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  • सिर्फ कश्मीर ही नहीं, पंजाब में भी गहरी साजिश कर रहा है पाकिस्तान

    सिर्फ कश्मीर ही नहीं, पंजाब में भी गहरी साजिश कर रहा है पाकिस्तान

    आज भारत को तोड़ने की जो साज़िशें चल रही हैं, वे केवल बाहरी नहीं, बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक युद्ध के रूप में हमारे समाज के भीतर ज़हर घोलने का काम कर रही हैं। पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI लगातार कोशिश कर रही है कि भारत के साहसी,  देशभक्त समुदायों में से एक, सिख समुदाय, को भ्रमित किया जाए और देश से अलग करने की भावनाएं भड़काई जाएं।

    हाल ही में पाकिस्तान ने यह झूठ फैलाया कि भारतीय वायुसेना ने पंजाब में एक गुरुद्वारा पर हमला किया। सच्चाई इससे बिलकुल अलग थी। यह एक झूठा प्रचार था ताकि पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों में भ्रम और गुस्सा फैलाया जा सके। पाकिस्तान जानता है कि अगर पंजाब अस्थिर होगा तो भारत को अंदर से चोट दी जा सकती है। यही वजह है कि अब वे कश्मीर के साथ-साथ पंजाब का नाम लेने लगे हैं।

    पाकिस्तान ने एक बार फिर वही पुरानी और घिनौनी साजिश दोहराई है, भारत को तोड़ने की, सिख और हिन्दू समुदायों में फूट डालने की। हाल ही में पाकिस्तान के DG ISPR (Inter Services Public Relations) ने एक झूठा और बेबुनियाद बयान दिया कि भारत के अधमपुर एयरबेस से अफगानिस्तान में सिख धर्मस्थलों पर 6 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं। यह दावा न केवल हास्यास्पद है, बल्कि गहरी साजिश का हिस्सा भी है।

    इस दावे को खुद अफगानिस्तान ने खारिज कर दिया है। जमीन पर न कोई मिसाइल गिरी, न कोई धमाका हुआ, न कोई सिख स्थल नष्ट हुआ, और न ही कोई सबूत है। पाकिस्तान का इरादा स्पष्ट है, सिख भाइयों और बहनों के मन में भारत के खिलाफ गलतफहमी और गुस्सा पैदा करना।

    आज भी जब पाकिस्तान या ISI “खालिस्तान” की बातें करता है, तो उसका मकसद सिखों का भला नहीं, बल्कि भारत का विघटन होता है। अगर उन्हें सिख धर्म का सच में सम्मान होता, तो वे अपने देश में गुरुद्वारों को न उजाड़ते, न सिखों पर अत्याचार करते। उन्हें न गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं से मतलब है, न खालसा के उस बलिदान से जो धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए हुआ था।

    लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। यह वही सरकार है, यह वही भारत है, जिसने सिखों की शान को सिर आंखों पर रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आदमपुर एयरबेस पर उतरे थे, वहीं से जहाँ पर पाकिस्तान ने झूठा आरोप लगाया। उन्होंने एयरफोर्स कर्मियों को संबोधित करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का ज़िक्र किया और पंजाब के वीरों को याद किया।

    मोदी जी ने कहा: “चिड़ियाँ ते मैं बाज तुड़ावां, गिद्धां तो मैं शेर बनावां, सवा लाख से एक लड़ावां, तबे गोविंद सिंह नाम कहावां।”

    यह सिर्फ एक भाषण नहीं था, यह एक संदेश था, सिख परंपरा, उनकी बहादुरी और भारत के प्रति उनके समर्पण का सम्मान। एक प्रधानमंत्री जो सिख बलिदानों को खुले मंच से सम्मान देता है, वही पाकिस्तान के झूठे प्रचार के सामने असली जवाब है।

    पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए, भारत की सिख और हिन्दू आत्माएं एक हैं। हमें कोई भी अलग नहीं कर सकता। यह भूमि गुरु नानक की भी है और राम की भी। यह वही संस्कृति है जिसमें भेद नहीं, समरसता है। और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

    भिंडरांवाले का मुद्दा आज भी पंजाब में कई लोगों के लिए भावनात्मक है, लेकिन अब ज़्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि उसे 1980 के दशक में कांग्रेस और इंदिरा गांधी द्वारा, अकाली दल को कमजोर करने के लिए उभारा गया। लेकिन यह आग बाद में बेकाबू हो गई। यह भी सच है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसे कदम को शायद और संवेदनशीलता से संभाला जा सकता था, लेकिन एक बड़ा सवाल है, उस समय पंजाब में हथियार कौन पहुँचा रहा था? जवाब है, पाकिस्तान की ISI।

    पाकिस्तान ने 1980 और 90 के दशक में सिख युवाओं को गुमराह करने के लिए हथियार, ट्रेनिंग और धन दिया। उस हिंसा में हजारों निर्दोष लोग मारे गए। सीमा पार से आज तक ड्रग्स पंजाब में आ रही है, क्यों? हमारे सिख नौजवानों के भविष्य को बर्बाद करने के लिए। यही साजिश अलग रूप में दोहराई जा रही है, सोशल मीडिया, विदेशों से बैठे एजेंट्स और झूठे प्रचार के ज़रिए।

    सच्चाई यह है कि सिख और हिन्दू सिर्फ दो धर्म नहीं हैं, वे एक ही सांस्कृतिक जड़ से पनपे हैं, जिसे हम ‘सनातन संस्कृति’ कह सकते हैं। यह वह संस्कृति है जो गुरु नानक देव जी से लेकर कबीर, नामदेव, रविदास तक सभी को एक साथ जोड़ती है। यह संस्कृति हमें सिखाती है कि धर्म कोई दीवार नहीं, बल्कि एक पुल है, जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है, न कि तोड़ता।

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने जब खालसा पंथ बनाया, तो वह किसी दूसरे धर्म के विरोध में नहीं था, बल्कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक था। उनके चारों साहिबज़ादों ने धर्म और देश की रक्षा में बलिदान दिया, यह बलिदान किसी सीमित सोच या खुद के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और एक सार्वभौमिक न्याय की भावना का था।

    हमारा भारत वह देश है जहां गुरु अर्जुन देव जी से लेकर गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए प्राण दिए। वो हिन्दू बच्चों को जबरन मुसलमान बनाने के खिलाफ खड़े हुए, उन्होंने किसी एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि पूरे मानव धर्म के लिए बलिदान दिया। यही भावना सिख धर्म और हिन्दू धर्म को एक सूत्र में पिरोती है।

    आज वही विरासत हमें पुकार रही है कि किसी झूठे प्रचार या बाहरी साज़िश का शिकार न बनें। पाकिस्तान में सिखों की हालत किसी से छुपी नहीं है, वहां गुरुद्वारों की स्थिति, जबरन धर्मांतरण और असमानता की घटनाएं आम हैं। जबकि भारत में, सिख समुदाय को सम्मान, सुरक्षा और समान अधिकार मिले हैं, चाहे वो राजनीति हो, सेना हो या समाज का कोई और क्षेत्र।

    भारतीय सेना में सिखों की भागीदारी गर्व की बात है। सिख रेजिमेंट भारत की सबसे वीर रेजिमेंटों में गिनी जाती है। कारगिल से लेकर आज तक सिख जवानों ने भारत के लिए अपनी जान दी है। क्या पाकिस्तान या कोई और देश उन्हें इतनी इज्जत दे सकता है?

    आज ज़रूरत है कि हम इस षड्यंत्र को पहचानें। पंजाब और सिखों को अलग दिखाने वाली हर सोच दरअसल भारत को कमजोर करने की कोशिश है। हमें यह याद रखना चाहिए, हम सिख हों, हिन्दू हों, मुसलमान हों, ईसाई हों, हम सभी भारतीय हैं, और हमारी जड़ें एक ही सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी हैं।

    भाईचारा, एकता और न्याय, यही असली खालसा की पहचान है। यही सनातन संस्कृति का सार है। झूठे प्रचार और नफरत फैलाने वाली ताकतों को नकारिए, एक-दूसरे का हाथ थामिए, और मिलकर कहिए, हम सब एक हैं। अगर हम अपनी सांझी विरासत को याद रखें, अगर हम अपने पूर्वजों के बलिदानों को समझें, तो कोई ताकत हमें न तो तोड़ सकती है, न झुका सकती है।

  • ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान में 100km अंदर तक हमला किया

    ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान में 100km अंदर तक हमला किया

    भारत ने बुधवार तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान-शासित कश्मीर (पीओजेके) और पाकिस्तानी पंजाब प्रोविंस में नौ ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। यह सैन्य कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” के नाम से की गई, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में हुई, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, और एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।

    भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इन हमलों को सटीक हमले बताया है, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के आतंकी ढांचों को निशाना बनाया गया। हमलों में बियोंड-विज़ुअल-रेंज हथियारों और घूमने वाले गोला-बारूद (लुटेरिंग म्यूनिशन) का प्रयोग किया गया और पहली बार राफेल लड़ाकू विमान से हमला किया गया, जो भारतीय वायुक्षेत्र से 1:44 AM IST पर छोड़े गए।

    पाकिस्तान ने इन हमलों को युद्ध का कृत्य बताया है। पाकिस्तानी रिपोर्टों के अनुसार, मुज़फ़्फराबाद, कोटली और बहावलपुर सहित कई स्थानों पर आठ लोगों की मौत हुई और 35 घायल हुए हैं, जिनमें कुछ नागरिक भी शामिल हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मजबूत जवाब देने की चेतावनी दी है। बयान है कि भारत के आतंकी ठिकानों पर हमलों में नागरिक इलाकों और एक मस्जिद को निशाना बनाया गया।

    पाकिस्तानी सेना ने दो भारतीय लड़ाकू विमानों और एक ड्रोन को मार गिराने का दावा किया है, जिसे भारतीय वायुसेना ने खंडन करते हुए कहा है कि सभी विमान और पायलट सुरक्षित हैं। सारी फोटो पुरानी क्रैश की निकली है।

    22 अप्रैल के हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। 24 अप्रैल से नियंत्रण रेखा (LoC) पर दोनों देशों की सेनाओं में गोलीबारी की घटनाएं बढ़ी हैं।

    इस सैन्य कार्रवाई के बाद उत्तर भारत के कई हवाई अड्डों, श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, लेह और धर्मशाला, को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

    भारत ने पानी छोड़ा, पाकिस्तान में 15 बहे

    चिनाब नदी में पानी क बहाव रोकने के बाद अचानक बड़ी मात्रा में पानी छोड़ दिया गया है। इससे पाक के हेड मराला पर जलस्तर तेजी से बढ गया। कुछ घंटे पहले तक नदी लगभग सुखी थी और लोग इसे पैदल पार कर रहे थे। रिपोटर्स के मताबिक, पानी की तेज लहर में कम से कम 15 लाग बह गए। पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में बाढ का भी खतरा बढ़ गया है।

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अधिकतम सैन्य संयम की मांग की है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को हमलों की जानकारी दी।

    विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि परमाणु हथियारों से लैस इन दो पड़ोसी देशों के बीच यह स्थिति खतरनाक रूप ले सकती है। 2003 के संघर्षविराम समझौते के बाद यह एक बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है। भारत के कदम की कई हलकों में कैलिब्रेटेड रिस्पॉन्स के रूप में सराहना हो रही है।

    टिप्पणी: यह लेख विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार स्रोतों की जानकारी का संक्षिप्त और संतुलित संयोजन है। चूंकि हालात अभी भी बदल रहे हैं, इसलिए ताजातरीन और विश्वसनीय जानकारी के लिए सरकारी और अंतरराष्ट्रीय आधिकारिक बयानों की पुष्टि करते रहें।

  • बिना एक गोली चले, सिर्फ सिंधु नदी का पानी रोकना ही पाकिस्तान का विनाश कर देगा।

    बिना एक गोली चले, सिर्फ सिंधु नदी का पानी रोकना ही पाकिस्तान का विनाश कर देगा।

    सिंधु जल संधि का अंत पाकिस्तान के लिए एक धीमा लेकिन निश्चित विनाश लेकर आएगा। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह संधि हुई थी, जिसके तहत भारत ने पाकिस्तान को 80% से अधिक पानी दे दिया था। भारत ने केवल तीन पूर्वी नदियाँ — रावी, व्यास और सतलुज — अपने उपयोग के लिए रखीं, जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम का अधिकांश पानी पाकिस्तान के लिए छोड़ा गया। आज तक भारत ने इस संधि का पूरी ईमानदारी से पालन किया, जबकि पाकिस्तान ने हर मोर्चे पर भारत को घाव देने की कोशिश की। लेकिन अब समय बदल चुका है।

    पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का आधे से ज़्यादा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। कपास, गेहूं, गन्ना और चावल — ये सारी फसलें पानी पर टिकी हैं। अगर भारत सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर अपने अधिकार का पूरी तरह से उपयोग करना शुरू कर दे, तो पाकिस्तान की खेती बर्बाद हो जाएगी। भारत चाहे तो बरसात के समय गेट खोलकर विनाशकारी बाढ़ पाकिस्तान में छोड़ सकता है, और सूखे के समय बांधों के गेट बंद कर पाकिस्तान को पानी की एक-एक बूँद के लिए तरसा सकता है। पाकिस्तान पहले ही हर साल भयानक बाढ़ों का सामना कर रहा है। 2022 की बाढ़ में पाकिस्तान की 30% फसलें तबाह हो गई थीं और 3 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। पाकिस्तान की GDP का लगभग 2% सिर्फ उस एक बाढ़ में मिट्टी में मिल गया था। अगर भारत इस दबाव को रणनीतिक तरीके से बढ़ाए, तो पाकिस्तान के लिए हर साल का मानसून एक विनाशलीला बन जाएगा।

    भारत ने अपनी तरफ सिंधु बेसिन में बड़ी परियोजनाएँ बनानी शुरू कर दी हैं। किशनगंगा प्रोजेक्ट, रटल प्रोजेक्ट, पाकल डुल डैम — ये सब अब गति पकड़ रहे हैं। इनसे भारत को बिजली भी मिलेगी और पानी पर रणनीतिक नियंत्रण भी। पाकिस्तान ने पहले भी इन परियोजनाओं पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विरोध किया, लेकिन हर बार हार का मुंह देखा। अब जब भारत संधि को लेकर कानूनी पुनर्विचार कर रहा है, तो पाकिस्तान की घबराहट चरम पर है।

    पाकिस्तान की आंतरिक हालत वैसे ही नाजुक है। महंगाई आसमान छू रही है, IMF ने नए ऋण देने से हाथ खींच लिया है, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया लगातार गिर रहा है, और राजनीतिक अस्थिरता ने देश को हिलाकर रख दिया है। इन परिस्थितियों में अगर भारत ने पानी का प्रहार शुरू किया, तो न खेतों में हरियाली बचेगी, न कारखानों में काम, न ही शहरों में पीने का पानी।

    युद्ध में दुश्मन को हराने के लिए हमेशा गोलियों और बमों की ज़रूरत नहीं होती। कभी-कभी दुश्मन के जीवन का आधार काट देना सबसे कारगर हथियार बन जाता है। पाकिस्तान की नसों में बहता पानी ही उसकी अर्थव्यवस्था का खून है। अगर वह खून सूखने लगे, तो बिना एक भी गोली चलाए दुश्मन घुटनों पर आ सकता है।

    भारत अब बदल चुका है। अब न सीमाओं पर चुप्पी है, न समझौतों की राजनीति। अब चोट का जवाब चोट से दिया जाएगा, और वार वही होगा जो दुश्मन की आत्मा को झकझोर दे। सिंधु जल संधि के अंत की आहट से ही पाकिस्तान में बौखलाहट मच चुकी है। आने वाले समय में भारत रणनीतिक तरीके से अपने जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग कर पाकिस्तान को उसी की साजिशों की कीमत चुकाने पर मजबूर करेगा।

    यह लड़ाई बंदूक से ही नहीं, बूंद-बूंद से जीती जाएगी। और जब खेतों में दरारें पड़ेंगी, जब नदियाँ रेत बन जाएँगी, जब शहरों में पानी के लिए हाहाकार मचेगा — तब पाकिस्तान को असली हार का एहसास होगा। दुश्मन को हराने का सबसे सुंदर तरीका है उसे उसके ही बोझ तले कुचल देना। और सिंधु का पानी अब भारत के लिए वही अस्त्र बन चुका है।

  • पहलगाम हमला: पाकिस्तान की नाकामी की बौखलाहट का खतरनाक चेहरा!

    पहलगाम हमला: पाकिस्तान की नाकामी की बौखलाहट का खतरनाक चेहरा!

    पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया है कि पाकिस्तान की फितरत कभी नहीं बदल सकती!
    जब भारत आगे बढ़ता है, जब कश्मीर शांति और विकास की राह पर चलता है, तभी पाकिस्तान जैसे बौखलाए दुश्मन अपनी नापाक हरकतों पर उतर आते हैं।

    जेडी वेंस का भारत दौरा बना परेशानी की जड़!

    अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस अपने भारत दौरे पर थे। उनकी पत्नी भारतीय मूल की हैं। वेंस, जिनका रवैया अन्य विश्व नेताओं के मुकाबले भारत के प्रति कहीं ज़्यादा सकारात्मक है, इस दौरे में व्यापार और रक्षा साझेदारी पर चर्चा कर रहे थे।

    पाकिस्तान को यह साफ दिखाई दे रहा था, अमेरिका में भी भारत की पकड़ मज़बूत होती जा रही है।

    मोदी का सऊदी अरब दौरा भी बना पाकिस्तान की जलन का कारण

    उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा अहम दौरा सऊदी अरब में चल रहा था। तेल, सुरक्षा और निवेश जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त समझौते हो रहे थे। ऐसे समय में जब अमेरिका रूस से तेल लेने वालों पर और सख्त प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। भारत का हर कदम पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और भी अकेला कर रहा था।

    घाटी में बहती विकास की हवा, पाकिस्तान को लगी मिर्ची

    धारा 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने जो सपना देखा था, घाटी में आग, खून, विद्रोह, वो चकनाचूर हो गया।

    आज कश्मीर में पर्यटन के रिकॉर्ड टूट रहे हैं, नौजवान सेना और पुलिस में भर्ती हो रहे हैं,
    और अब तो वंदे भारत ट्रेन से कश्मीर भी जल्द पूरे देश से जुड़ने जा रहा है।

    घाटी अब टूरिज्म हब बन रही है, इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो रहा है, और सेना की तेज़ तैनाती भी संभव हो रही है, ये सब बातें पाकिस्तान की रातों की नींद हराम कर रही हैं!

    घाटी जल्द ही रेल्वे से पूरे देश से जुड़ जाएगी।

    पाकिस्तान समर्थक तत्वों की आखिरी कोशिश!

    पहलगाम हमला उन बचे-खुचे पाकिस्तान समर्थकों की आखिरी कोशिश है जो घाटी को फिर से हिंसा में झोंकना चाहते हैं। लेकिन हम सब समझते है कि:

    पूरा कश्मीर आतंकी नहीं है।
    हमें उन लोगों को अलग करना है जो पाकिस्तानी एजेंडे पर काम करते हैं।
    पर अगर हम सब कश्मीरियों से नफरत करेंगे तो वहां न रोजगार रहेगा, न विकास। और जब काम और रोटी नहीं होती, तो फिर खाली हाथ क्या थामेंगे… आप समझ सकते हैं।

    पाकिस्तान अब डर के साए में!

    पहलगाम का जवाब अब बहुत जल्द मिलने वाला है।
    सूत्रों के मुताबिक:

    • भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर पाकिस्तान के नज़दीक बढ़ रहा है,
    • अर्जुन टैंक युद्ध अभ्यास में जुटे हैं,
    • राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट्स भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं।

    पाकिस्तान ने एलओसी पर बौखलाहट में फायरिंग बढ़ा दी है, उनके फाइटर जेट बेस से उधम मचा रहे हैं। पर कब 10-15 ब्रह्मोस मिसाइलें पीओके के आतंकी अड्डों पर कब कहर बरपाएंगी, पाकिस्तान को खबर भी नहीं होगी!

    भारत देगा हर हमले का मुँहतोड़ जवाब!

    अब नया भारत है। चोट सहेगा नहीं — सीधा वार करेगा!
    कश्मीर भारत का था, है और रहेगा!
    आतंकवादियों के साथ जो खड़े हैं, उनके लिए अब कोई रहम नहीं!

  • पहलगाम हमले के बाद भारत का ऑल-आउट एक्शन शुरू। कई आतंकियों की मौत, घर जलकर खाक।

    पहलगाम हमले के बाद भारत का ऑल-आउट एक्शन शुरू। कई आतंकियों की मौत, घर जलकर खाक।

    पहलगाम टूरिस्ट हमले के बाद भारत ने सुरक्षा रणनीति को हाई अलर्ट पर कर दिया है। छह आतंकियों के घरों को गिराने के बाद अब सैन्य तैयारी अपने चरम पर है। सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर के कई ज़िलों में तलाशी अभियान जारी है, और इसके समानांतर भारतीय सेनाएं ऑल-आउट मिलिट्री मूवमेंट शुरू कर चुकी हैं।

    भारतीय नौसेना का INS Vikrant विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर पाकिस्तान की ओर अग्रसर है। इसके साथ ही थार रेगिस्तान में अर्जुन टैंकों की बड़ी युद्धाभ्यास गतिविधियाँ देखी गई हैं। भारतीय वायुसेना के राफेल, सुखोई और तेजस जैसे फाइटर जेट्स ने दिनभर सीमावर्ती इलाकों में गश्त की।

    विशेषज्ञों के अनुसार, यह “प्रेशर बिल्डिंग ऑपरेशन” है, जिससे न केवल पाकिस्तान को कूटनीतिक संदेश दिया जा रहा है, बल्कि संभावित घुसपैठ या युद्ध जैसी परिस्थितियों के लिए पूरी तैयारी भी की जा रही है।

    आतंकियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ एक्शन

    अब तक लश्कर और जैश से जुड़े 6 आतंकियों के घरों को गिराया जा चुका है — जिनमें आसिफ शेख, आदिल ठोकर, हारिस अहमद (लश्कर) और अहसान उल हक (जैश) प्रमुख नाम हैं। ये सभी या तो पहलगाम हमले से जुड़े थे या पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर लौटे थे।

    सेना और जनता की साझा चेतावनी

    The Resistance Front (TRF) द्वारा हमले की जिम्मेदारी पहले ली गई, फिर इनकार कर देना एक बार फिर आतंक के नकाब को उजागर करता है। वहीं आम कश्मीरियों के बीच डर और गुस्से का माहौल है, पर इस बार देश के बहुसंख्यक वर्ग में संवेदनशीलता के साथ संयम और सख्ती दोनों की मांग उठ रही है।

  • पहलगाम में नरसंहारः आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत, एक नौसेना अधिकारी भी शामिल

    पहलगाम में नरसंहारः आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत, एक नौसेना अधिकारी भी शामिल

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक विनाशकारी आतंकवादी हमले के परिणामस्वरूप नौसेना के एक अधिकारी और खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी सहित 26 लोगों की मौत हुई, जो हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में सबसे घातक हमलों में से एक है। आतंकवादियों ने एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बैसरन घाटी में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, उनसे उनका धर्म पूछा, कुछ से कलमा बोलने को कहा, फिर गोलियां चलाई जिससे कई लोग मारे गये और अन्य पीड़ित रह गए और व्यापक दहशत और संकट पैदा हो गया।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा को कम कर दिया और भारत लौट आए, हमले की कड़ी निंदा की और आतंकवाद से लड़ने का संकल्प लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तत्काल सुरक्षा समीक्षा बैठक के लिए श्रीनगर पहुंचे, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित विभिन्न विश्व नेताओं ने भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।

    यह हमला चरम पर्यटन मौसम के दौरान और अमरनाथ यात्रा की तैयारियों के बीच हुआ, जिससे क्षेत्र में आने वाले आगंतुकों की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा हुईं।

    पीड़ितों में महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा सहित विभिन्न भारतीय राज्यों के पर्यटक भी शामिल थे, जिन्होंने त्रासदी के व्यापक प्रभाव को उजागर किया। हमले के बाद, अपराधियों को बेअसर करने के लिए एक आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया गया था, और घटना की पूरी सीमा निर्धारित करने और जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए जांच जारी है।

    अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में हैं; प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब की अपनी तीसरी यात्रा पर हैं; वंदे भारत श्रीनगर तक चलने वाली है, और अमरनाथ यात्रा निकट आ रही है। यह हमें डराने-संदेश भेजने के लिए हमला और योजना बनाई गई थी। अब हमें भी एक संदेश भेजने की जरूरत है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति हमारी संवेदनाएँ।

  • एग्ज़िट पोल फेल, भाजपा हरियाणा जीती। कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस की सरकार।

    एग्ज़िट पोल फेल, भाजपा हरियाणा जीती। कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस की सरकार।

    हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में इस बार राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने फिर से बाजी मार ली है और वह तीसरी बार सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है, जबकि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का गठबंधन सत्ता में आने के लिए तैयार है।

    हरियाणा में भाजपा ने इस बार कुल 90 सीटों में से 49 सीटों पर बढ़त बना ली है, जो 2019 के चुनावों से बेहतर प्रदर्शन है, जब पार्टी ने 40 सीटें जीती थीं। पार्टी ने इस बार ‘जाट वर्सेज नॉन जाट’ की राजनीति से गैर-जाट वोटरों को अपने साथ किया और जाट बहुल इलाकों में भी 9 नई सीटें जीत लीं। हरियाणा के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आ रही है।

    वहीं जम्मू-कश्मीर, जहां लगभग एक दशक बाद चुनाव हो रहे हैं, में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बाजी मार ली है। इस गठबंधन ने 52 सीटों पर बढ़त बनाई है, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस 36 सीटों पर और कांग्रेस 6 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, भाजपा 29 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है और अब तक 26 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है।

    पिछले चुनावों में प्रमुख भूमिका निभाने वाली पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) का इस बार लगभग सफाया हो गया है और उसे केवल 3 सीटों पर जीत मिली है। आम आदमी पार्टी और जेपीसी को एक-एक सीट पर जीत हासिल हुई है। निर्दलीय उम्मीदवार भी 7 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जिनमें से 6 ने जीत दर्ज की है।

    नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और बडगाम सीट से जीत चुके हैं, जबकि गांदरबल सीट पर भी उनकी बढ़त बनी हुई है।

    महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट से हार गई हैं और उन्होंने इसे जनता का फैसला मानते हुए स्वीकार किया। वहीं, भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना भी नौशेरा सीट से हार गए हैं।

    यह चुनाव परिणाम जहां हरियाणा में भाजपा की मजबूती को दिखा रहे हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन कश्मीर घाटी में नई सियासी दिशा तय करता दिख रहा है। भाजपा ने जम्मू संभाग में जीत हासिल की है।

  • जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव व राज्य का दर्जा जल्द, यूसीसी लागू और एक साथ चुनाव भी होगा: अमित शाह

    जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव व राज्य का दर्जा जल्द, यूसीसी लागू और एक साथ चुनाव भी होगा: अमित शाह

    गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कई महत्वपूर्ण बाते की हैं, जो देश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव डाल सकती है। उनके बयान ने जम्मू-कश्मीर, यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी), और नक्सलवाद के मुद्दों पर सरकार की योजनाओं को स्पष्ट किया है।

    जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव: अमित शाह ने घोषणा की है कि जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण होगा। शाह ने यह भी कहा कि चुनावों के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश से राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। धारा 370 हटने के बाद दुबारा से जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग थी। लद्दाख पे फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है।

    यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC): शाह ने अपने इंटरव्यू में यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा की सरकार आने के बाद अगले पांच साल में पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू किया जाएगा। यूसीसी का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करना है, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो। जैसे की हिंदू या मुसलमान नागरिकों पे पारिवारिक और शादी को लेकर एक से कानून लागू होंगे।

    शाह एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए।

    इसके अलावा, शाह ने यह भी कहा कि सभी चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे, जिससे चुनाव प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जा सके। इस कदम से जनता का धन बचेगा और बार बार चुनावी आचार संहिता लगने से लोगो के काम नहीं रुकेंगे। पर कई राज्य सरकारों को एक साल का समय ज्यादा और कुछ 1 साल पहले भंग करना होगा ताकि सारे चुनाव 2029 से हर 5 साल पे हो सके। बता दे, देश आजाद होने के बाद कई साल तक, चुनाव साथ ही होते थे।

    नक्सलवाद की समस्या: अमित शाह ने नक्सलवाद के मुद्दे पर भी बात की और आश्वासन दिया कि अगले 2-3 साल में देश में नक्सलियों की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है और जल्द ही देश नक्सलवाद मुक्त होगा। यह घोषणा उन क्षेत्रों के लोगों के लिए राहत की खबर है, जो लंबे समय से नक्सली हिंसा का सामना कर रहे हैं।

  • जम्मू-कश्मीर कृषि स्टार्ट-अप केंद्र (हब) के रूप में उभर रहा है

    जम्मू-कश्मीर कृषि स्टार्ट-अप केंद्र (हब) के रूप में उभर रहा है

    अनुसन्धान परिषद – भारतीय समवेत औषधि संस्थान (सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन) द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी में कर्तव्य पथ पर एक झांकी के माध्यम से भद्रवाह के लैवेंडर खेतों के अभि के चित्रण पर प्रसन्नता व्यक्त की। इसे एक सफलता की कहानी के रूप में गिनाते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि अरोमा मिशन से प्रेरणा लेते हुए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और नागालैंड राज्यों ने भी अब लैवेंडर की खेती शुरू कर दी है।

    मंत्री महोदय ने बताया कि जम्मू -कश्मीर के तीन हजार से अधिक युवा स्व-रोजगार के एक बड़े अवसर के रूप में उभरे इस मिशन में लगे हुए हैं और वे इससे लाखों रूपये कमा रहे हैं। डॉ. सिंह ने रेखांकित किया कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों और हर संभव सहायता प्रदान करने के सरकार के उपायों चाहे वह युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करना हो अथवा लैवेंडर उत्पादों के लिए उद्योग लिंकेज सुनिश्चित करना या फिर अन्य आवश्यक प्रावधान करने एवं इस क्रांति को बढ़ावा देने के लिए साजो-सामान संबंधी सहायता देना हो, के कारण प्राप्त हुई है I उन्होंने बताया कि लैवेंडर से बने उत्पाद महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हजारों की संख्या में बेचे जाते हैं और जिससे उत्पादकों को भरपूर राजस्व मिलता है।

    मंत्री महोदय ने याद दिलाया कि यह प्रधानमंत्री श्री मोदी ही थे जिन्होंने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया का स्पष्ट आह्वान किया था। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद लोग इस आंदोलन से जुड़ गये I डॉ. सिंह ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्टार्ट-अप्स की संख्या अब 350 से बढ़कर 1.25 लाख हो गई है, जिससे भारत इस क्षेत्र में विश्व में तीसरे स्थान पर है। केंद्रीय मंत्री ने युवाओं से कृषि स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल होने का आग्रह किया ताकि वे अर्थव्यवस्था में मूल्य संवर्धन में अपना योगदान दे सकने के साथ ही अमृत काल के अगले 25 वर्षों में भारत को नंबर एक अर्थव्यवस्था बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करने में सहायता कर सकें।

    आगे कार्रवाई का आह्वान करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि जो अभी तक जो क्षेत्र अनछुए हैं या फिर कम खोजे गए हैं, वे अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन करने की क्षमता रखते हैं I उन्होंने आगे कहा कि 2047 तक भारत राष्ट्र को विकसित बनाने के कार्य में जम्मू और कश्मीर की अगुवाई वाली बैंगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। जम्मू-कश्मीर, विशेषकर कठुआ में सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उनके लिए बंकरों का निर्माण किया गया है ताकि वे सीमा पार से अकारण गोलीबारी से बचने के लिए उनमे आश्रय ले सकें। जबकि पहले तो इन निवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता था। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि ऐसे में वे लोग या तो अपने रिश्तेदारों के यहां या फिर पंचायत में शरण लेते रहे। डॉ. सिंह ने कहा कि इसी तरह से यात्रा में आसानी के लिए राज्य के सुदूरवर्ती दुर्गम क्षेत्रों में सड़क संपर्क में भी सुधार किया गया है।

  • जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में रामनगर से रामवेल तक महत्वपूर्ण सड़क परियोजना का शिलान्यास

    जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में रामनगर से रामवेल तक महत्वपूर्ण सड़क परियोजना का शिलान्यास

    केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज उधमपुर जिले में रामनगर से रामवेल तक सड़क परियोजना की आधारशिला रखी।

    2.96 करोड़ रुपये की लागत वाली महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजना लंबे समय से मुकदमेबाजी में फंसी हुई थी। लेकिन मंत्री के प्रयासों से ये सुलझ गया और सड़क का शिलान्यास हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहाड़ी जिले उधमपुर के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सड़क संपर्क सुनिश्चित किया गया है। पीएमजीएसवाई तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के तहत शुरू हुई थी, लेकिन अगले 15 वर्षों में 2014 तक, देश में निर्मित पीएमजीएसवाई सड़कों की कुल लंबाई लगभग 3.7 लाख किलोमीटर थी, जबकि पिछले साढ़े नौ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में कुल लंबाई दोगुनी होकर 8 लाख किलोमीटर से अधिक हो गई है। उधमपुर देश के सभी जिलों में पहली तीन शीर्ष पीएमजीएसवाई सड़क परियोजनाओं में शामिल हो गया है।

    मंत्री ने अफसोस जताया कि इस क्षेत्र को पिछली सरकारों से उस तरह का ध्यान नहीं मिला, जिसका यह हकदार था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिबद्धता जताई थी कि उनकी सरकार सभी क्षेत्रों का समान रूप से विकास करेगी और इसे विकसित क्षेत्रों के बराबर लाएगी। डॉ. सिंह ने कहा कि श्री मोदी के संरक्षण में सरकार दूरदराज के इलाकों में उन सभी सुविधाओं को उन्नत करने में सफल रही है जिनकी लोगों ने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी।

    डॉ. जितेंद्र सिंह का निर्वाचन क्षेत्र एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसे दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें, तीन केंद्र-वित्त पोषित मेडिकल कॉलेज और अन्य केंद्र-वित्त पोषित कई परियोजनाएं मिलीं, जिनमें देविका नदी पुनर्जीवन परियोजना, कटरा-दिल्ली एक्सप्रेस रोड कॉरिडोर, बायोटेक पार्क और राष्ट्रीय स्तर की शाहपुर कंडी सिंचाई परियोजना, उत्तर भारत का पहला औद्योगिक क्षेत्र शामिल है।