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  • अक्षय तृतीया: अक्षय पुण्य का पावन पर्व

    अक्षय तृतीया: अक्षय पुण्य का पावन पर्व

    अक्षय तृतीया, जिसे “अक्ती” या “आखा तीज़” भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। ‘अक्षय’ शब्द का अर्थ होता है — ‘जिसका कभी क्षय न हो।’ यानी इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य, दान, या पूजा-पाठ कभी व्यर्थ नहीं जाता। यह दिन सौभाग्य, समृद्धि और स्थायी फल प्रदान करने वाला माना जाता है।

    धार्मिक महत्त्व:

    1. त्रेतायुग की शुरुआत: मान्यता है कि इसी दिन त्रेतायुग का आरंभ हुआ था, जब भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था।
    2. गंगा अवतरण: इसी दिन गंगा धरती पर अवतरित हुई थी, जो मोक्षदायिनी मानी जाती है।
    3. महाभारत और अक्षय पात्र: वनवास के समय पांडवों को भगवान सूर्य ने अक्षय पात्र दिया था, जो कभी खाली नहीं होता था। यह वरदान इसी दिन प्राप्त हुआ था।
    4. कुबेर और लक्ष्मी पूजा: इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की विशेष पूजा का विधान है।

    पूजा विधि:

    प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

    घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।

    तांबे या चांदी के पात्र में जल, अक्षत (चावल), तुलसी, फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।

    पंचामृत से अभिषेक कर दीप-धूप दिखाएं।

    शुद्ध घी का दीपक जलाएं और “ॐ श्री लक्ष्म्यै नमः” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

    गरीबों को अन्न, वस्त्र, जल, स्वर्ण, छाता, पंखा, और शक्कर का दान करें।

    पीपल के वृक्ष की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।

    क्या करें और क्या न करें:

    क्या करें: सोना, चांदी, जमीन, वाहन, या नया व्यापार खरीदना शुभ माना जाता है।

    क्या न करें: क्रोध, कटु भाषा, निंदा और अपवित्रता से दूर रहें।

    आज के संदर्भ में:

    अक्षय तृतीया न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण पर्व बन चुका है। इस दिन सोना खरीदना अब परंपरा का हिस्सा बन गया है, क्योंकि इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। विवाह के लिए भी यह अबूझ मुहूर्त होता है — यानी बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के भी विवाह किए जा सकते हैं।

  • राजस्थान ब्राह्मण महासभा की 40 जिला इकाइयों में भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया

    राजस्थान ब्राह्मण महासभा की 40 जिला इकाइयों में भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया

    यद्यपि राजस्थान में तीव्र गर्मी और हीट वेव चल रही है फिर भी राजस्थान ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री केसरी चंद शर्मा के निर्देश पर महासभा की 40 जिला इकाइयों में भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया। प्रदेश के हजारों हजारों ब्राह्मण बंधुओं बहिनों ने प्रदेश में भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव शानदार और जानदार तरीके से आयोजन किया।

    परशुराम जन्मोत्सव कार्यक्रमों की पूर्णता कल शाम विद्याधर नगर जयपुर में परशुराम सर्कल पर महा आरती के साथ सम्पन्न हो गई। महा आरती में विधायक प्रशांत शर्मा, अनिल शर्मा, जयपुर लोकसभा प्रत्याशी मंजू शर्मा, आदि कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे।

    महासभा के प्रदेश अध्यक्ष केसरी चंद शर्मा और कार्यवाहक अध्यक्ष दीक्षांत शर्मा, प्रमुख महामंत्री मधुसूदन शर्मा और महिला अध्यक्ष अरुणा गौड़ ने महासभा के सभी जिला अध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं और विशेषकर महिला शक्ति को अपना बड़ा संख्याबल और एकजुटता दिखाने के लिए बधाई दी हैं।

    उक्त जानकारी देते हुए महासभा के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री महेश शर्मा ने बताया कि कल शाम महासभा गेट पर परशुराम जी की वंदना और दिवंगत पुरोधा स्व. पंडित भंवरलाल शर्मा जी के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ एक विशाल शोभा यात्रा प्रारंभ हुई। जिसमे हाथी, घोड़े, पालकी के साथ बैंड की धुन पर महिलाये नृत्य करती हुई चल रही थी और पूरी हाथ में ध्वज लिए परशुराम जी के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे।

    खासकर महिला प्रकोष्ठ की बहिनों की उपस्थिति जयपुर सहित सभी जिलों में दमदार रही। आज ही के दिन सुबह परशुराम परसर में रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया।

  • परशुराम जन्मोत्सव पर राज्य भर में विभिन्न कार्यक्रम और शोभा यात्राएं

    परशुराम जन्मोत्सव पर राज्य भर में विभिन्न कार्यक्रम और शोभा यात्राएं

    श्री परशुराम जी भगवान जन्मोत्सव कल 10 मई को बनाया जायेगा। राजस्थान के अग्रणी ब्राह्मण संगठन राजस्थान ब्राह्मण महासभा व उसकी विभिन्न जिला इकाइयां इस उपलक्ष में कार्यकर्म और शोभा यात्राओं का आयोजन कर रही है जो की आने वाले दिनों तक चलेंगे।

    श्री परशुराम जन्मोत्सव के उपलक्ष में श्री परशुराम भवन राजस्थान ब्राह्मण महासभा सेक्टर 4 विद्याधर नगर से श्री परशुराम शोभायात्रा 12 मई रविवार को 5:00 बजे सायँ प्रस्थान करेगी। ओम प्रकाश चोटिया, राज्य उपाध्यक्ष ने सभी बंधु इष्ट मित्र महिलाएं मातृशक्ति व सभी से 5:00 बजे श्री परशुराम भवन परिसर में पधारने और शोभा यात्रा को सफल बनाने का निवेदन किया। यही दिन में 9:00 बजे से रक्तदान शिविर है, रक्तदान शिविर को भी सफल बनाएं ऐसा उन्होंने कहा।

    राजस्थान ब्राह्मण महासभा इकाई डीडवाना के तत्वाधान में भगवान परशुराम जन्म दिवस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आज डीडवाना कुचामन जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु जी शर्मा को कार्यक्रम का निमंत्रण दिया। इकाई अध्यक्ष अशोक जी गोड़, इकाई महामन्त्री कैलाश सिवाल, युवा साथी बजरंग शर्मा बालिया और ब्रह्मदेव शर्मा प्रदेश वरिष्ट उपाध्यक्ष राजस्थान ब्राह्मण महासभा।

    दिनांक 10 /5/2024 को प्रातः 9 बजे गुलाब विहार श्योपुर रोड प्रताप नगर पर भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हैं । इकाई ने सभी से आग्रह किया की वे अपने परिवार जनों इष्टमित्रों सहीत भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं। समाज जनों की उपस्थिति समाज को गौरव प्रदान करेगी, लोग अपने इष्टमित्रों एवं परिवार सहित भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव कार्यक्रम में उपस्थित होकर अक्षय पुण्य को प्राप्त करें।

    राजस्थान ब्राह्मण महासभा जैसलमेर ने भी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन रखा है। 10 मई को सुंदरकांड का आयोजन, स्थान – श्री परशुराम धाम, समय – शाम 7 बजे, प्रभारी – श्री रामचन्द्र गोपा व श्री आर सी व्यास। 11 मई को मंहेदी प्रतियोगिता रखी गई है। स्थान – गीता आश्रम, समय- प्रातः 11 बजे, प्रभारी – श्रीमती वंदना जगाणी श्रीमती पुष्पा गज्जा व श्रीमती ज्योत्स्ना कल्ला। 11 मई को ही वाहन रैली है। स्थान – श्री परशुराम चौक से श्री परशुराम धाम, समय- शाम 4 बजे, प्रभारी – श्री जयंत व्यास श्री ग्वालदास छंगाणी श्री महेश शर्मा। 12 मई को फिर भव्य शोभा यात्रा है। समय- प्रातः 9 बजे से, स्थान – गीता आश्रम से श्री परशुराम धाम, प्रभारी – समस्त विप्र बंधु कमलेश छंगाणी जैसलमेर प्रदेश उपाध्यक्ष राजस्थान ब्राह्मण महासभा।

    भगवान परशुराम जन्मोत्सव शोभायात्रा हेतु परशुराम वाटिका में भोजशाला की तैयारी।

    वही चुरू में कल दिनाक 10 तारीख को भगवान श्री परशुराम जन्मोतस्व पर सुबह 8 बजे परशुराम नगर स्थित भगवान परशुराम जी की पुजा अर्चना कि जावेगी। शाम को 4 बजे राम मन्दीर चुरू से शोभा यात्रा निकाली जावेगी जो गड चोराहे सें परशुराम भवन में पुजा करके बद्रीनारायण मन्दीर तक जावेगी। महासभा ने सब सनातन प्रेमियो सें निवेदन किया है कि कार्यक्रमो में ज्यादा सें ज्यादा पहुंचकर शोभा बढावे।

  • श्री राम नवमी: भगवान राम के जन्मोत्सव का पावन पर्व

    श्री राम नवमी: भगवान राम के जन्मोत्सव का पावन पर्व

    श्री राम नवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है, जो अप्रैल-मई में आता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।

    श्री राम नवमी का पर्व पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है।

    रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं, लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को सन्तान का सुख नहीं दे पायी थीं। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ के निर्देश पर पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। यज्ञ के बाद महर्षि ऋष्यश्रृंग ने दशरथ की तीनों पत्नियों को खीर खाने को दी, जिसके बाद तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं।

    ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने श्रीराम को, कैकयी ने श्रीभरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों श्रीलक्ष्मण और श्रीशत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान श्रीराम का जन्म धरती पर दुष्ट प्राणियों का संहार करने के लिए हुआ था।

    इस साल 2024 में रामनवमी 17 अप्रैल को धूमधाम और श्रद्धा से बनाई जायेगी।