हिन्दू नववर्ष भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। यह दिन न केवल नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि इसे विक्रम संवत, शक संवत और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।
हिन्दू नववर्ष 2025 की तिथि
वर्ष 2025 में हिन्दू नववर्ष की शुरुआत 30 मार्च (रविवार) को होगी। इस दिन से विक्रम संवत 2082 और शक संवत 1947 का शुभारंभ होगा।
हिन्दू नववर्ष का महत्व
- सृष्टि की रचना का दिन: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी।
- रामराज्याभिषेक: कई ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
- विक्रम संवत की शुरुआत: राजा विक्रमादित्य ने इसी दिन विक्रम संवत की स्थापना की थी, जो आज भी भारत में प्रचलित है।
- नया फसल चक्र: इस समय रबी की फसल कटने लगती है, जिसे किसान नए वर्ष के आगमन के रूप में देखते हैं।
हिन्दू नववर्ष के क्षेत्रीय नाम
भारत के विभिन्न हिस्सों में हिन्दू नववर्ष को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है:
- गुड़ी पड़वा – महाराष्ट्र
- उगादी – आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक
- चेटी चंड – सिंधी समुदाय
- विषु – केरल
- पोइला बैशाख – बंगाल
- बैसाखी – पंजाब
- पुथांडु – तमिलनाडु
कैसे मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष?
पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन – घरों और मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है।
गुड़ी या ध्वज फहराना – महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर गुड़ी फहराने की परंपरा है।
विशेष पकवान बनाना – इस दिन घरों में मीठे और पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।
सकारात्मक संकल्प लेना – लोग नए साल की नई शुरुआत के लिए संकल्प लेते हैं।
हिन्दू नववर्ष सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा, संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक है। यह नवचेतना और उल्लास का पर्व है, जो हमें न केवल अपनी जड़ों से जोड़ता है, बल्कि एक नए उत्साह और उमंग के साथ जीवन को आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी देता है।
आपको और आपके परिवार को हिन्दू नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं!