिलहाल कर्नाटक में नहीं है और शायद जर्मनी चले गए है। उन्होंने ट्विटर पे कहा है की वो जल्द ही एसआईटी के सामने पेश होंगे। उन्होंने इसमें अपने ड्राइवर के लिप्त होने और ब्लैकमेल की बात की है। कहा है सच जरूर सामने आएगा। हालाकि जेडीयू एस ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

    फिलहाल राज्य महिला आयोग की सिफारिश पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस मामले की गहन जांच के लिए राज्य के एडीजी बी. के. सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन किया है। मुख्यमंत्री ने प्रज्वल के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है ताकि फरार हुए को जांच के लिए लाया जा सके। उन्होंने इसके लिए राजनयिक और पुलिस चैनलों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का उपयोग करने का आग्रह भी किया गया है।

    इन घटनाओं ने कर्नाटक की राजनीति में व्यापक उथल-पुथल मचाई है, और यह भी उजागर किया है कि प्रमुख और प्रसिद्ध महिला नेताओं और पत्रकारों की ओर से इस तरह के मामलों में अधिक मुखरता की आवश्यकता है। इस मामले में ज्यादातर महिला नेताओं और पत्रकारों का मौन नैतिक और सामाजिक रूप से गलत है, क्योंकि यह समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और समर्थन की कमी को दर्शाता है। यह अपेक्षित है कि वे इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुखर हों और समाज में जागरूकता फैलाने में अपनी भूमिका निभाएं, खासकर जब यह महिलाओं के ही अधिकारों और सम्मान से जुड़ा हुआ हो।

    कुछ महिला नेताओ ने इसे घटना पे अपनी प्रतिक्रिया और रोष व्यक्त भी किया है। जैसे की महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्का लांबा ने कहा की इस कांड ने महिलाओं के साथ हुए सभी अपराधो की सीमा पार कर दी है। भाजपा इसपे चुप क्यों है?

    वही राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा की आयोग इस मुद्दे पे निगाह रखे हुए है, आखिर राज्य सरकार ने उन्हें वहा से जाने ही कैसे दिया, उनकी गिरफ्तारी क्यों नही हुई?