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  • भारतीय नौसेना ने सोमाली समुद्री डाकुओं को हथियार डालने के लिए मजबूर किया, 19 नागरिकों को बचाया

    भारतीय नौसेना ने सोमाली समुद्री डाकुओं को हथियार डालने के लिए मजबूर किया, 19 नागरिकों को बचाया

    भारतीय नौसेना युद्धपोत सुमित्रा ने एफवी इमान पर समुद्री डकैती के दुस्साहस को विफल करते हुए, सोमालिया के पूर्वी तट पर एक और सफल समुद्री डकैती विरोधी अभियान को अंजाम दिया है। इस अभियान में मछली पकड़ने वाले जहाज अल नईमी और उसके चालक दल (19 पाकिस्तानी नागरिक) को 11 सोमाली समुद्री डाकुओं से बचाया गया है।

    भारतीय नौसेना के स्वदेशी अपतटीय गश्ती युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा को सोमालिया के पूर्व और अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी और समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए तैनात किया गया है। इस युद्धपोत ने 28 जनवरी 2024 को एक ईरानी ध्वजवावाहक मछली पकड़ने वाले जहाज (एफवी) इमान के अपहरण से जुड़ा एक संकट संदेश मिला था, जिसके मुताबिक इस जहाज के चालक दल को समुद्री डाकुओं ने बंधक बना लिया था। आईएनएस सुमित्रा ने एसओपी का पालन करते हुए एफवी को रोका और जहाज पर मौजूद चालक दल (17 ईरानी नागरिकों) को 29 जनवरी 2024 की सुवह सुरक्षित बचा लिया गया। एफवी इमान को पूरी तरह से स्वच्छ करने के बाद आगे की यात्रा पर रवाना कर गया है।

    इसके पश्चात, एक अन्य ईरानी ध्वजवाहक मछली पकड़ने वाले जहाज अल नईमी को खोजने और उसे सुरक्षित बचाने के लिए आईएनएस सुमित्रा ने फिर से कार्रवाई शुरू की। इस जहाज और इसके चालक दल (19 पाकिस्तानी नागरिक) को भी समुद्री डाकुओं ने बंधक बना लिया था । सुमित्रा ने 29 जनवरी 2024 को एफवी को रोक लिया और डाकुओं के खिलाफ जबरदस्त और शीघ्रता के साथ प्रभावी कार्रवाई को अंजाम देते हुए उन्हें चालक दल और जहाज की सुरक्षित रिहाई पर मजबूर कर दिया। जहाज पर साफ-सफाई करने और सोमाली समुद्री डाकुओं द्वारा बंदी बनाए गए चालक दल की स्वास्थ्य जांच के लिए इसे बोर्डिंग भी किया गया।

    आईएनएस सुमित्रा ने 36 घंटे से भी कम समय में, त्वरित, निरंतर और अथक प्रयासो के माध्यम से कोच्चि से लगभग 850 एनएम पश्चिम में दक्षिणी अरब सागर में 36 चालक दल (17 ईरानी और 19 पाकिस्तानी) के साथ दो अपहृत मछली पकड़ने वाले जहाजों को सुरक्षित बचाते हुए व्यापारी जहाजों पर समुद्री डकैती जैसे कृत्यों के लिए इनका भविष्य में मदर शिप के रूप में उपयोग किया जाता है । भारतीय नौसेना ने समुद्र में सभी नाविकों और जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सभी समुद्री खतरों के खिलाफ कार्रवाई करने में इस क्षेत्र में एक बार फिर से अपनी प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है।

  • आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को 40 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा देने के बाद सेवामुक्त किया गया

    आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को 40 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा देने के बाद सेवामुक्त किया गया

    भारतीय नौसेना के युद्धपोत चीता, गुलदार और कुंभीर को राष्ट्र की चार दशकों की गौरवशाली सेवा प्रदान करने के बाद 12 जनवरी, 2024 को सेवामुक्त कर दिया गया। इन जहाजों को कार्य मुक्त करने का कार्यक्रम पोर्ट ब्लेयर में एक पारंपरिक समारोह में आयोजित किया गया था, जिसमें सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज, नौसेना पताका और तीन जहाजों के डीकमीशनिंग प्रतीक को अंतिम बार नीचे उतारा गया।

    आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को पोलैंड के ग्डिनिया शिपयार्ड में पोल्नोक्नी श्रेणी के ऐसे जहाजों के रूप में तैयार किया गया था, जो टैंकों, वाहनों, कार्गो तथा सैनिकों को सीधे कम ढलान वाले समुद्र तट पर बिना गोदी के पहुंचा सकते थे। इन युद्धपोतों को क्रमशः 1984, 1985 और 1986 में पोलैंड में भारत के तत्कालीन राजदूत श्री एस के अरोड़ा (चीता एवं गुलदार) तथा श्री ए के दास (कुंभीर) की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। तीनों जहाजों के कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर क्रमशः कमांडर वीबी मिश्रा, लेफ्टिनेंट कमांडर एसके सिंह और लेफ्टिनेंट कमांडर जे बनर्जी को तैनात किया था। अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, आईएनएस चीता को कुछ समय के लिए कोच्चि व चेन्नई में रखा गया था और आईएनएस कुंभीर तथा गुलदार विशाखापत्तनम में सेवा दे रहे थे। बाद में इन जहाजों को अंडमान और निकोबार कमान में तैनात किया गया, जहां उन्होंने कार्यमुक्त होने तक अपनी सेवाएं दीं। ये युद्धपोत भारतीय नौसेना सेवा में लगभग 40 वर्षों तक सक्रिय रहे थे और 12,300 दिनों से अधिक समय तक समुद्र में रहते हुए सामूहिक रूप से लगभग 17 लाख समुद्री मील की दूरी तय की। अंडमान और निकोबार कमान के जल स्थलचर मंच के रूप में, इन जहाजों ने तट पर सेना के जवानों को उतारने के लिए समुद्र तट पर 1300 से अधिक अभियान संचालित किए हैं।

    इन युद्धपोतों ने अपनी शानदार यात्राओं के दौरान, कई समुद्री सुरक्षा गतिविधियों और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत अभियानों में भाग लिया है। उनमें से उल्लेखनीय अभियान इस प्रकार से हैं, आईपीकेएफ ऑपरेशन के हिस्से के रूप में ऑपरेशन अमन के दौरान उनकी भूमिका और मई 1990 में भारतीय व श्रीलंकाई सीमा पर हथियारों एवं गोला-बारूद की तस्करी तथा अवैध अप्रवास को नियंत्रित करने हेतु ऑपरेशन ताशा भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के सहयोग से चलाया गया एक संयुक्त अभियान था। इसके बाद इन्होंने 1997 में श्रीलंका में आए चक्रवात और 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद राहत कार्यों में उत्कृष्ट योगदान दिया था।

    भारतीय नौसेना के जहाजों चीता, गुलदार और कुंभीर ने भारतीय समुद्री परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है और उनका सेवामुक्त होना भारतीय नौसेना के इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय के अंत का प्रतीक है।पोर्ट ब्लेयर में आयोजित हुए समारोह में एयर मार्शल साजू बालाकृष्णन, एवीएसएम, वीएम, कमांडर-इन-चीफ अंडमान और निकोबार कमांड (सीआईएनसीएएन), वाइस एडमिरल तरुण सोबती, एवीएसएम, वीएसएम, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख, फ्लैग ऑफिसर, पूर्व कमांडिंग ऑफिसर तथा तीन जहाजों के कमीशनिंग क्रू भाग लिया। यह कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि एक ही श्रेणी के तीन युद्धपोतों को एक ही दिन में एक साथ सेवामुक्त कर दिया गया।