हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लसबेला इलाके के हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह हिंदू देवी सती को समर्पित 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर पिछले तीन दशकों में काफी लोकप्रिय हुआ है और पाकिस्तान के कई हिंदू समुदायों के बीच आस्था का केंद्र बन गया है। कहते है के देवी सती के शरीर के 50 हिस्से हुए थे जिसमे की सिर यहां हिंगलाज में है। वही हाथ पाकिस्तान के कब्जे वाले आजाद कश्मीर के श्रद्धा पीठ में।

हिंगलाज माता मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है, जहाँ एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है, बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है।

हिंगलाज माता को एक शक्तिशाली देवी माना जाता है जो अपने सभी भक्तों के लिए मनोकामना पूर्ण करती है।

स्थानीय मुस्लिम भी हिंगलाज माता पर आस्था रखते हैं और मंदिर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। उन्होंने मंदिर को “नानी का मंदिर” कहते है। हर साल माता के मंदिर तक एक यात्रा और फिर मेला भरता है।

मंदिर के पास 4 दिन तक रहने वाले भक्तो के लिए बलूचिस्तान की सरकार तंबू, खाना पीना और सुरक्षा उपलब्ध कराती है। मेले में आने वाले सैकड़ों भक्त तो अपने घर से ही माता का मंदिर तक के कई सौ किलोमीटर के सफर को तप्ती रेत में नंगे पांव चल के पूरा करतें है।

मंदिर के पास के ही एक प्राकृतिक भाप के स्रोत वाले पहाड़ पे लोग चढ़ के उसकी गरम मिट्टी से मूरत बनाते है और उसे अपने चेहरे पे लगाते है।

फिलहाल विभिन्न स्रोतों के अनुसार पाकिस्तान में करीब 40 लाख हिंदू ही बचे है। इस यात्रा में करीब 1 लाख हिंदू भाग लेंगे। बलूचिस्तान की आम जनता भारत को पसंद करती है और पाकिस्तान की सेना और सरकार के भेदभाव की वजह से उनके खिलाफ है।
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