Category: स्वास्थ्य Health

  • अमित शाह ने साझा की अपनी वज़न घटाने की यात्रा और स्वास्थ्य जागरूकता पर जोर दिया

    अमित शाह ने साझा की अपनी वज़न घटाने की यात्रा और स्वास्थ्य जागरूकता पर जोर दिया

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी वज़न घटाने की प्रेरणादायक यात्रा साझा करते हुए बताया कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और भरपूर नींद उनकी इस सफलता के तीन प्रमुख स्तंभ रहे हैं। मई 2019 से शुरू हुई इस जीवनशैली में बदलाव की प्रक्रिया ने न सिर्फ उनके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार किया, बल्कि मानसिक स्पष्टता, कार्य क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति को भी बढ़ाया।

    एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने कहा, “इसने मेरी सोचने, निर्णय लेने और कार्य करने की क्षमता को बेहतर बनाया है।” उन्होंने यह भी बताया कि इन बदलावों के चलते अब उन्हें एलोपैथिक दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती।

    अपने 2020 से शुरू हुए स्वास्थ्य सुधार के अनुभव साझा करते हुए शाह ने विशेष रूप से युवाओं से अपील की कि वे अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। “मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे रोज़ दो घंटे व्यायाम और कम से कम छह घंटे की नींद जरूर लें। यह बेहद लाभकारी है। यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है,” उन्होंने कहा।

    शाह ने समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए लीवर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कॉर्पोरेट प्रयासों का भी समर्थन किया और समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

    उनकी यह यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत प्रेरणा है, बल्कि पूरे देश के लिए एक संदेश है: संतुलित जीवनशैली अपनाकर हम न सिर्फ अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता और

  • 2025 में देश में पड़ेगी रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, हीटवेव के दिन होंगे दोगुने

    2025 में देश में पड़ेगी रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, हीटवेव के दिन होंगे दोगुने

    नई दिल्ली: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस साल देश में अत्यधिक गर्मी पड़ने की चेतावनी दी है। अनुमान है कि 2025 अब तक का सबसे गर्म साल साबित हो सकता है। विशेष रूप से उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों – राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और दिल्ली – में हीटवेव (लू) के दिन दोगुने हो सकते हैं।

    आमतौर पर अप्रैल से जून के बीच लू 5-6 दिन तक चलती है, लेकिन इस बार यह अवधि 10-12 दिनों तक खिंच सकती है और ऐसे कई दौर देखने को मिल सकते हैं। IMD ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि हीटवेव कुल कितने दिनों तक चलेगी, लेकिन अगर अनुमान सही साबित हुए, तो देश में तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रह सकता है।

    हीटवेव कब मानी जाती है?

    IMD के मुताबिक, किसी दिन को हीटवेव घोषित करने के लिए तापमान का सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक होना जरूरी है। यह स्थिति अलग-अलग भौगोलिक इलाकों के लिए अलग-अलग होती है:

    मैदानी इलाकों में: अधिकतम तापमान 40°C से ऊपर हो।
    तटीय इलाकों में: अधिकतम तापमान 37°C से अधिक हो।
    पहाड़ी इलाकों में: अधिकतम तापमान 30°C से अधिक हो।

    अगर तापमान सामान्य से 6.5°C या उससे ज्यादा बढ़ जाता है, तो इसे गंभीर हीटवेव (Severe Heatwave) माना जाता है।

    गर्मी इस बार क्यों पड़ेगी ज्यादा?

    मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग, अल नीनो प्रभाव और जलवायु परिवर्तन के चलते इस साल देश के अधिकतर हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। इससे न केवल लू के दिन बढ़ेंगे, बल्कि रातें भी असामान्य रूप से गर्म हो सकती हैं।

    जनता को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

    1️⃣ बाहर निकलते समय छाता, टोपी या गीला कपड़ा साथ रखें।
    2️⃣ पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पिएं।
    3️⃣ गर्मियों में हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें।
    4️⃣ दोपहर 12 बजे से 4 बजे के बीच धूप में जाने से बचें।
    5️⃣ बुजुर्गों और बच्चों को विशेष रूप से धूप से बचाएं।

    अगर मौसम विभाग का अनुमान सही साबित हुआ, तो 2025 देश के इतिहास में सबसे गर्म वर्षों में शुमार हो सकता है। ऐसे में सरकार और आम नागरिकों को गर्मी से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना होगा।

  • राजस्थान देश में सबसे गर्म। आखिर हिट वेव का सामना कैसे करें?

    राजस्थान देश में सबसे गर्म। आखिर हिट वेव का सामना कैसे करें?

    इन गर्मियों में राजस्थान देश में सबसे गर्म है, कई जिलों में अभी से तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। आखिर इस खतरनाक गर्मी के मौसम में कैसे अपने को बचाए? क्या सिर्फ पानी पीने का तरीका भी महत्वपूर्ण है? आइए जानते है।

    1. डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए तो ज्यादा ठंडा पानी न पिएं, क्योंकि इससे हमारी छोटी रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं। बताया गया कि एक डॉक्टर का दोस्त बहुत गर्म दिन से घर आया था – उसे बहुत पसीना आ रहा था और वह जल्दी से खुद को ठंडा करना चाहता था – उसने तुरंत अपने पैर ठंडे पानी से धोए .. अचानक, वह गिर गया और उसे अस्पताल ले जाया गया।

    2. जब बाहर की गर्मी 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए और जब आप घर आएं तो ठंडा पानी न पिएं – केवल सादा पानी धीरे-धीरे पिएं। अगर आपके हाथ या पैर तेज धूप के संपर्क में हैं तो उन्हें तुरंत न धोएं। नहाने या नहाने से पहले कम से कम आधा घंटा रुकें

    3. किसी ने गर्मी से राहत पाना चाहा और तुरंत नहा लिया। नहाने के बाद, उस व्यक्ति के जबड़े में अकड़न थी और उसे दौरा पड़ा था, उसे अस्पताल ले जाया गया।

    4.गर्म महीनों के दौरान या यदि आप बहुत थके हुए हैं, तो तुरंत बहुत ठंडा पानी पीने से बचें, क्योंकि इससे नसें या रक्त वाहिकाएं संकरी हो सकती हैं, जिससे स्ट्रोक हो सकता है।

  • राजस्थान में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के नवीनीकरण में आई तकनीकी बाधाएँ: आम जनता परेशान

    राजस्थान में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के नवीनीकरण में आई तकनीकी बाधाएँ: आम जनता परेशान

    राजस्थान की महत्वपूर्ण स्वास्थ्य फ्लैगशिप योजना, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, जिसका नाम अब मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना कर दिया गया है में नवीनीकरण को लेकर जनता को गफलत हो रही है। इस योजना में पंजीकृत सभी सरकारी और निजी चिकित्सालयों में निशुल्क लाभ उठाने की सुविधा है पर नवीनीकरण की प्रक्रिया में जनता को अपेक्षित जानकारी नहीं मिल पा रही है व लोग परेशान है। इस योजना के लिए आवश्यक रजिस्ट्रेशन निशुल्क कैटेगरी के अंतर्गत आने वाले परिवारों, लघु एवं सीमांत किसानों, कोविड-19 के लाभार्थियों और संविदा कर्मचारियों के लिए मुफ्त में होता है, वहीं अन्य सभी को 850 रुपए का शुल्क देकर रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।

    हालांकि, नवीनीकरण की तिथि जो कि 30 अप्रैल को निर्धारित थी, वह बढ़ाई नहीं गई है और कई जगहों पर टेक्निकल कमी के कारण लोग रिन्यू नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण राजस्थान के नागरिक साइबर कैफे के चक्कर काटते रह गए, व कई जगह ई मित्र खुद जानकारी की कमी से लोगो को सही से मदद नहीं कर पा रहा है। जनआधार कार्ड धारकों को इस योजना के तहत बढ़े हुए लाभ, जिसमें 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए तक की स्वास्थ्य सेवाएँ और 10 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा शामिल है मिलते है।

    कई लोगो ने सरकार से इसकी तिथि बड़ाने और जानकारी को सरल बनाने के लिए आग्रह किया है ताकि वो बीमे से छूट न जाए।

  • एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा उसकी कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के हार्ट अटैक जैसे दुर्लभ लेकिन गंभीर दुष्प्रभाव हैं। ब्रिटेन में कोर्ट केस।

    एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा उसकी कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के हार्ट अटैक जैसे दुर्लभ लेकिन गंभीर दुष्प्रभाव हैं। ब्रिटेन में कोर्ट केस।

    ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन के कारण कई लोगों की मृत्यु और गंभीर बीमारियां हुई हैं। 51 मुकदमे ब्रिटिश हाईकोर्ट में चल रहे हैं और वही विभिन्न पीड़ितों ने कंपनी से ₹1000 करोड़ का हर्जाना मांगा है। हाईकोर्ट में जमा दस्तावेजों में, एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उनकी वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) हो सकता है, जिससे रक्त के थक्के और प्लेटलेट की कमी हो सकती है।

    एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, के दुर्लभ लेकिन गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यह दुष्प्रभाव थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) है। टीटीएस के लक्षणों में तेज या लगातार सिरदर्द, धुंधला दिखना, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पैरों में सूजन, लगातार पेट की परेशानी, छोटे-छोटे रक्त के धब्बे या इंजेक्शन स्थल के आसपास आसानी से चोट लगना शामिल हैं।

    यदि आप कोविशील्ड लेने के बाद इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। कोविशील्ड के लाभ अभी भी दुर्लभ दुष्प्रभावों से कहीं ज्यादा हैं। इस वैक्सीन ने भारत सहित दुनिया भर में लाखों लोगों को कोविड-19 से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।यह जानकारी साझा करना महत्वपूर्ण है ताकि लोग कोविशील्ड के संभावित दुष्प्रभावों से अवगत रहें और यदि वे अनुभव करते हैं तो तुरंत चिकित्सा सहायता ले सकें। यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि कोविशील्ड के लाभ अभी भी दुर्लभ दुष्प्रभावों से कहीं ज्यादा हैं।

  • एमडीएच चेयरमैन महाशय राजीव गुलाटी ने मसालों में ईटीओ की कथित मौजूदगी का किया खंडन, कहा हमे कोई नोटिस ही नहीं मिला।

    एमडीएच चेयरमैन महाशय राजीव गुलाटी ने मसालों में ईटीओ की कथित मौजूदगी का किया खंडन, कहा हमे कोई नोटिस ही नहीं मिला।

    गोपेन्द्र नाथ भट्ट नई दिल्ली: सिंगापुर एवं हांगकांग आदि विदेशी बाजारों में एमडीएच के तीन उत्पादों के बारे में फैलाई जा रही भ्रांतियों तथा उन पर लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए एमडीएच के चेयरमैन महाशय राजीव गुलाटी ने स्पष्ट रूप से कहा कि ये सभी दावे झूठे हैं और इनका कोई ठोस सबूत नहीं है। इसके अतिरिक्त, हम यह दावा करना चाहेंगे कि एमडीएच को सिंगापुर या हांगकांग के नियामक एजेन्सियों की तरफ से भी इस बारे में कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है।

    उन्होंने बताया कि स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया और एफएसएसएआई जैसी नोडल नियामक एजेन्सी को भी इस मामले के संबंध में हांगकांग या सिंगापुर के अधिकारियों की तरफ से कोई जानकारी या परीक्षण रिपोर्ट नहीं भेजी गई है। यह इस तथ्य की पुष्टि करता है कि एमडीएच के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार तथा तथ्यों से परे हैं और इस बारे में कोई भी ठोस सबूत मौजूद नहीं है। एमडीएच ने अपने खरीदारों और उपभोक्ताओं को आश्वस्त करने की दृष्टि से कहा कि एमडीएच अपने मसालों के भंडारण, प्रसंस्करण या पैकिंग के किसी भी चरण में एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) का उपयोग नहीं करते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान करने की हमारी प्रभावशाली 105 साल पुरानी विरासत अपना विश्वास बनाए रखने में हमारे समर्पण की पुष्टि करती है।

    गुलाटी के अनुसार गुणवत्ता और सुरक्षा के प्रति एमडीएच की प्रतिबद्धता कम्पनी के दिवंगत संस्थापक अध्यक्ष महाशय धर्मपाल गुलाटी द्वारा निर्धारित मानकों को बनाए रखने के प्रति हमारे समर्पण में झलकती है, जिनकी विरासत को उनके बेटे एमडीएच ग्रुप के अध्यक्ष महाशय राजीव गुलाटी आगे बढ़ा रहे हैं। उनका सिद्धांत केवल उत्पादों को बढ़ावा देना और बेचना नहीं है, बल्कि अपने पिता की 105 साल पुरानी विश्वसनीयता को बनाये रखना भी है। वे स्वयं भी इन उत्पादों का उपभोग करते हैं, जो कि कंपनी के सुरक्षित और स्वस्थ मसालों के उत्पादन के बारे में पूर्ण निष्ठा को दर्शाता है।

    महाशय धर्मपाल गुलाटी 98 साल की उम्र तक उन्हीं मसालों का सेवन करते रहे जिनका उन्होंने उत्पादन किया और बाजारों में उतारे। भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कृत महाशय जी के प्रयासों की मान्यता बाजार में सुरक्षित और स्वस्थ उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एमडीएच की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हम अपने उपभोक्ताओं को आश्वस्त करना चाहते हैं कि एमडीएच घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों का पालन करता है, एमडीएच अनुपालन और उपभोक्ता सुरक्षा के प्रति अपने समर्पण की पुष्टि करता है।राजीव गुलाटी ने कहा कि एमडीएच की टैगलाइन, ”असली मसाला सच, सच, एमडीएच एमडीएच और ”भारत के असली मसाले, अपने ग्राहकों को प्रामाणिक, उच्च गुणवत्ता वाले मसाले प्रदान करने के लिए हमारी वास्तविक प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। विश्वसनीयता और उत्कृष्टता के हमारे ट्रैक रिकॉर्ड के साथ आश्वासन का यह संदेश, हमारे मूल्यवान ग्राहकों के मन में दृढ़ता से गूंजने की संभावना है, जिससे एमडीएच उत्पादों में उनका विश्वास मजबूत होगा।

  • स्वास्थ्य बीमा में कई बड़े बदलाव: IRDAI ने हटाई आयु सीमा, अब सभी ले सकेंगे पॉलिसी

    स्वास्थ्य बीमा में कई बड़े बदलाव: IRDAI ने हटाई आयु सीमा, अब सभी ले सकेंगे पॉलिसी

    भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए आयु सीमा हटा दी है। इसका मतलब है कि 1 अप्रैल 2024 से शुरू होकर, किसी भी उम्र का व्यक्ति नई स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए आवेदन कर सकता है। पहले, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने की अनुमति नहीं थी. यह हालिया संशोधन स्वास्थ्य बीमा बाजार का विस्तार करने और आबादी के लिए स्वास्थ्य देखभाल खर्च को अधिक प्रबंधनीय बनाने का लक्ष्य रखता है।

    आइये जानें मुख्य बदलावों को:

    1 अप्रैल 2024 से लागू यह सुधार, स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा चाहने वालों के लिए एक स्वागत योग्य बदलाव है। यह सभी उम्र के व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य देखभाल वित्त का प्रभार संभालने का अधिकार देता है।

    सभी आयु के लिए खुला: अब किसी भी उम्र का व्यक्ति नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीद सकता है।

    विविध जरूरतों के लिए उत्पाद: IRDAI ने बीमा कंपनियों को विभिन्न आयु समूहों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को डिजाइन करने का निर्देश दिया है, जिनमें वरिष्ठ नागरिक, छात्र, बच्चे और मातृत्व देखभाल शामिल हैं।

    व्यापक कवरेज: बीमा कंपनियों को अब कैंसर, हृदय रोग या एड्स जैसी पहले से मौजूद बीमारियों के आधार पर कवरेज देने से मना करने की अनुमति नहीं है।

    लचीला प्रीमियम: पॉलिसीधारकों के पास अब किस्तों में प्रीमियम चुकाने का विकल्प है, जिससे स्वास्थ्य बीमा अधिक किफायती हो जाता है।

    कई दावे: लाभ-आधारित बीमा रखने वाले व्यक्ति अलग-अलग बीमाकर्ताओं के साथ दावा दायर कर सकते हैं, जो अधिक लचीलापन प्रदान करता है।

    कम हुई प्रतीक्षा अवधि: स्वास्थ्य बीमा की प्रतीक्षा अवधि 48 महीने से घटाकर 36 महीने कर दी गई है। इसका मतलब है कि सभी पहले से मौजूद बीमारियों को 36 महीने के बाद कवर किया जाएगा, भले ही पॉलिसीधारक ने शुरुआत में उनका खुलासा किया हो या नहीं।

    IRDAI का यह कदम भारत में अधिक समावेशी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उन वरिष्ठ नागरिकों और अन्य लोगों के लिए द्वार खोलता है जिन्हें पहले स्वास्थ्य बीमा प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। इसके अतिरिक्त, यह बीमा प्रदाताओं को अपने उत्पादों में विविधता लाने और व्यापक जनसांख्यिकी को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

    IRDAI ने बीमा कंपनियों को वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष पॉलिसी बनाने और उनके दावों और शिकायतों को संभालने के लिए समर्पित चैनल स्थापित करने का भी निर्देश दिया है। हालांकि आयु सीमा हटाना एक प्रमुख सुर्खी है, ये अतिरिक्त उपाय सुनिश्चित करते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा के साथ एक अच्छा अनुभव हो।

  • नेस्ले मिला रहा है भारत और गरीब देशों में बेचे जाने वाले शिशु आहार में चीनी। यूरोप और ब्रिटेन में नहीं।

    नेस्ले मिला रहा है भारत और गरीब देशों में बेचे जाने वाले शिशु आहार में चीनी। यूरोप और ब्रिटेन में नहीं।

    नेस्ले भारत और गरीब देशों में बेचे जाने वाले शिशु आहार में चीनी मिलाता है, लेकिन यूरोप और ब्रिटेन में नहीं पब्लिक आई और आईबीएफएएन (इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नेस्ले एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले अपने शिशु आहार उत्पादों में चीनी मिलाता है, जबकि यूरोप और ब्रिटेन में बेचे जाने वाले उत्पादों में चीनी नहीं होती है।

    भारत में, जहां 2022 में नेस्ले की बिक्री $250 मिलियन से अधिक हो गई हैं ये सामने आया है की सभी सेरेलाक बेबी अनाज में चीनी मिलाई जाती है, प्रति सर्विंग औसतन लगभग 3 ग्राम। जांच में पाया गया कि जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में नेस्ले द्वारा बेचे गए छह महीने के बच्चों के लिए सेरेलेक गेहूं आधारित अनाज में कोई अतिरिक्त चीनी नहीं थी, जबकि ऐसे ही उत्पाद में इथियोपिया में प्रति सर्विंग 5 ग्राम और थाईलैंड में 6 ग्राम से अधिक चीनी होती है जिससे बच्चो की इसकी लत लग सकती है व ये उनके स्वास्थ्य की खराब हो सकता है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि जीवन में जल्दी चीनी के संपर्क में आने से शर्करा वाले उत्पादों के लिए जीवन भर प्राथमिकता और आदत पैदा हो सकती है, जिससे मोटापे और अन्य पुरानी बीमारियों के विकास का खतरा बढ़ सकता है।

    ऐसे ही खबर आ रही है की भारत में नेस्ले की चॉकलेट में भी चीनी ज्यादा और कोको की मात्रा विदेशी सामान से कम है।

  • बढ़ती उम्र में मासपेशियों की बीमारी सरकोपीनिया

    बढ़ती उम्र में मासपेशियों की बीमारी सरकोपीनिया

    सरकोपीनिया उम्र बढ़ने के परिणाम स्वरूप, शरीर के स्केलेटन और मांसपेशियों की ताकत में गिरावट आती है। मांसपेशियों की कमजोरी को सरकोपेनिया कहा जाता है। उचित जानकारी व सजगता के अभाव में यह बीमारी डायबिटीज टाइप-2 की तरफ धकेलती जाती है। यह बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में हुए एक अध्ययन में सामने आई है।

    सरकोपेनिया आमतौर पर बुजुर्ग और गतिहीन आबादी और उन रोगियों को प्रभावित करता है जिनमें सह-रुग्णताएं होती हैं जो मस्कुलोस्केलेटल प्रणाली को प्रभावित करती हैं या शारीरिक गतिविधि को ख़राब करती हैं।

    बचने के उपाय:

    1- जितना हो सके खड़े रहने की आदत डालनी चाहिए। कम से कम बैठे। यदि आप बैठ सकते हैं तो कम से कम लेटें।

    2- अगर कोई अधेड़ उम्र का व्यक्ति अस्पताल में भर्ती है तो उसे ज्यादा आराम करने के लिए न कहें। लेटने और बिस्तर से न उठने की सलाह न दें। एक सप्ताह तक लेटे रहने से मांसपेशियाँ की संख्या 5% कम हो गई है। एक बूढ़ा आदमी अपनी मांसपेशियों का पुनर्निर्माण नहीं कर सकता, एक बार वे ख़त्म हो गईं तो ख़त्म हो गईं। सामान्य तौर पर, कई वरिष्ठ नागरिक जो सहायक नियुक्त करते हैं, उनकी मांसपेशियां जल्दी ही कमजोर हो जाती हैं।

    3- सरकोपेनिया ऑस्टियोपोरोसिस से भी ज्यादा खतरनाक है।ऑस्टियो पोरोसिस में आपको केवल यह सावधान रहने की आवश्यकता है कि आप गिरें नहीं, जबकि सरकोपेनिया न केवल जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि अपर्याप्त मांसपेशी द्रव्यमान के कारण उच्च रक्त शर्करा का कारण भी बनता है।

    4- मांसपेशी नुकसान में सबसे तेजी से पैरों की मांसपेशियों में हानि होती है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जब कोई व्यक्ति बैठता है या लेटता है तो पैर हिलते नहीं हैं और पैर की मांसपेशियों की ताकत प्रभावित होती है।आपको सरकोपेनिया से सावधान रहना होगा। सीढ़ियाँ चढ़ना और उतरना, हल्की दौड़, साइकिल चलाना सभी बेहतरीन व्यायाम हैं और मांसपेशियों का निर्माण कर सकते हैं।

  • लंबे समय तक जवान रहने के लिए दिमाग को बूढ़ा होने से बचाएं

    लंबे समय तक जवान रहने के लिए दिमाग को बूढ़ा होने से बचाएं

    हमारा ब्रेन विचारों और बुद्धि का एक स्त्रोत है। जो पूरे शरीर को कंट्रोल करता है। मस्तिष्क के जरिए ही आपको छूने, हिलने, चलने, खाने, पीने, देखने इत्यादि की क्षमताओं का समन्वय करता है। ऐसे में ब्रेन का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। ब्रेन अगर सही न रहे, तो आपकी सारी कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है। हमारी कुछ आदतों की वजह से ब्रेन समय से पहले बूढ़ा होने लगता है।

    1. हमारी आदतें और खान पान हमारे दिमाग की कार्य क्षमता पर असर डालता है। जैसे शराब और नशीले खाद्य पदार्थ। शराब, तंबाखू, जर्दा , किमाम आदि न सिर्फ किडनी और लिवर को डैमेज करते है, बल्कि इसकी वजह से हमारा ब्रेन भी प्रभावित होता है। जब आप शराब पीते हैं, तो इससे ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ता है और ब्रेन की नसें सिकड़ने लगती है, जो डिमेंशिया का कारण बन सकता है।

    2. सोया युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हेल्दी होता है। लेकिन अगर आप जरूरत से अधिक सोया युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो इससे आपका ब्रेन काफी हद तक प्रभावित होता है।

    3. काफी ज्यादा मीठा खाना भी आपके ब्रेन की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकता है। जब आप काफी ज्यादा मीठा खाते हैं, तो इससे ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। साथ ही यह ब्रेन फॉग का कारण बन सकता है।

    4. नमक का काफी ज्यादा सेवन करने से भी आपके ब्रेन पर असर पड़ता है। यह भटकाव, कमजोर याददाश्त क्षमता, डिमेंशिया और अल्जाइमर का कारण बन सकता है। इसलिए कोशिश करें कि अधिक मात्रा में नमक का सेवन न करें।

    5. सिगरेट, बीड़ी जैसी चीजों के अधिक सेवन से भी आपका ब्रेन काम करना बंद कर सकता है। इससे याददाश्त क्षमता पर असर पड़ता है।

    ब्रेन पावर बढ़ाने के उपाय:

    1. रोजाना सुबह उठकर शारिरिक व्यायाम करने से मस्तिष्क स्वस्थ और तरोताजा रहता है। ब्रेन पावर बढ़ाने के लिए मस्तिष्क के लिए बताए जाने वाले योग करना चाहिए।

    2. ब्रेन पावर बढ़ाने के लिए हरी सब्जियां रामबाण हैं। हरी पत्‍तेदार सब्जियों जैसे पालक आदि को अपने डाइट में रोज शामिल करें। इसमें कई ऐसे पोषक तत्‍व पाए जाते हैं जो ब्रेन हेल्‍थ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।हरी सब्जियों में भरपूर मात्रा में विटामिन के, बेटा कैरेटीन, फॉलेट, विटामिन ई आदि पाया जाता है। विटामिन ई एक तरह का एंटीऑक्‍सीडेंट है, जो सेल्‍स को फ्री रेडिकल्‍स के नुकसान से बचाता है और कॉग्निटिव डिक्लाइन की समस्‍या को दूर रखता है।

    3. बींस, साबुत अनाज, फल ये सब विटामिन बी का बढ़िया स्रोत हैं। बींस में प्लांट बेस्ड प्रोटीन और फाइबर मौजूद होते हैं। ये ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करती हैं। अगर रोजाना कम से कम आधा कप बींस अथवा एक मुठ्ठी बादाम के सेवन से मस्तिष्क स्वस्थ और तंदरुस्त रहता है।

    4. स्वस्थ मस्तिष्क के लिए नींद पूरी लें। इससे ब्रेन पावर बढ़ती है।

    5. मेडिटेशन करने से दिमाग को शांति मिलती है, जिसके कारण ब्रेन पावर मजबूत होता है

    6. नशा किसी भी तरह से स्वस्थ दिमाग के लिए लाभदायक नहीं होता। तंबाकू और एल्कोहल के सेवन से न केवल मस्तिष्क पर असर पड़ता है, बल्कि इससे कई हेल्थ की समस्याएं भी सामने आती हैं। अगर आप भी अपने दिमाग की पावर बढ़ाना चाहते हैं तो आज ही इसका सेवन बंद कर दें।

    7. ज्यादा तनाव का मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए कभी भी ज्यादा स्ट्रेस न लें।

    8. ब्रेन के लिए ड्राई फ्रूट्स और ताजा फल काफी फायदेमंद माने जाते हैं। ब्रेन हेल्‍थ के लिए लिस्‍ट में इसे टॉप पर रखा जा सकता है।

    : दैनिक दृष्टि के लिए वेद ओमप्रकाश दाधीच।

  • राजस्थान में अंगदान को बढ़ावा: झालावाड़ मेडिकल कॉलेज बना नॉन ट्रांसप्लांट ऑर्गन रिट्राइवल सेंटर

    राजस्थान में अंगदान को बढ़ावा: झालावाड़ मेडिकल कॉलेज बना नॉन ट्रांसप्लांट ऑर्गन रिट्राइवल सेंटर

    चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह की पहल पर राजस्थान अंगदान के क्षेत्र में प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहा है। अंगदान की ऑनलाइन शपथ में अव्वल मुकाम हासिल करने के बाद अब प्रदेश में अंगदान करने को भी बढ़ावा मिल रहा है। इस मुहिम में अब झालावाड़ मेडिकल कॉलेज भी शामिल हो गया है। शनिवार को यहां एक ब्रेन डेड मरीज के ऑर्गन रिट्राइवल के लिए संवेदनशीलता के साथ प्रयास कर अंगदान महाभियान को आगे बढ़ाया गया।

    चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह ने अंगदान के इस पुनीत कार्य में विशेष प्रयास करते हुए झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को ऑर्गन एण्ड ट्श्यिू रिट्राइवल के लिए सर्टिफिकेट जारी करवाया। साथ ही, ब्रेन डेड मरीज के परिजनों की काउंसलिंग के बाद ऑर्गन रिट्राइवल की सहमति मिलते ही इस कार्य में सहयोग के लिए जयपुर एवं कोटा मेडिकल कॉलेज तथा जोधपुर एम्स से चिकित्सकों के दल रवाना करने के निर्देश दिए।

    जयपुर, कोटा एवं जोधपुर से गए चिकित्सा विशेषज्ञों के दलों ने झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के साथ अंगदान के इस कार्य को मूर्त रूप दिया। ब्रेन डेड मरीज से किडनी, लिवर एवं कॉर्निया प्राप्त किए गए। इनमें से एक किडनी तथा लिवर सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर तथा एक किडनी एम्स जोधपुर को आवंटित की गई। इन अंगों को तत्काल प्रभाव से जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाने के लिए राजस्थान ट्रैफिक पुलिस की सहायता से ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। चार एम्बुलेंस के माध्यम से इन अंगों को जयपुर एवं जोधपुर पहुंचाया गया।