Tag: ASI

  • एएसआई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर साबित

    एएसआई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर साबित

    500 साल के इंतजार के बाद राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद के स्थान पर श्री राम लला का भव्य मंदिर श्री राम मंदिर, श्री अयोध्या में बनकर तैयार हुआ है। जिसमें राम जी के 5 साल की उम्र की भव्य मूर्ति आखिरकार प्राण प्रतिष्ठा के साथ 22 जनवरी को स्थापित हो गई। नई मूर्ति का नाम बालक राम रखा गया है व साथ ही रामलला विराजमान जो इतने सालों से राम जी की मूरत में टेंट में रहे और केस लड़ने के भी एक पात्र रहे, उन्हें भी नए राम मंदिर में नई राममूर्ति के पास ही पूर्ण परिवार के साथ स्थापित किया गया है।

    प्राण प्रतिष्ठा के कुछ दिन बाद ही खबर आई है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ASI, जो की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कर रही थी उसने यह सूचना अब वहां के हाई कोर्ट को दी है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे आखिरकार एक हिंदू मंदिर ही था जिसको तोड़कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद की स्थापना की गई। यह तर्क भी दिया जा रहा है की मस्जिद के नाम में ही हिंदू नाम छुपा हुआ है, ज्ञान वापी। आज दैनिक भास्कर में कई फोटो भी छपी हैं जो की आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया एएसआई ने वहां के हाई कोर्ट में सोपी है। इन फोटों में हिंदू स्तंभ, मूर्ति, घंटी, कमल आदि दिखाई दे रहे हैं जो की मस्जिद के नीचे और अंदर प्लास्टर करके दबे हुए हैं। इसे हिंदू पक्ष का यह दवा बेहद मजबूत हो गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद एक शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी वह अब वापस से यहां पर एक शिव मंदिर की स्थापना होनी चाहिए।

    पर इस मामले में और कृष्ण जन्म स्थान पर भी वापस से हिंदू मंदिर बनाने में एक बड़ा अड़चन है प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट 1991, जो कि अयोध्या में कार सेवा की वजह से उसे समय के तत्कालीन सरकार ने बनाया था। इस कानून में कहा गया है कि राम मंदिर को छोड़कर देश के किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति बिल्कुल वैसे ही रखी जाएगी जो की आजादी के समय 1947 में थी। यानी कि जहां मंदिर है वहां मंदिर ही रहेगा, जहां मस्जिद है वहा मस्जिद रहेगी। वहा किसी प्रकार के भी दावे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। पर यह प्लेस आफ वरशिप एक्ट कानून भी इस समय सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष के द्वारा चैलेंज किया हुआ है और इस पर फैसला आना बाकी है।

    अगर सुप्रीम कोर्ट ने प्लेस आफ वरशिप एक्ट को गैरकानूनी या असंवैधानिक घोषित कर दिया तो फिर राम जन्मभूमि के जैसे ही ज्ञानवापी “मस्जिद” और श्री कृष्ण जन्म भूमि के पावन स्थलों पर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट होते हुए अगर हिंदू पक्ष जाता और जीतता है तो वहां पर भी भव्य शिव मंदिर और श्री कृष्ण मंदिर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। जो की कानूनी भी है, संवैधानिक भी, धार्मिक भी और एक हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र के आत्मसमान के लिए जरूरी भी।