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  • राजस्थान में अभी नहीं मिलेगी बारिश से राहत। कई जिलों में भारी वर्षा।

    राजस्थान में अभी नहीं मिलेगी बारिश से राहत। कई जिलों में भारी वर्षा।

    राजस्थान में एक बार फिर मानसून ने अपना कहर बरपाया है, जिससे कई जिलों में भारी बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति आ गई है। पिछले 24 घंटों में राज्य में अतिवर्षा हुई है, जिसमें अजमेर, दौसा, बांसवाड़ा और राजसमंद जिलों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।

    बारिश का केंद्र बांसवाड़ा जिले के लोहारिया क्षेत्र में दिखा, जहां 169 मिलीमीटर (लगभग 7 इंच) बारिश दर्ज की गई। अन्य प्रभावित क्षेत्रों में दौसा जिले के बैजूपाड़ा में 145 मिमी, रामगढ़ पचवारा में 142 मिमी और बसवा तथा बांदीकुई में 131 मिमी बारिश दर्ज की गई।

    राज्य की राजधानी जयपुर भी भारी बारिश से प्रभावित हुई, जहां सुबह 6:30 बजे से 9:30 बजे के बीच सबसे तेज बौछार देखने को मिला। शाम 5 बजे तक जिला कलेक्ट्रेट में 2 इंच बारिश दर्ज की गई।

    इस भारी बारिश के दौर ने कई नदियों को उफान पर लाकर खड़ा कर दिया है और बांधों को खोलना पड़ रहा है। अजमेर के फॉयसागर झील में बढ़ते जल स्तर ने रिटेनिंग वॉल में तीन जगह रिसाव पैदा कर दिया, जिसके बाद एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीम को देर रात मोर्चा संभालना पड़ा।

    मानसून के इस उद्वेग के बाद, अधिकारी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और प्रभावित लोगों की सुरक्षा और कल्याण के लिए आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं।

  • नौ तपा: क्या है और क्यों होता है? भीषण गर्मी से अपने को कैसे बचाए?

    नौ तपा: क्या है और क्यों होता है? भीषण गर्मी से अपने को कैसे बचाए?

    नौ तपा भारतीय उपमहाद्वीप में एक प्रसिद्ध मौसमीय घटना है, जो हर साल मई के आखिरी सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक होती है। इसका नाम संस्कृत शब्दों से लिया गया है, जिसमें ‘नौ’ का मतलब ‘नौ दिन’ और ‘तपा’ का मतलब ‘गर्मी’ या ‘तपिश’ है। यह वह समय होता है जब गर्मी अपने चरम पर होती है, और सूरज की किरणें सीधी जमीन पर पड़ती हैं।

    नौ तपा क्या है?

    नौ तपा के दौरान, तापमान में अचानक वृद्धि होती है, और इस अवधि में सबसे ज्यादा गर्मी महसूस की जाती है। ये नौ दिन अत्यधिक गर्म और सूखे होते हैं, जिससे लोगों को बेहद असुविधा होती है। यह समय आमतौर पर 25 मई से 2 जून के बीच होता है।

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    नौ तपा क्यों होता है?

    नौ तपा का मुख्य कारण पृथ्वी का झुकाव और सूर्य की स्थिति है। मई के अंत और जून की शुरुआत में, सूरज कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में सीधी धूप पड़ती है। इस समय, सूरज की किरणें लगभग सीधी होती हैं, जिससे दिन का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है।

    नौ तपा का प्रभाव

    नौ तपा का मुख्य प्रभाव अत्यधिक गर्मी और सूखे का होता है। इस दौरान, लोग धूप से बचने के लिए घरों में रहना पसंद करते हैं, और बाहर काम करने से बचते हैं। गर्मी के कारण लू लगने का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए इस समय में हाइड्रेटेड रहना और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना महत्वपूर्ण होता है।

    कृषि पर भी नौ तपा का प्रभाव पड़ता है। खेतों में नमी की कमी हो जाती है, जिससे फसलें प्रभावित होती हैं। हालांकि, यह समय फसलों के पकने और उनकी कटाई के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस अवधि के बाद, मानसून के आगमन की संभावना बढ़ जाती है, जो खेती के लिए आवश्यक नमी और पानी की पूर्ति करता है।

    नौ तपा के दौरान सावधानियां

    नौ तपा के दौरान अत्यधिक गर्मी से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:

    • दिन के सबसे गर्म समय में बाहर निकलने से बचें।
    • हल्के और सूती कपड़े पहनें।
    • पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थों का सेवन करें।
    • धूप में निकलते समय सिर को ढक कर रखें।
    • अधिक शारीरिक श्रम से बचें।

    नौ तपा भारतीय मौसम चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो गर्मियों की तीव्रता और मानसून की भविष्यवाणी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अवधि के बाद आने वाली मानसूनी बारिश गर्मी से राहत दिलाती है और कृषि के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करती है।