प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वायु सेना स्टेशन आदमपुर जाकर हमारे बहादुर वायु योद्धाओं और सैनिकों से मुलाकात की। इस अवसर पर श्री मोदी ने कहा, “साहस, दृढ़ संकल्प और निडरता के प्रतीक वीर जवानों से मिलना विशिष्ट अनुभव रहा।”
Earlier this morning, I went to AFS Adampur and met our brave air warriors and soldiers. It was a very special experience to be with those who epitomise courage, determination and fearlessness. India is eternally grateful to our armed forces for everything they do for our nation. pic.twitter.com/RYwfBfTrV2
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;”आज सुबह, मैं एएफएस आदमपुर गया और हमारे बहादुर वायु योद्धाओं और सैनिकों से मिला। साहस, दृढ़ संकल्प और निडरता के प्रतीक उन लोगों के साथ समय बिताना बहुत ही विशेष अनुभव था। भारत हमारे सशस्त्र बलों के प्रति हमेशा आभारी रहेगा, जो हमारे देश के लिए सब कुछ करते हैं।”
नई दिल्ली, 12 मई 2025 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश को संबोधित किया और ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की सफलता तथा आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई नीति की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आज हर आतंकी यह जान चुका है कि भारत की बेटियों और बहनों के सिन्दूर से खेलने का अंजाम कितना भयानक हो सकता है। प्रधानमंत्री ने इस ऑपरेशन को न्याय की दिशा में देश का अडिग संकल्प बताया।
प्रधानमंत्री ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह हमला सिर्फ निर्दोषों पर नहीं, बल्कि भारत की अखंडता और सामाजिक एकता पर भी हमला था। उन्होंने बताया कि कैसे छुट्टियां मना रहे नागरिकों को उनके धर्म पूछकर उनके परिवार के सामने मौत के घाट उतारा गया। इस अमानवीय कृत्य ने देश को झकझोर कर रख दिया और सभी वर्गों ने एकजुट होकर निर्णायक कार्रवाई की मांग की।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 6 और 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिसमें बहावलपुर और मुरिदके जैसे वैश्विक आतंक के अड्डों को नष्ट किया गया। इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकियों को ढेर किया गया, जिनमें कई दशकों से भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले शामिल थे।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने जवाबी हमले में भारत के स्कूलों, मंदिरों, गुरुद्वारों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन भारत की अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली ने अधिकतर मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया। इसके बाद पाकिस्तान ने वैश्विक समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की और भारत से डी-एस्केलेशन की मांग की।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 10 मई को पाकिस्तान की सेना ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क कर सैन्य कार्रवाई रोकने की गुहार लगाई और आतंकवाद तथा सैन्य हमलों को बंद करने का वादा किया। भारत ने फिलहाल अपनी जवाबी कार्रवाई को स्थगित करने का निर्णय लिया है, लेकिन यह अंतिम नहीं है। भारत पाकिस्तान की हर गतिविधि पर नजर रखेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ अब आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थायी नीति का प्रतीक है। उन्होंने भारत की सुरक्षा नीति के तीन स्तंभों की घोषणा की:
निर्णायक प्रतिकार – भारत पर किसी भी आतंकी हमले का जवाब भारत अपनी शर्तों पर देगा, आतंक के मूल स्रोतों पर हमला करेगा।
परमाणु धमकियों की कोई मान्यता नहीं – परमाणु हमले की आड़ में छिपे आतंकी ठिकानों पर भी सटीक जवाब दिया जाएगा।
आतंकी और उनके संरक्षकों में कोई भेद नहीं – अब भारत आतंकी संगठनों और उन्हें संरक्षण देने वाली सरकारों को एक ही नजर से देखेगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की सेना के अधिकारी खुलेआम मारे गए आतंकियों के जनाज़ों में शरीक होते हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान राज्य प्रायोजित आतंकवाद में लिप्त है। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान को बचना है तो उसे अपने आतंकवादी ढांचे को पूरी तरह से खत्म करना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना, बीएसएफ और अर्धसैनिक बलों की सजगता और वीरता की सराहना की। उन्होंने बताया कि भारत अब रेगिस्तानी, पहाड़ी और आधुनिक डिजिटल युद्ध क्षमताओं में अग्रणी बन चुका है और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा उपकरणों ने हाल की कार्रवाई में अपनी प्रभावशीलता साबित की है।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध के उपदेशों का स्मरण करते हुए कहा कि शांति की राह शक्ति से होकर जाती है। उन्होंने कहा कि भारत की एकता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है और आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई भी इसी भावना से लड़ी जाएगी।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने फिर से भारतीय सैनिकों की बहादुरी को नमन किया और देशवासियों की एकता को सलाम करते हुए कहा कि यह भारत की नई रणनीतिक दिशा है – न आतंक बर्दाश्त होगा, न आतंकवादियों को बख्शा जाएगा।
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संघर्ष विराम: बाज नहीं आ रहा पाक, जम्मू के सांबा में ड्रोन दिखे, जिन्हें भारत ने मार गिराया है। वहीं होशियारपुर में 5-7 धमाके सुनाई दिए है व ब्लैकआउट किया गया है। जालंधर में भी ड्रोन दिखे है। pic.twitter.com/kVpUFHosnv
अगर पाकिस्तान न्यूक्लियर हमला करता है, तो भारत क्या करेगा, इस वीडियो को देखिए और समझिए। किस प्रकार हमारी वायु रक्षा प्रणाली हर खतरे से लड़ने में सक्षम है।
और क्या आप जानते है इसके बावजूद अगर पाक की मिसाइल आ भी गई तो फिर क्या होगा…
प्रधानमंत्री मोदी आज रात 8 बजे देश को संबोधित करेंगे। स्वाभाविक है कि वो ऑपरेशन सिंदूर की बात करेंगे, और हां, इससे उनकी छवि को मजबूती भी मिलेगी। मिलनी भी चाहिए।
लेकिन कुछ लोग "राजनीतिकरण" का रोना रोने लगे, में कहना चाहता हु कि ज़रा रुकिए और सोचिए, क्या पहलगाम की त्रासदी के… pic.twitter.com/Bdwfa3UZkm
10 मई, ये एक युद्धविराम नहीं था, ये कूटनीति में छिपी एक चेतावनी थी।
9 मई, सूर्यास्त के बाद पाकिस्तान ने फिर हमला किया। भारत नहीं डगमगाया। PM ने संकेत दिया, NSA ने सिर हिलाया, सेनाध्यक्षों को सब समझ आ गया, अब बहुत हो गया।
बड़ी खबर: पाकिस्तान की हार के बाद अब खुद पाकिस्तानी पत्रकार कर रहे हैं बड़ा खुलासा।
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा: "पाकिस्तान के पास अपने दावों के समर्थन में जीरो सबूत हैं, जबकि भारत ने सब कुछ दुनिया के सामने रख दिया है! पाकिस्तान को भारी जनहानि और सैन्य नुकसान हुआ है… फिर भी इनकार… pic.twitter.com/EYrgRUtj1M
ये राजस्थान से कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल है। आप ने पहलगाम में धर्म पूछकर मारने के आरोपों पर सवाल उठाए है और बयान दिया है कि धर्म या जाति पूछकर गोली मारने का कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
वाह संसद जी। क्या बयान है आपके। और कितने सबूत चाहिए कांग्रेस और उसके नेताओं को?
शनिवार शाम एक बड़े घटनाक्रम में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम (सीजफायर) घोषित कर दिया गया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि सीजफायर शनिवार शाम 5 बजे से लागू हो गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब दोनों देश जमीन, आकाश और समुद्र; तीनों क्षेत्रों में एक-दूसरे पर कोई सैन्य हमला नहीं करेंगे।
12 मई को फिर होगी DGMO स्तर की बातचीत
भारतीय और पाकिस्तानी सेना के डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) के बीच अगली औपचारिक बातचीत 12 मई को दोपहर 12 बजे होगी। इस संवाद का उद्देश्य युद्धविराम को स्थायी शांति की दिशा में ले जाना है।
अमेरिका की मध्यस्थता, ट्रंप का ट्वीट
इस सीजफायर के पीछे अमेरिका की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। शनिवार शाम 5:30 बजे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके इस समझौते की जानकारी सार्वजनिक की। उन्होंने लिखा कि “दो परमाणु शक्तियों के बीच संघर्ष को रोकना विश्व शांति के लिए अनिवार्य है। अमेरिका इस दिशा में प्रयास करता रहेगा।”
इसमें कोई शक नहीं कि युद्धविराम करवाने पाकिस्तान भागा भागा अमेरिका के पास गया है।
परमाणु युद्ध की आशंका और वैश्विक चिंता
भारत और पाकिस्तान, दोनों ही परमाणु हथियार संपन्न देश हैं। बीते कुछ दिनों में स्थिति इतनी तेजी से बिगड़ी कि वैश्विक समुदाय को भय सताने लगा कि कहीं यह संघर्ष पूर्ण युद्ध में न बदल जाए। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ शक्तिशाली हथियारों और मिसाइल प्रणालियों का प्रदर्शन किया, जिससे तबाही के स्तर को लेकर आशंकाएं गहराने लगीं।
दुनिया किसी भी कीमत पर दो परमाणु संपन्न देशों के बीच सीधा युद्ध नहीं झेल सकती।
भारतीय रक्षा प्रणाली की सफलता, पाकिस्तानी प्रयास विफल
इस संघर्ष के दौरान भारतीय वायु रक्षा प्रणाली, विशेष रूप से रूस से आयातित S-400 प्रणाली, स्वदेशी ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम और ‘ध्रुव’ रडार नेटवर्क, ने अद्वितीय दक्षता से कार्य किया। पाकिस्तान की ओर से की गई मिसाइल और ड्रोन गतिविधियां भारतीय रक्षा तंत्र द्वारा कुशलतापूर्वक निष्क्रिय कर दी गईं। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, न तो भारत की सैन्य संरचना को और न ही नागरिक ढांचे को कोई खास क्षति पहुंची।
पाकिस्तान की घरेलू चुनौतियाँ और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की याचना
पाकिस्तान इस समय बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोहों से जूझ रहा है। घरेलू मोर्चे पर विफलता, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के बीच पाकिस्तानी सेना और राजनीतिक तंत्र को भारी जन आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। युद्ध के दौरान मिली नाकामी और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान ने अमेरिका की शरण ली ताकि खुद को, अपनी सरकार को और सैन्य प्रतिष्ठान की ‘साख’ को बचाया जा सके।
भारत की चेतावनी: आतंकी हमला मतलब युद्ध
हालांकि यह एक युद्धविराम है, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह शत्रुता का अंत नहीं है। शनिवार शाम को विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में कहा कि भविष्य में भारत पर होने वाला कोई भी आतंकी हमला सीधे युद्ध का कारण माना जाएगा। भारत सरकार और आम जनमानस अब ‘परोक्ष युद्ध’ (Proxy War) को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
क्या पाकिस्तान अब सुधरेगा?
सवाल अब यही है; क्या पाकिस्तान इस बार अपनी हरकतों से बाज आएगा? क्या यह युद्धविराम लंबे समय तक टिका रहेगा या यह सिर्फ एक अस्थायी ठहराव है? भारत की तरफ से रुख स्पष्ट है, अब कोई भी उकसावे की कार्रवाई सीधे जवाबी हमले में बदलेगी।
यह युद्धविराम निश्चित ही एक राहतभरी खबर है, लेकिन इसे स्थायी शांति का संकेत मान लेना जल्दबाज़ी होगी। भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, आत्मरक्षा और प्रतिशोध में अब कोई संकोच नहीं रहेगा। दुनिया देख रही है कि क्या पाकिस्तान इस बार वाकई बदलने को तैयार है या एक और भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।
भारत ने बुधवार तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान-शासित कश्मीर (पीओजेके) और पाकिस्तानी पंजाब प्रोविंस में नौ ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। यह सैन्य कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” के नाम से की गई, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में हुई, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, और एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इन हमलों को सटीक हमले बताया है, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के आतंकी ढांचों को निशाना बनाया गया। हमलों में बियोंड-विज़ुअल-रेंज हथियारों और घूमने वाले गोला-बारूद (लुटेरिंग म्यूनिशन) का प्रयोग किया गया और पहली बार राफेल लड़ाकू विमान से हमला किया गया, जो भारतीय वायुक्षेत्र से 1:44 AM IST पर छोड़े गए।
पाकिस्तान ने इन हमलों को युद्ध का कृत्य बताया है। पाकिस्तानी रिपोर्टों के अनुसार, मुज़फ़्फराबाद, कोटली और बहावलपुर सहित कई स्थानों पर आठ लोगों की मौत हुई और 35 घायल हुए हैं, जिनमें कुछ नागरिक भी शामिल हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मजबूत जवाब देने की चेतावनी दी है। बयान है कि भारत के आतंकी ठिकानों पर हमलों में नागरिक इलाकों और एक मस्जिद को निशाना बनाया गया।
पाकिस्तानी सेना ने दो भारतीय लड़ाकू विमानों और एक ड्रोन को मार गिराने का दावा किया है, जिसे भारतीय वायुसेना ने खंडन करते हुए कहा है कि सभी विमान और पायलट सुरक्षित हैं। सारी फोटो पुरानी क्रैश की निकली है।
22 अप्रैल के हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। 24 अप्रैल से नियंत्रण रेखा (LoC) पर दोनों देशों की सेनाओं में गोलीबारी की घटनाएं बढ़ी हैं।
इस सैन्य कार्रवाई के बाद उत्तर भारत के कई हवाई अड्डों, श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, लेह और धर्मशाला, को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
भारत ने पानी छोड़ा, पाकिस्तान में 15 बहे
चिनाब नदी में पानी क बहाव रोकने के बाद अचानक बड़ी मात्रा में पानी छोड़ दिया गया है। इससे पाक के हेड मराला पर जलस्तर तेजी से बढ गया। कुछ घंटे पहले तक नदी लगभग सुखी थी और लोग इसे पैदल पार कर रहे थे। रिपोटर्स के मताबिक, पानी की तेज लहर में कम से कम 15 लाग बह गए। पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में बाढ का भी खतरा बढ़ गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अधिकतम सैन्य संयम की मांग की है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को हमलों की जानकारी दी।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि परमाणु हथियारों से लैस इन दो पड़ोसी देशों के बीच यह स्थिति खतरनाक रूप ले सकती है। 2003 के संघर्षविराम समझौते के बाद यह एक बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है। भारत के कदम की कई हलकों में कैलिब्रेटेड रिस्पॉन्स के रूप में सराहना हो रही है।
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मोदी और थरूर की गर्मजोशी ने बयाँ किया कुछ और: विजिंजम पोर्ट उद्घाटन में राजनीति की नई लहर? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब केरल के तटवर्ती शहर तिरुवनंतपुरम में विजिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन करने पहुँचे, तो मंच पर जो दृश्य सामने आया, वह केवल विकास की कहानी नहीं कह रहा था, वह राजनीति के एक नए अध्याय की ओर भी इशारा कर रहा था।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो इस क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं, खुद प्रधानमंत्री का स्वागत करने एयरपोर्ट पहुँचे। दिल्ली एयरपोर्ट की अव्यवस्था के कारण मोदी की उड़ान में देरी हुई, जिसे थरूर ने सोशल मीडिया पर “डिसफंक्शनल” बताया, लेकिन उनके स्वागत में कोई कटुता नहीं थी। इसके उलट, थरूर ने गर्व से कहा कि वे इस परियोजना का समर्थन “शुरुआत से ही करते आए हैं।”
समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गठबंधन INDI पर व्यंग्य किया, खासकर मंच पर मौजूद थरूर और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की उपस्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा, “कुछ लोगों की नींद उड़ने वाली है।” ये शब्द केवल विपक्ष पर वार नहीं थे; ये एक संकेत भी थे, और शायद एक संदेश भी।
काबिलियत राजनीतिक पगडंडी के किसी भी तरफ हो, साध लेनी चाहिए। ये तस्वीर, ये वीडियो और शशि थरूर को लेकर मोदी जी के शब्द बहुत कुछ कहते है। pic.twitter.com/Q9OHBwpJdr
लेकिन जो सबसे अधिक चर्चा में रहा, वह था मोदी और थरूर के बीच का संवाद। बाकी नेताओं से संक्षिप्त अभिवादन के विपरीत, प्रधानमंत्री ने थरूर से गर्मजोशी से हाथ मिलाया। सोशल मीडिया पर इस क्षण ने हलचल मचा दी, क्या यह सिर्फ औपचारिकता थी या मोदी की रणनीतिक सियासत का हिस्सा?
थरूर अक्सर कांग्रेस की मुख्यधारा से अलग राय रखते रहे हैं, चाहे वह मोदी की वैक्सीन डिप्लोमेसी की तारीफ़ हो या रूस-यूक्रेन मुद्दे पर सरकार के रुख को सराहना। ऐसे में, मोदी का थरूर की ओर विशेष ध्यान देना सिर्फ शिष्टाचार नहीं लगता।
राजनीतिक विश्लेषक इसे मोदी की विपक्ष को भीतर से तोड़ने की शैली का हिस्सा मानते हैं, उन चेहरों को मंच पर स्थान देना जो अपने दलों में अलग थिंकिंग के लिए जाने जाते हैं।
जहाँ मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अपने भाषण में बंदरगाह के आर्थिक महत्व पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं असली सुर्खियाँ मोदी और थरूर के बीच के क्षणों ने बटोरीं।
विजिंजम बंदरगाह आने वाले समय में भारत के समुद्री व्यापार को नई दिशा देगा, लेकिन 2 मई की शाम, यह बंदरगाह एक और संदेश लेकर आया, राजनीति में दरारें जहाँ हों, वहाँ संवाद की संभावनाएँ भी होती हैं।
देश की सुरक्षा को लेकर माहौल संवेदनशील है। सीमाओं पर तनाव है, और ऐसे वक्त में सभी राजनीतिक विचारधाराएं—चाहे असदुद्दीन ओवैसी हों या उमर अब्दुल्ला—एक सुर में राष्ट्रीय एकता की बात कर रहे हैं। इसी बीच कांग्रेस द्वारा जारी किया गया एक पोस्टर चर्चा में आ गया।
इस पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए “modi missing hai” लिखा गया, लेकिन उसी तस्वीर में जो इंसान दिखाया गया है उसका सिर नहीं है और इसीलिए डिज़ाइन के कुछ हिस्से, सोशल मीडिया पर एक खास सन्दर्भ में देखे गए, जिसे कई लोगों ने ‘सर तन से जुदा’ जैसी कट्टरपंथी सोच से जोड़ के देखा।
और मोदी गुम है कहाँ? हर रोज मीटिंग हो रही है, प्रधानमंत्री मोदी जनता के साथ सीधे संवाद कर रहे हैं। सेना को सीधे कार्रवाई करने के आदेश दिए जा चुके हैं। अब क्या कांग्रेस ये चाहती है कि सारे प्लान खुले में पेपर भी बताए जाएं।
अभी दो दिन पहले ही आतंकवादियों ने ऐसा ही सिर कटा पोस्टर जारी किया था जिसको यहां पूरा दिखाया भी नहीं जा सकता। क्या इतना सा भी ज्ञान नहीं है कॉंग्रेस की सोशल मीडिया टीम में?
हालांकि कांग्रेस का कहना है कि उनका मकसद प्रधानमंत्री पर तंज कसना था, न कि किसी भी तरह की हिंसा को बढ़ावा देना। विवाद बढ़ने पर कांग्रेस ने बिना कोई सार्वजनिक सफाई दिए पोस्टर डिलीट कर दिया। यही चुप्पी अब सवालों के घेरे में है।
अगर पार्टी का इरादा गलत नहीं था, तो उसे हटाया क्यों गया? और अगर शब्द या डिज़ाइन के चुनाव में गलती हुई, तो उसकी ज़िम्मेदारी क्यों नहीं ली गई?
राजनीतिक आलोचना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन विचार और विमर्श की मर्यादा बनाए रखना भी ज़रूरी है, खासतौर पर तब, जब देश आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा हो। ऐसे समय में संदिग्ध प्रतीकों और शब्दों का चयन, चाहे अनजाने में ही क्यों न हो, राजनीतिक सूझबूझ पर सवाल खड़े करता है।
संवेदनशील समय में, शब्द केवल शब्द नहीं होते, वे संदेश बन जाते हैं। और यही बात हर दल को समझनी होगी।
मधुबनी, बिहार (राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बिहार के मधुबनी में पंचायती राज दिवस के कार्यक्रम के दौरान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर तीखा संदेश दिया। उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि भारत की आत्मा पर वार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत आतंकियों, उनके हैंडलर्स और उनके समर्थकों को पहचानकर सजा देगा। हम उन्हें धरती के आखिरी छोर तक पीछा करके सज़ा दिलाएंगे।”
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। pic.twitter.com/TMwL58HVTc
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, “जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आतंकवाद भारत की भावना और आत्मा को कभी झुका नहीं सकता। देश अब पहले से ज्यादा संगठित, सजग और सक्षम है।
सभा में उपस्थित हजारों लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट और “भारत माता की जय” के नारों के साथ प्रधानमंत्री के इस संकल्प का समर्थन किया।
नई दिल्ली/श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया है। हमले में नौसेना के जवानों समेत कई सुरक्षाकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए, और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। इस हमले के जवाब में केंद्र सरकार ने त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान पर पांच कड़े कदम उठाए हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब केवल निंदा तक सीमित नहीं रहेगा।
मोदी सरकार के 5 बड़े फैसले:
सिंधु जल संधि निलंबित: भारत ने पाकिस्तान के साथ दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है। अब पाकिस्तान को मिलने वाला पानी रोका जाएगा और उसका उपयोग जम्मू-कश्मीर व पंजाब में किया जाएगा।
अटारी बॉर्डर सील: पंजाब में भारत-पाक सीमा पर अटारी बॉर्डर को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। यात्री और मालवाहक आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।
पाक नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश: देश में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है। इसमें छात्र, पर्यटक और व्यापारी सभी शामिल हैं।
पाक डिफेंस अटैचेज निष्कासित: दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत रक्षा संबंधी अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।
डिप्लोमैटिक स्टाफ घटाकर 30 किया जाएगा: भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के राजनयिक स्टाफ को 30 तक सीमित करने का निर्णय लिया गया है।
सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 की सुगबुगाहट
सूत्रों की मानें तो सीमापार जवाबी कार्रवाई की तैयारी जोरों पर है। सेना और वायुसेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सीमा के पास सैन्य गतिविधियां तेज हो गई हैं और सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
सरकार का स्पष्ट संदेश
गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी डटे हुए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से लगातार समन्वय चल रहा है। केंद्र सरकार का रुख साफ है, अब आतंकवाद के प्रति “शून्य सहिष्णुता” की नीति पर सख्ती से अमल किया जाएगा।
देश भर में आक्रोश
देश के कोने-कोने से वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। सोशल मीडिया पर लोग एक सुर में सरकार से करारा जवाब देने की मांग कर रहे हैं। इस बार सिर्फ जवाब नहीं, बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
भारत शांति चाहता है, लेकिन आत्मसम्मान से समझौता नहीं करेगा।
बात अब साफ होती जा रही है—कुछ बड़ा पक चुका है, और इस बार सरकार पूरी तरह फ्रंटफुट पर है। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में जो हलचल है, वह सिर्फ इत्तेफ़ाक नहीं लगती। प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रपति से अचानक और लगातार मुलाकातें, मंत्रिमंडल स्तर की लंबी मैराथन बैठकों का दौर, और संघ के भीतर समन्वय बैठकों से निकले संकेत—सब कुछ मिलकर एक ही बात कह रहे हैं: सरकार अब आर-पार की मुद्रा में है।
पिछले कुछ समय तक जो सोच “गठबंधन बचाओ” जैसी सतर्कता में लिपटी हुई थी, वह अब “संविधान बचाओ” जैसी निर्णायक सोच में बदलती दिख रही है। संकेत हैं कि सरकार अब सियासी संतुलन से ज़्यादा संवैधानिक संप्रभुता को तरजीह देगी। क्योंकि अगर इन मुद्दों को अब नहीं सुलझाया गया, तो ये विवाद कल देश की रीढ़ को ही तोड़ देंगे।
बंगाल में जिस तरह हिंसा की ज़िम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल (BSF) पर डाली जा रही है, वह सीधे-सीधे केंद्र सरकार की संवैधानिक शक्ति पर हमला है। BSF, जिसे संसद के कानूनों के तहत विशेषाधिकार प्राप्त हैं, उसे राज्य सरकार कटघरे में खड़ा कर रही है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक बहस नहीं बल्कि संघीय ढांचे की गरिमा पर सीधा आघात है।
तमिलनाडु में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के टकराव ने जब सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रपति को ‘निर्देश’ देने की स्थिति में ला दिया, तो यह भारतीय संविधान की मूल संरचना को हिला देने वाली बात बन गई। लोकतंत्र में संस्थाओं का संतुलन ज़रूरी होता है, लेकिन जब राज्यपाल के अधिकारों को राजनीतिक चुनौती दी जाती है, तो सवाल देश की संवैधानिक आत्मा पर उठता है।
इसके साथ-साथ अब राज्यों द्वारा संसद से पारित कानूनों को यह कहकर टालना कि “हम नहीं मानते”, यह संकेत दे रहा है कि कुछ राज्य भारत को एक loosely held कॉन्फेडरेशन की तरह चलाना चाहते हैं। सवाल यह नहीं है कि एक राज्य किसी कानून से असहमत है, सवाल यह है कि क्या अब हर राज्य अपनी-अपनी व्यवस्था चलाएगा? क्या हम एक राष्ट्र हैं या असंख्य इकाइयों का एक अस्थिर गठजोड़?
यह सब सिर्फ राजनीति नहीं है। यह एक गहरी वैचारिक लड़ाई है जो अब खुलकर सामने आ रही है। राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं, “हम RSS और Indian State से लड़ रहे हैं।” अब तमिलनाडु, बंगाल और केरल जैसे राज्य उस लड़ाई को व्यवहारिक रूप देने में जुट गए हैं।
संघ की समन्वय बैठक में जो रुख देखा गया, उससे यह स्पष्ट है कि अब कोई भी निर्णय पीछे हटकर नहीं लिया जाएगा। अब बैकफुट की नहीं, फ्रंटफुट की रणनीति है। चाहे गठबंधन नाराज़ हो, चाहे सहयोगी छिटकें—संविधान की सर्वोच्चता, राष्ट्र की अखंडता और शासन की मर्यादा से ऊपर कुछ नहीं।
यह जो कुछ चल रहा है, वह सिर्फ बैठकों और बयानों का दौर नहीं है, यह तूफान से पहले की शांति है। सवाल अब यह है कि यह ज्वाला नीति बनकर शांत होगी या निर्णय बनकर भड़केगी। और इस बार यह साफ है—2025 का यह समर सिर्फ चुनावी संघर्ष नहीं है, यह एक वैचारिक संग्राम है, जिसकी लपटें देश की राजनीतिक दशा और दिशा दोनों तय करेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर स्थित मुख्यालय केशव कंज पहुंचे। सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक वे संघ प्रमुखों और पदाधिकारियों के साथ रहे। इस दौरान उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर में श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे।
यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री के रूप में मोदी संघ मुख्यालय पहुंचे। इससे पहले, जुलाई 2013 में जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे थे, तब वे संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने नागपुर आए थे।
संघ के माधव नेत्रालय के विस्तार की आधारशिला
अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने संघ के माधव नेत्रालय के एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला भी रखी। यह परियोजना स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
34 मिनट का भाषण: इतिहास, भक्ति आंदोलन और राष्ट्रीय चेतना पर चर्चा
पीएम मोदी ने संघ मुख्यालय में 34 मिनट का संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन, संतों की भूमिका, संघ की कार्यप्रणाली और भारत के विकास पर चर्चा की। उनके भाषण की प्रमुख बातें इस प्रकार रहीं—
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 100 साल पहले संघ के रूप में जो बीज बोया गया था, वह आज एक विशाल वट वृक्ष बन चुका है। संघ भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को निरंतर ऊर्जा प्रदान कर रहा है।
उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों की निःस्वार्थ सेवा की सराहना करते हुए कहा, “हम देव से देश, राम से राष्ट्र का मंत्र लेकर चल रहे हैं। सेवा ही स्वयंसेवकों का जीवन है।”
मोदी ने युवाओं में भारतीय धर्म-संस्कृति को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने संघ के शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के कार्यों की सराहना की।
पीएम मोदी ने प्रयागराज महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा कि यह आयोजन भारतीय परंपरा, अध्यात्म और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
संघ और मोदी के रिश्ते पर चर्चा क्यों
पीएम मोदी और RSS के संबंध हमेशा से चर्चा में रहे हैं। संघ का वैचारिक आधार भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण रहा है। ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरा राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से अहम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा संघ और भाजपा के संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में देखा जा रहा है। 2024 के चुनावों के बाद यह उनका पहला बड़ा संघ-संपर्क कार्यक्रम है, जिससे भविष्य की रणनीतियों को लेकर भी अटकलें तेज हो गई हैं। संघ मुख्यालय की इस यात्रा के बाद क्या कोई नया संदेश निकलेगा?
जयपुर, 18 जून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को उत्तरप्रदेश के वाराणसी में आयोजित किसान सम्मेलन में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की 17वीं किस्त जारी की। प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर डीबीटी के माध्यम से देश के 9.26 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में करीब 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी इस कार्यक्रम में जयपुर से वीसी के माध्यम से शामिल हुये।
राजस्थान के 65 लाख से अधिक किसान लाभान्वितपीएम किसान योजना की 17वीं किस्त से लाभान्वित होने वाले किसानों में राजस्थान के भी 65 लाख से अधिक किसान शामिल है। जिनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से लगभग 1 हजार 300 करोड़ रुपए स्थानांतरित किए गए। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भी राज्य में पीएम किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों को 6 हजार रुपए के अतिरिक्त प्रति वर्ष 2 हजार रुपए मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देने का निर्णय किया है। इससे राज्य पर प्रतिवर्ष 1300 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा।
किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के भारत को दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति बनाने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमें दलहन तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर और कृषि निर्यात में अग्रणी बनना है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना फरवरी, 2019 में शुरू की गई जिसमें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से देश भर के किसानों के परिवारों के बैंक खातों में हर चार महीने में दो- दो हजार रुपए की तीन बराबर किस्तों में 6 हजार रुपये प्रति वर्ष का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है।
भारतीय आम चुनाव 2024 के लिए मतदान समाप्त हो चुके हैं और अब सभी की निगाहें एक्जिट पोल के परिणामों पर हैं। प्रमुख एक्जिट पोल एजेंसियों ने अपने-अपने सर्वेक्षणों के आधार पर संभावित परिणामों की घोषणा कर दी है। इन एक्जिट पोल के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को भारी बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है।
ये समाचार लगातार अपडेट की जा रही है.
प्रमुख एक्जिट पोल एजेंसियों के अनुमान
SAAM – जन की बात: NDA को 377 सीटें, कांग्रेस+ को 151 सीटें और अन्य को 15 सीटें मिलने का अनुमान है।
इंडिया न्यूज़ – पोल्स्ट्रेट: NDA को 371 सीटें, कांग्रेस+ को 125 सीटें और अन्य को 47 सीटें मिलने का अनुमान है।
रिपब्लिक भारत – मैट्रिज: NDA को 361 सीटें, कांग्रेस+ को 126 सीटें और अन्य को 56 सीटें मिलने का अनुमान है।
रिपब्लिक टीवी – P MARQ: NDA को 359 सीटें, कांग्रेस+ को 154 सीटें और अन्य को 30 सीटें मिलने का अनुमान है।
इंडिया न्यूज़ – डी डायनामिक्स: NDA को 371 सीटें, कांग्रेस+ को 125 सीटें और अन्य को 47 सीटें मिलने का अनुमान है।
पोल ऑफ पोल्स के अनुसार, NDA को कुल 368 सीटें, कांग्रेस+ को 136 सीटें और अन्य को 39 सीटें मिलने का अनुमान है। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि NDA को बहुमत प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं होगी, क्योंकि बहुमत के लिए आवश्यक 272 सीटों के मुकाबले यह संख्या काफी अधिक है।
इन एक्जिट पोल के परिणामों से यह स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को भारी बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। हालांकि, अंतिम परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे, लेकिन एक्जिट पोल के संकेत स्पष्ट रूप से NDA की बढ़त की ओर इशारा कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि ये एक्जिट पोल कितने सटीक साबित होते हैं और क्या वास्तविक परिणाम इन अनुमानों के अनुरूप होते हैं।
जैसे-जैसे चुनाव परिणामों का दिन करीब आता जा रहा है, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को देश भर में मिले-जुले परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। 400 सीटें जीतने के अपने महत्वाकांक्षी नारे के बावजूद, बीजेपी के लिए 272 सीटें हासिल करना चुनौतीपूर्ण है, जो कि बहुमत के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री मोदी से मजबूत व्यक्तित्व इस समय भारतीय राजनीति में किसी का नहीं है।
भले ही बीजेपी को बहुमत न मिले, एनडीए के साथ मिलकर तीसरी बार सरकार बनाने की संभावना है।
कांग्रेस अपनी सीटें दोगुनी कर सकती है, राजस्थान इसका एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल से जेडीएस को निश्चित गंभीर रूप से नुकसान होगा, लेकिन बीजेपी इससे अछूती रह सकती है।
मणिपुर हिंसा ने लंबे समय के लिए बीजेपी के पूर्वोत्तर के सपने को तोड़ दिया है।
कांग्रेस को दक्षिण भारत में नई जीवनरेखा मिल सकती है।
अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव अब स्थापित नेता है और वे परिवार से जुड़ी अपनी पार्टियों को दूसरी पीढ़ी की राजनीति को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा पाएंगे।
वर्तमान विश्लेषण के अनुसार, बीजेपी 220 से 250 सीटें जीत सकती है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 35 से 48 सीटें हासिल कर सकता है, जिससे एनडीए सरकार बना सकेगा। 2014 में बीजेपी ने 282 और एनडीए ने 336 सीटें जीती थीं और 2019 में बीजेपी ने अकेले 303 सीटें जीती थीं और एनडीए ने 353 सीटें जीती थीं।
इस संभावित कमी के कई कारण हैं। कर्नाटक में, बीजेपी को 15 सीटों तक का नुकसान होने की उम्मीद है, जो कि एक महत्वपूर्ण राज्य में एक बड़ी हानि है। पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो पार्टी के लिए एक मजबूत बेस हो सकता था, मणिपुर में अस्थिरता के कारण निराश कर सकता है। इस अस्थिरता ने उस समर्थन को कम कर दिया है, जो अन्यथा इस क्षेत्र में एक भाजपा का एक नया गढ़ बन सकता था।
प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 20 दिनों में 22 से भी ज्यादा मीडिया आउटलेट्स को इंटरव्यू दिए है।
हरियाणा एक और चुनौती पेश करता है, जहां किसान विरोध के परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुई एंटी-इनकंबेंसी लहर बीजेपी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है। पर यहां चौंकाने वाले परिणाम भी संभव है, जनता एग्जिट पोल से पहले भी अलग गई है। पंजाब विशेष रूप से कठिन चुनाव क्षेत्र होने की उम्मीद है, जहां बीजेपी को लगभग पूरी तरह से हार का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि, बीजेपी के लिए सभी खबरें खराब नहीं हैं। पार्टी को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में बढ़त हासिल होने की उम्मीद है, जहां बीजेपी ऐतिहासिक रूप से कमजोर रही है। ओडिशा भी पार्टी के लिए एक संभावित लाभ वाला राज्य प्रतीत हो रहा है।
अन्य पार्टियां बीजेपी की कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। राजस्थान में, कांग्रेस 10 सीटें जीत सकती है, जबकि उत्तर प्रदेश में, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी 10 से अधिक सीटें हासिल कर सकती है, जबकि मायावती की संभावनाएं धुंधली लग रही हैं। बिहार में, तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 11 से अधिक सीटें जीत सकती है, जिससे राज्य में पार्टी की पकड़ मजबूत हो जाएगी। 2014 में, कांग्रेस ने केवल 44 सीटें और उसके गठबंधन ने 59 सीटें जीती थीं, 2019 में कांग्रेस ने 52 सीटें और उसके गठबंधन ने 91 सीटें जीती थीं।
प्रियंका गांधी की सभाओं में भीड़ देखने को मिली है।
पश्चिम बंगाल आश्चर्यजनक नतीजे दे सकता है, लेकिन बीजेपी के संभावित आश्चर्यों के बावजूद अपनी बुनियाद बनाए रखने की संभावना है। इस बीच, पंजाब में आप, कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का दबदबा होने की उम्मीद है, जिससे बीजेपी के लिए संभावनाएं बहुत कम बचती है।हालांकि बीजेपी अपने 400 सीटों के लक्ष्य से चूक सकती है, लेकिन उसके सरकार से बाहर हो जाने की बेहद कम संभावनाएं है, उसका राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव बना हुआ है। भाजपा का प्रदर्शन कई महत्वपूर्ण राज्यों जैसे कर्नाटक और पूर्वोत्तर में हानियों को कम करने और दक्षिण और ओडिशा में संभावित लाभों को भुनाने पर निर्भर करेगा।
इस बीच, क्या विपक्ष बीजेपी की कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं? कांग्रेस और इंडिया गठबंधन कितनी मजबूती से चुनाव लड़ पाया है, किन शर्तो पे साथ रह सकेगा और क्या वक्त पड़ने पर और दलों को अपने साथ जोड़ पाएगा ये देखने वाला होगा। पुराने घट जोड़ की सरकारों का क्या हुआ था ये देश जनता है।
हाल के विश्लेषण में बीजेपी के सहयोगियों के साथ एनडीए के समर्थन से सरकार बनाने की संभावना है। दूसरी ओर, कांग्रेस और उसके सहयोगी 220 सीटों तक पहुंच सकते हैं, लेकिन सत्ता से दूर रहेंगे। अंतिम परिणाम अभी भी उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रमुख राज्यों में मतदाता के वोट द्वारा प्रभावित हो सकते हैं, जो 50 सीटों तक के बदलाव ला सकते है और दिग्गजों के राजनीतिक करियर को बना या बिगाड़ सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक टीवी न्यूज़ चैनल को दिए साक्षात्कार में बताया कि उनके घर के आसपास कई मुसलमान पड़ोसी थे जिनसे उनके दोस्ताना संबंध थे। उन्होंने कहा कि ईद के दिन उनके घर में खाना नहीं बनता था क्योंकि पड़ोसी मुसलमान दोस्त उनके लिए खाना लाते थे, जिसे मोदी बड़े चाव से खाते थे। उन्होंने यह भी बताया कि ताजियों के दिनों में उनके यहाँ एक परंपरा थी जिसमें ताजियों के नीचे से निकलने की पूजा जैसी होती थी। मोदी ने रिपोर्टर से कहा कि उनकी मुसलमानों के प्रति किसी भी तरह की नकारात्मक भावना नहीं है।
कुछ दिन पहले ही उन्होंने एक और टीवी पत्रकार से कहा था कि जिस दिन वह हिंदू-मुसलमान को अलग-अलग करने की बात करने लग जाएंगे, उस दिन उन्हें राजनीति में रहने का अधिकार नहीं रहेगा।
महाराष्ट्र के पालघर में एक आदिवासी गांव है वसंतवाड़ी। वसंतवाड़ी में करीब ढाई सौ परिवार रहते हैं। महानगर मुम्बई से मात्र 120 किलोमीटर दूर इस गांव झौंपड़ियां और टूटे घर आज भी आपको दिखेंगे। 16 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले ही कई गांवों के लोगों को सरकारी राशन की दुकान से लोगों को एक ऐसी मुफ्त साड़ी दी गई थी मार्च में। साड़ी और एक बैग दिया गया था साथ ही गरीब कल्याण योजनाओं का विज्ञापन भी है।
पिछले साल नवम्बर में ही महाराष्ट्र सरकार ने बड़े त्योहार पर हर साल अंत्योदय राशन कार्ड वाली महिलाओं को मुफ्त साड़ी देने की योजना शुरू की थी। गत 3 और 8 अप्रैल के बीच पालघर के 23 गांवों की सैकड़ों आदिवासी महिलाओं ने जव्हार और दहानू तहसील कार्यालय तक मार्च निकाला तथा 300 से अधिक साड़ियां और तस्वीर वाले 700 बैग वापस कर दिए। ये महिलाएं नारे लगा रही थीं कि हमें मुफ्त चीजें मत दीजिए, हमें नौकरियां दीजिए। बेहतर स्कूल, अच्छी सड़कें और स्वास्थ्य सेवाएं दीजिए।
वसंतवाडी की महिलाओं को पानी लाने के लिए सुबह 4 बजे उठना पड़ता है। बोरवेल दो किलोमीटर दूर है। हमें हर घर में नल चाहिए। हमें मुफ्त साड़ी और बैग नहीं चाहिए। गांव की 52 वर्षीय लाड़कुबाई तो सीधे सवाल करती है कि अगर आपने हमें नौकरी दी होती तो हम खुद साड़ी खरीद पाते। सरकार हमें साड़ी देने वाली कौन होती है? आपको क्या लगता है कि हम अपने कपडे नहीं खरीद सकते। हम इनसे अच्छी साड़िया खरीदेंगे। आप हमें काम दीजिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महावीर जयंती पर आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भव्य भारत मंडपम में भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। यह महोत्सव भगवान महावीर स्वामी के 2623 वें जन्म कल्याणक समारोह के उपलक्ष में आयोजित किया जा रहा है।इस अवसर पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक सौ रुपए का स्मारक सिक्का भी जारी किया जाएगा। समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, केंद्रीय कानून और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी आदि विशिष्ठजन भी उपस्थित रहेंगे।
आचार्य प्रज्ञा सागर मुनि के सानिध्य में नई दिल्ली के चांदनी चौक स्थित श्रीलाल महावीर मंदिर में आयोजित प्रेस वार्ता में समारोह की तैयारियों की जानकारी देते हुए भगवान महावीर मेमोरियल समिति के अध्यक्ष के. एल. जैन पटावरी ने बताया कि समारोह में श्वेत पिच्छाचार्य श्रीविध्यानंद जी मुनिराज के आज्ञानुवर्ती राष्ट्र संत परंपताचार्य प्रज्ञ सागर मुनिराज, आचार्य सम्राट पूज्य डॉ शिवमुनि के आज्ञानुवर्ती श्रमण संघीय उपाध्याय प्रवर पूज्य रविंद्र मुनि,आचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वर महाराज के आज्ञानुवर्ती साध्वी सुलक्षणा तथा आचार्य पूज्य महाश्रमण की विदुषी शिष्या अणिमा श्री का प्रेरक सानिध्य भी रहेगा।
उन्होंने बताया कि इस समारोह को लेकर पूरे जैन समाज में विपुल उत्साह है। देश के विभिन्न प्रांतों से प्रतिनिधिगण इस कार्यक्रम में भाग लेने दिल्ली पहुंच रहे हैंl पटावरी ने कहा कि वर्तमान समय में पूरी दुनियां विश्व युद्ध, अनैतिकता, भूखमरी, पर्यावरण प्रदूषण आदि अनेक समस्याओं से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के सिद्धांत अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत का दर्शन इन सभी समस्याओं से निजात पाने में अत्यन्त प्रभावी हो सकते है। भगवान महावीर 2550 वे निर्वाण महोत्सव समिति के अध्यक्ष गजराज गंगवाल ने कहा कि भगवान महावीर के दर्शन से ही विश्व युद्ध जैसी विभीषिकाओं से बच सकता है।
प्रेस वार्ता में जैन तेरापंथ संघ (जेएसटी) के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, सत्य भूषण जैन, लक्ष्मी पथ बोथरा एवं डॉ कमल जैन सेठिया आदि भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि यह वर्ष भगवान महावीर का 2550 वा निर्वाण वर्ष है| इस निर्वाण महोत्सव के माध्यम से भगवान महावीर के शाश्वत संदेशों का सार्वभौमिक प्रचार प्रसार जन-जन के लिए कल्याणकारी हो सकेगा। समारोह में दिगंबर आचार्य प्रज्ञा सागर मुनि, उपाध्याय रविन्द्र मुनि, साध्वी सुलक्षणा और आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या साध्वीश्री अणिमाश्रीजी अपने उदबोधन से भगवान महावीर के संदेशों की सारगर्भित व्याख्या करेंगे।
भारत एक विभिन्नताओं वाला देश है। अनेकता में एकता ही इसकी पहचान है। यहां शादी, तलाक़, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं। हालांकि, देश की आज़ादी के बाद से समान नागरिक संहिता या यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (UCC) की मांग चलती रही है। इसके तहत इकलौता क़ानून होगा जिसमें किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह नहीं की जाएगी। यहां तक कि संविधान कहता है कि राष्ट्र को अपने नागरिकों को ऐसे क़ानून मुहैया कराने के ‘प्रयास’ करने चाहिए।
लेकिन एक समान क़ानून की आलोचना देश का हिंदू बहुसंख्यक और मुस्लिम अल्पसंख्यक दोनों समाज करते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के शब्दों में कहें तो यह एक ‘डेड लेटर’ है। बीजेपी शासित उत्तराखंड की विधानसभा ने राज्य में यूसीसी लागू करने के लिए लाए गए विधेयक को पारित कर दिया है। राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश और राजस्थान UCC पर चर्चा कर रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना, कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करना और UCC को लागू करना बीजेपी के चुनावी वादों में से एक रहे हैं। अयोध्या में मंदिर का वादा पूरा हुआ है और हाल में प्रधानमंत्री जी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की जा चुकी है। कश्मीर से धारा 370 समाप्त कर दी गई है और CAA लागू हो गया है तो अब चर्चा UCC पर है। हिंदूवादी संगठन समान नागरिक संहिता की मांग मुस्लिम पर्सनल लॉ के कथित ‘पिछड़े’ क़ानूनों का हवाला देकर उठाते रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तीन तलाक़ वैध था जिसके तहत मुसलमान तुरंत तलाक़ दे सकते थे लेकिन मोदी सरकार ने साल 2019 में इसे आपराधिक बना दिया।
बीजेपी का चुनावी घोषणा पत्र कहता है कि ‘जब तक भारत समान नागरिक संहिता नहीं अपना लेता है तब तक लैंगिक समानता नहीं हो सकती है।’ भारत में 90% जोड़े शादी के बाद पति के परिवार के साथ रहते हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘असलियत बहुत ज़्यादा जटिल है.’ दूसरे शब्दों में कहें तो UCC बनाने के विचार ने उस पिटारे को खोल दिया है जिसके देश के हिंदू बहुमत के लिए भी अनपेक्षित नतीजे होंगे जिसका प्रतिनिधित्व करने का दावा बीजेपी करती है। “UCC मुसलमानों के साथ-साथ हिंदुओं की सामाजिक ज़िंदगी को प्रभावित करेगी.”
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को अधिसूचित कर दिया है, जिससे यह पूरे देश में लागू हो गया है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। CAA को लेकर सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है और इसके ऑनलाइन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार कर लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका ड्राई रन भी कर लिया है।
सूत्रों के अनुसार, CAA इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने दो महीने में दो बार कहा था कि CAA लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। यह देश का कानून है और इसे कोई रोक नहीं सकता। संसद ने CAA पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगाई थी।
हालांकि, सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने की समय सीमा 8 बार बढ़ा चुकी है। CAA के नोटिफिकेशन के बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पुलिस अलर्ट पर है। पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय ने CAA लागू होने पर जश्न मनाया है। इस समुदाय के लोग मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के रहने वाले हैं और भारत-पाक विभाजन के दौरान और बांग्लादेश के निर्माण के बाद भारत आ गए थे।