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  • सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को वीर सावरकर पर अपमानजनक टिप्पणी से रोका, भविष्य में स्वतः संज्ञान की चेतावनी

    सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को वीर सावरकर पर अपमानजनक टिप्पणी से रोका, भविष्य में स्वतः संज्ञान की चेतावनी

    सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को वीर सावरकर के खिलाफ अपमानजनक बयानबाजी से परहेज करने की सख्त चेतावनी दी है। अदालत ने कहा कि यदि भविष्य में इस प्रकार की टिप्पणियाँ की जाती हैं, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकती है।

    सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या राहुल गांधी को यह ज्ञात है कि महात्मा गांधी ने भी ब्रिटिश सरकार को पत्रों में ‘आपका आज्ञाकारी सेवक’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया था। इस संदर्भ में, अदालत ने टिप्पणी की, “जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई, उनके साथ आप ऐसा व्यवहार करते हैं?”

    यह मामला राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर को ‘ब्रिटिश का सेवक’ कहने से जुड़ा है, जिसके कारण लखनऊ और पुणे की अदालतों में उनके खिलाफ मानहानि के मामले दर्ज किए गए हैं। पुणे की अदालत ने उन्हें व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट दी है, जबकि लखनऊ की अदालत ने उन्हें 10 जनवरी, 2025 को पेश होने का आदेश दिया है।

    सुप्रीम कोर्ट की यह चेतावनी राहुल गांधी के लिए एक गंभीर संकेत है कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति अनादरपूर्ण टिप्पणियाँ सहन नहीं की जाएंगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में ऐसी बयानबाजी दोहराई गई, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई कर सकती है।

  • खनन कारोबारियों को राहत: सुप्रीम कोर्ट ने ईसी की समयसीमा 31 मई तक बढ़ाई

    खनन कारोबारियों को राहत: सुप्रीम कोर्ट ने ईसी की समयसीमा 31 मई तक बढ़ाई

    राजस्थान के खनन कारोबारियों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 हेक्टेयर तक की माइनर मिनरल लीज और क्वारी लाइसेंसधारकों को राज्य स्तरीय समिति से पर्यावरण स्वीकृति (EC) प्राप्त करने की समयसीमा दो माह बढ़ाकर 31 मई 2025 कर दी है।

    “राज्य सरकार की प्रभावी पैरवी से मिली दो माह की मोहलत, अब तक 6814 खानों को ईसी जारी”

    प्रमुख सचिव माइंस श्री टी. रविकान्त ने बताया कि राज्य सरकार की प्रभावी पैरवी और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की सक्रियता के चलते यह राहत संभव हो पाई। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार खनन कारोबारियों के हित में काम कर रही है और पर्यावरण स्वीकृति प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।

    ईसी प्रक्रिया में तेजी, अब तक 6814 खानों को स्वीकृति

    माइंस निदेशक श्री दीपक तंवर ने बताया कि सीया (राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण) द्वारा अब तक 6814 खान लीज और क्वारी लाइसेंसधारकों को पर्यावरण स्वीकृति जारी की जा चुकी है।

    इसके अलावा, 22700 खानधारकों को परिवेश पोर्टल पर फार्म-2 अपलोड करने के निर्देश दिए गए थे, जिनमें से 19038 आवेदन पहले ही जमा किए जा चुके हैं।

    सरकार का समन्वय और मॉनिटरिंग जारी

    खनन कारोबारियों को ईसी दिलाने में तेजी लाने के लिए एसएमई अधिकारी श्री प्रताप मीणा को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो सरकार, खान विभाग और सीया के बीच समन्वय का कार्य संभाल रहे हैं।

    राज्य सरकार का दावा है कि बचे हुए खानधारकों से जल्द से जल्द आवेदन करवाने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।


    ➡ खनन कारोबारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कितना फायदेमंद होगा? अपनी राय कमेंट में दें!

  • वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल SCBA के अध्यक्ष चुने गए

    वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल SCBA के अध्यक्ष चुने गए

    वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद भी हैं, को सर्वोच्च न्यायालय अधिवक्ता एसोसिएशन (SCBA) का अध्यक्ष चुना गया है। यह चुनाव 16 मई, 2024 को संपन्न हुआ, जिसमें सिब्बल ने 1066 मत हासिल किए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप राय, को 689 मतों से हराया। यह सिब्बल का चौथा कार्यकाल होगा जब वह SCBA के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालेंगे।

    सिब्बल ने इससे पहले 1995-96, 1997-98 और 2001-02 में SCBA के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उनकी जीत के बाद, उन्होंने अपने भाषण में कहा कि वकीलों का मुख्य कर्तव्य संविधान की रक्षा करना है और यह कि बार को राजनीतिक झुकाव के आधार पर विभाजित नहीं होना चाहिए। यह सिब्बल की अद्वितीय प्रतिबद्धता और कानूनी पेशे के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

    सिब्बल की इस जीत को कानूनी समुदाय ने महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा है, विशेष रूप से न्यायिक स्वतंत्रता, न्याय तक पहुँच और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के मुद्दों पर उनके अनुभव और निष्ठा के कारण।

  • एएसआई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर साबित

    एएसआई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर साबित

    500 साल के इंतजार के बाद राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद के स्थान पर श्री राम लला का भव्य मंदिर श्री राम मंदिर, श्री अयोध्या में बनकर तैयार हुआ है। जिसमें राम जी के 5 साल की उम्र की भव्य मूर्ति आखिरकार प्राण प्रतिष्ठा के साथ 22 जनवरी को स्थापित हो गई। नई मूर्ति का नाम बालक राम रखा गया है व साथ ही रामलला विराजमान जो इतने सालों से राम जी की मूरत में टेंट में रहे और केस लड़ने के भी एक पात्र रहे, उन्हें भी नए राम मंदिर में नई राममूर्ति के पास ही पूर्ण परिवार के साथ स्थापित किया गया है।

    प्राण प्रतिष्ठा के कुछ दिन बाद ही खबर आई है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ASI, जो की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कर रही थी उसने यह सूचना अब वहां के हाई कोर्ट को दी है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे आखिरकार एक हिंदू मंदिर ही था जिसको तोड़कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद की स्थापना की गई। यह तर्क भी दिया जा रहा है की मस्जिद के नाम में ही हिंदू नाम छुपा हुआ है, ज्ञान वापी। आज दैनिक भास्कर में कई फोटो भी छपी हैं जो की आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया एएसआई ने वहां के हाई कोर्ट में सोपी है। इन फोटों में हिंदू स्तंभ, मूर्ति, घंटी, कमल आदि दिखाई दे रहे हैं जो की मस्जिद के नीचे और अंदर प्लास्टर करके दबे हुए हैं। इसे हिंदू पक्ष का यह दवा बेहद मजबूत हो गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद एक शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी वह अब वापस से यहां पर एक शिव मंदिर की स्थापना होनी चाहिए।

    पर इस मामले में और कृष्ण जन्म स्थान पर भी वापस से हिंदू मंदिर बनाने में एक बड़ा अड़चन है प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट 1991, जो कि अयोध्या में कार सेवा की वजह से उसे समय के तत्कालीन सरकार ने बनाया था। इस कानून में कहा गया है कि राम मंदिर को छोड़कर देश के किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति बिल्कुल वैसे ही रखी जाएगी जो की आजादी के समय 1947 में थी। यानी कि जहां मंदिर है वहां मंदिर ही रहेगा, जहां मस्जिद है वहा मस्जिद रहेगी। वहा किसी प्रकार के भी दावे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। पर यह प्लेस आफ वरशिप एक्ट कानून भी इस समय सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष के द्वारा चैलेंज किया हुआ है और इस पर फैसला आना बाकी है।

    अगर सुप्रीम कोर्ट ने प्लेस आफ वरशिप एक्ट को गैरकानूनी या असंवैधानिक घोषित कर दिया तो फिर राम जन्मभूमि के जैसे ही ज्ञानवापी “मस्जिद” और श्री कृष्ण जन्म भूमि के पावन स्थलों पर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट होते हुए अगर हिंदू पक्ष जाता और जीतता है तो वहां पर भी भव्य शिव मंदिर और श्री कृष्ण मंदिर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। जो की कानूनी भी है, संवैधानिक भी, धार्मिक भी और एक हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र के आत्मसमान के लिए जरूरी भी।