देवी अहिल्याबाई होलकर: एक आदर्श शासक और जननी स्वरूपा रानी

देवी अहिल्याबाई होलकर भारतीय इतिहास की एक ऐसी महान महिला शासक थीं, जिनकी न्यायप्रियता, दूरदृष्टि और सेवा भावना आज भी लोगों के लिए प्रेरणा है। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गाँव में हुआ था। बचपन से ही वे सरल, धार्मिक और साहसी स्वभाव की थीं। उनका विवाह मालवा के शासक खंडेराव होलकर से हुआ, लेकिन पति और फिर ससुर मल्हारराव की मृत्यु के बाद उन्होंने शासन की ज़िम्मेदारी संभाली।

अहिल्याबाई ने इंदौर को प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाया। उन्होंने न सिर्फ अपने राज्य को समृद्ध बनाया, बल्कि पूरे भारत में अनेक मंदिरों, घाटों, धर्मशालाओं और कुओं का निर्माण भी करवाया। काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, और द्वारका जैसे अनेक तीर्थस्थलों के पुनर्निर्माण में उनका योगदान अमूल्य है। वे धर्मनिरपेक्षता की मिसाल थीं, सभी समुदायों को समान सम्मान देती थीं।

ये भी पढ़ें:  अनेकता में एकता से कही ज्यादा बड़ा है भारत का विचार और उसकी आत्मा

उनका शासन महिलाओं के लिए विशेष रूप से सुरक्षित और सशक्त था। उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा और अन्य सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। वे प्रजा को अपने परिवार का हिस्सा मानती थीं और हर व्यक्ति की समस्याओं को व्यक्तिगत रूप से सुनती थीं।

देवी अहिल्याबाई न केवल एक कुशल प्रशासक थीं, बल्कि एक संवेदनशील माँ, धर्मनिष्ठ महिला और दूरदर्शी समाज सुधारक भी थीं। 13 अगस्त 1795 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनके कार्य आज भी देशभर में जीवित हैं। भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया और इंदौर एयरपोर्ट का नाम ‘देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट’ रखा गया।

ये भी पढ़ें:  आदर्शों की दो प्रतिमाएं: हनुमान जी और शिवाजी महाराज से सीखने योग्य जीवन मूल्य

आज भी जब किसी आदर्श शासक की बात होती है, तो देवी अहिल्याबाई का नाम गर्व से लिया जाता है।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *