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  • केरल में मंच पर मोदी-थरूर की नज़दीकी: विपक्ष में नई हलचल का संकेत?

    केरल में मंच पर मोदी-थरूर की नज़दीकी: विपक्ष में नई हलचल का संकेत?

    मोदी और थरूर की गर्मजोशी ने बयाँ किया कुछ और: विजिंजम पोर्ट उद्घाटन में राजनीति की नई लहर? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब केरल के तटवर्ती शहर तिरुवनंतपुरम में विजिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन करने पहुँचे, तो मंच पर जो दृश्य सामने आया, वह केवल विकास की कहानी नहीं कह रहा था, वह राजनीति के एक नए अध्याय की ओर भी इशारा कर रहा था।

    कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो इस क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं, खुद प्रधानमंत्री का स्वागत करने एयरपोर्ट पहुँचे। दिल्ली एयरपोर्ट की अव्यवस्था के कारण मोदी की उड़ान में देरी हुई, जिसे थरूर ने सोशल मीडिया पर “डिसफंक्शनल” बताया, लेकिन उनके स्वागत में कोई कटुता नहीं थी। इसके उलट, थरूर ने गर्व से कहा कि वे इस परियोजना का समर्थन “शुरुआत से ही करते आए हैं।”

    समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गठबंधन INDI पर व्यंग्य किया, खासकर मंच पर मौजूद थरूर और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की उपस्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा, “कुछ लोगों की नींद उड़ने वाली है।” ये शब्द केवल विपक्ष पर वार नहीं थे; ये एक संकेत भी थे, और शायद एक संदेश भी।

    लेकिन जो सबसे अधिक चर्चा में रहा, वह था मोदी और थरूर के बीच का संवाद। बाकी नेताओं से संक्षिप्त अभिवादन के विपरीत, प्रधानमंत्री ने थरूर से गर्मजोशी से हाथ मिलाया। सोशल मीडिया पर इस क्षण ने हलचल मचा दी, क्या यह सिर्फ औपचारिकता थी या मोदी की रणनीतिक सियासत का हिस्सा?

    थरूर अक्सर कांग्रेस की मुख्यधारा से अलग राय रखते रहे हैं, चाहे वह मोदी की वैक्सीन डिप्लोमेसी की तारीफ़ हो या रूस-यूक्रेन मुद्दे पर सरकार के रुख को सराहना। ऐसे में, मोदी का थरूर की ओर विशेष ध्यान देना सिर्फ शिष्टाचार नहीं लगता।

    राजनीतिक विश्लेषक इसे मोदी की विपक्ष को भीतर से तोड़ने की शैली का हिस्सा मानते हैं, उन चेहरों को मंच पर स्थान देना जो अपने दलों में अलग थिंकिंग के लिए जाने जाते हैं।

    जहाँ मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अपने भाषण में बंदरगाह के आर्थिक महत्व पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं असली सुर्खियाँ मोदी और थरूर के बीच के क्षणों ने बटोरीं।

    विजिंजम बंदरगाह आने वाले समय में भारत के समुद्री व्यापार को नई दिशा देगा, लेकिन 2 मई की शाम, यह बंदरगाह एक और संदेश लेकर आया, राजनीति में दरारें जहाँ हों, वहाँ संवाद की संभावनाएँ भी होती हैं।