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  • वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031-32 तक 7480 मेगावाट से बढ़कर 22800 मेगावाट होगी

    वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031-32 तक 7480 मेगावाट से बढ़कर 22800 मेगावाट होगी

    सरकार ने कहा है कि वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031-32 तक 7480 मेगावाट से बढ़कर 22800 मेगावाट हो जाएगी। यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि सरकार ऊर्जा के इन स्रोतों को प्रोत्साहन देने के लिए परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा के अन्य स्रोतों के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए नीतिगत उपाय कर रही है।

    डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया है कि देश में कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए, सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिन्हें प्रशासनिक मंजूरी और वित्तीय स्वीकृति दी गई हैं। इन कदमों में दस स्वदेशी 700 मेगावाट दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टरों (पीएचडब्ल्यूआर) की बेड़े मोड में स्थापना, परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व (सीएलएनडी) अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए भारतीय परमाणु बीमा पूल (आईएनआईपी) का निर्माण, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के संयुक्त उद्यमों को परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने और प्रवेश करने में सक्षम बनाने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन ईंधन की आपूर्ति सहित परमाणु ऊर्जा सहयोग के लिए विदेशी देशों के साथ समझौते करना शामिल किया गया है।

  • प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र अनावंटित कोटे से करे 1000 मेगावाट विद्युत का अस्थाई आवंटन

    प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र अनावंटित कोटे से करे 1000 मेगावाट विद्युत का अस्थाई आवंटन

    जयपुर, 17 जनवरी। राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार को नई दिल्ली के श्रम शक्ति भवन में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह से मुलाकात की। इस दौरान प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हीरालाल नागर भी मौजूद रहे।

    मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री का ध्यान प्रदेश में रबी सीजन के चलते बिजली की बढ़ी हुई मांग की ओर आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम (आरवीयूएन) को आवंटित परसा ईस्ट-कांता बेसिन कैप्टिव कोल माइन्स से खनन प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हो पाने के कारण प्रदेश को कोयले की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इससे आरवीयूएन की लगभग 4 हजार 340 मेगावाट क्षमता की इकाइयों में विद्युत उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री ने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली आपूर्ति तथा किसानों को 6 घंटे प्रतिदिन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र की कोयला आधारित विद्युत इकाइयों के अनावंटित कोटे से प्रदेश को 1 हजार मेगावाट बिजली का अस्थायी आवंटन करने का आग्रह किया।

    केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि राजस्थान में किसानों और उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि रबी के सीजन में फसलों की सिंचाई हेतु विद्युत की मांग अधिक रहती है तथा वर्तमान में लगभग प्रतिदिन 3250 लाख यूनिट से अधिक की खपत दर्ज हो चुकी है। इसलिए इस बढ़ी हुई विद्युत की मांग को पूरा करने के लिए केन्द्रीय स्तर से सरकार के लिए अतिरिक्त विद्युत आपूर्ति करना आवश्यक है।

    बैठक के दौरान केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री पंकज अग्रवाल, ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री आलोक गुप्ता, ऊर्जा विकास निगम के एमडी श्री एम.एम.रिणवा भी मौजूद रहे।