Category: रक्षा Defense

  • भारत सरकार ने जारी की सैन्य फोटो वीडियो प्रसारण पर रोक की सूचना

    भारत सरकार ने जारी की सैन्य फोटो वीडियो प्रसारण पर रोक की सूचना

    सैन्य फोटो वीडियो के प्रसारण पर रोक की सूचना:

    संख्या: 41015/3/2024-बीसी-III
    भारत सरकार
    सूचना और प्रसारण मंत्रालय
    ‘ए’ विंग, शास्त्री भवन,
    नई दिल्ली – 110001
    दिनांक: 26 अप्रैल, 2025

    परामर्श

    प्रति: सभी मीडिया चैनलों को

    विषय: सभी मीडिया चैनलों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों और रक्षा अभियानों की लाइव कवरेज से परहेज करने के संबंध में परामर्श।

    राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में, सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स, समाचार एजेंसियों तथा सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को यह सलाह दी जाती है कि वे रक्षा तथा अन्य सुरक्षा संबंधी अभियानों की रिपोर्टिंग के दौरान अत्यधिक जिम्मेदारी बरतें और मौजूदा कानूनों एवं नियमों का सख्ती से पालन करें।

    विशेष रूप से: रक्षा अभियानों या सुरक्षा बलों की गतिविधियों से संबंधित किसी भी रियल-टाइम कवरेज, दृश्य प्रसारण, या “स्रोतों पर आधारित” जानकारी का प्रसारण नहीं किया जाना चाहिए। संवेदनशील जानकारी का समयपूर्व खुलासा शत्रुतापूर्ण तत्वों को अनजाने में सहायता पहुँचा सकता है और संचालन की प्रभावशीलता तथा कार्मिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।

    पूर्व की घटनाओं जैसे करगिल युद्ध, मुंबई आतंकवादी हमले (26/11), और कंधार अपहरण ने जिम्मेदार रिपोर्टिंग के महत्व को उजागर किया है।

    मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और व्यक्तिगत उपयोगकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कानूनी दायित्वों के अलावा, यह एक साझा नैतिक जिम्मेदारी भी है कि हमारे सामूहिक कार्य ongoing अभियानों या सुरक्षा बलों की सुरक्षा को खतरे में न डालें।

    सूचना और प्रसारण मंत्रालय पहले भी सभी टीवी चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 के नियम 6(1)(प) का पालन करने के लिए परामर्श जारी कर चुका है। नियम 6(1)(प) के अनुसार:

    “कोई भी ऐसा कार्यक्रम केबल सेवा में प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए जिसमें सुरक्षा बलों द्वारा किसी आतंकवाद विरोधी अभियान की लाइव कवरेज हो। ऐसे मामलों में मीडिया कवरेज को केवल संबंधित सरकार द्वारा नामित अधिकारी की समय-समय पर दी जाने वाली जानकारी तक सीमित रखा जाना चाहिए, जब तक कि ऑपरेशन समाप्त न हो जाए।”

    ऐसा प्रसारण केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 का उल्लंघन माना जाएगा और उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसलिए, सभी टीवी चैनलों को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सुरक्षा बलों की गतिविधियों और आतंकवाद विरोधी अभियानों की लाइव कवरेज न करने की सलाह दी जाती है। मीडिया कवरेज को केवल अधिकृत अधिकारी की समय-समय पर दी गई जानकारी तक सीमित रखा जाए।

    सभी हितधारकों से अनुरोध है कि वे रिपोर्टिंग के दौरान सतर्कता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी बनाए रखें तथा राष्ट्र सेवा में उच्चतम मानकों का पालन करें।

    यह परामर्श मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति से जारी किया गया है।

    (क्षितिज अग्रवाल)
    उप निदेशक

    प्रतिलिपि:

    केबल टेलीविजन (संशोधन) नियम, 2021 के तहत पंजीकृत टीवी चैनलों की स्व-नियामक संस्थाओं को।

    इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संगठन/संस्थाओं को।

    ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल को।

    (अंग्रेजी से हिंदी में अनुवादित)

  • स्वदेशी डिफेंस: डीआरडीओ ने लड़ाकू विमान तेजस के लिए स्वदेशी पार्ट्स एचएएल को सोपे

    स्वदेशी डिफेंस: डीआरडीओ ने लड़ाकू विमान तेजस के लिए स्वदेशी पार्ट्स एचएएल को सोपे

    रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने स्वदेशी लीडिंग एज एक्टयूएटर्स और एयरब्रेक कंट्रोल मॉड्यूल का पहला बैच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंप दिया है। यह वैमानिकी प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

    हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, लखनऊ ने मौजूदा 83 हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए के ऑर्डर को पूरा करने के लिए इनके उत्पादन की तैयारी पहले से ही कर ली है। एलसीए-तेजस के सेकेंडरी फ्लाइट कंट्रोल में अत्‍याधुनिक लीडिंग एज स्लैट्स और एयरब्रेक शामिल हैं। यह अतिउन्‍नत सर्वो-वाल्व आधारित इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक सर्वो एक्टयूएटर्स और कंट्रोल मॉड्यूल का दावा करता है।

    ये उच्च दबाव, नियंत्रण मॉड्यूल, अद्भुत डिजाइन, सटीक विनिर्माण और परीक्षण की विशेषता से लैस हैं तथा स्वदेशी तकनीकी कौशल में एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के निरंतर अनुसंधान का प्रतीक है।

  • कारगिल के हीरो: रामसहाय बाजिया

    कारगिल के हीरो: रामसहाय बाजिया

    बड़नगर पावटा में जन्मे रामसहाय बाजिया बचपन से ही लक्ष्य का पीछा करते थे और धुन के पक्के थे। दौड में अपना औऱ देश का नाम रोशन करना उनका ध्येय था। लेकिन नियति को यह मंजूर नहीं था। 27 जनवरी 1997 में सेना की 2 राजरिफ में भर्ती हुऐ। कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पहाड़ी पर माइन ब्लास्ट में बायां पैर चला गया। 2000 में रिटायरमेंट पर घर वापस आ गए। तब से लेकर आज तक निरंतर सैनिकों एवं उनके परिजनों एवं समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रहें हैं। सैनिकों के परिवारों के दुख दर्द को समझते हैं इसीलिए उनकी हरसंभव मदद करते हैं। रामसहाय बाजिया आज भी देश की दुश्मनों से हिफाजत के लिए सरहदों पर लड़ने के लिए तैयार हैं।

    बाजिया ने गत गहलोत सरकार में राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए प्रत्येक जिले में जाकर पूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं एवं शहीद परिवारों के बीच जाकर उनकी परेशानियों को नजदीक से सुना एवं जिला सैनिक कल्याण अधिकारी को समस्याओं के निस्तारण के निर्देश दिए। बाजिया की पहल पर ही प्रत्येक जिले में जिला कलक्टर ने महीने में एक दिन सिर्फ सैनिकों की समस्याओं को सुनने एवं उनके त्वरित निस्तारण करने के लिए मुकर्रर किया गया।

    पुलवामा आतंकी हमले पर बाजिया कहते हैं कि यह अपने आप में कायरता का प्रतीक था। भारतीय सेना के जांबाजों की नसों में देशभक्ति रक्त बन कर बहती है, इसीलिए आतंकवादियों में इतनी हिम्मत नही है कि वे देश के रणबांकुरों से रण में सीधा मोर्चा ले सकें। उन्होंने कहा कि विंग कमांडर अभिनंदन प्रत्येक देशवासी के लिए मिसाल एवं प्रेरणा स्रोत हैं। देश को ऐसे जांबाजों की जरूरत है। आज हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा है औऱ हमें इस सच्चे हीरो पर फक्र है। बाजिया आज भी सैनिकों एवं उनके परिजनों के लिए कल्याणकारी कार्यो में लगे रहते हैं।

  • भारतीय नौसेना ने सोमाली समुद्री डाकुओं को हथियार डालने के लिए मजबूर किया, 19 नागरिकों को बचाया

    भारतीय नौसेना ने सोमाली समुद्री डाकुओं को हथियार डालने के लिए मजबूर किया, 19 नागरिकों को बचाया

    भारतीय नौसेना युद्धपोत सुमित्रा ने एफवी इमान पर समुद्री डकैती के दुस्साहस को विफल करते हुए, सोमालिया के पूर्वी तट पर एक और सफल समुद्री डकैती विरोधी अभियान को अंजाम दिया है। इस अभियान में मछली पकड़ने वाले जहाज अल नईमी और उसके चालक दल (19 पाकिस्तानी नागरिक) को 11 सोमाली समुद्री डाकुओं से बचाया गया है।

    भारतीय नौसेना के स्वदेशी अपतटीय गश्ती युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा को सोमालिया के पूर्व और अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी और समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए तैनात किया गया है। इस युद्धपोत ने 28 जनवरी 2024 को एक ईरानी ध्वजवावाहक मछली पकड़ने वाले जहाज (एफवी) इमान के अपहरण से जुड़ा एक संकट संदेश मिला था, जिसके मुताबिक इस जहाज के चालक दल को समुद्री डाकुओं ने बंधक बना लिया था। आईएनएस सुमित्रा ने एसओपी का पालन करते हुए एफवी को रोका और जहाज पर मौजूद चालक दल (17 ईरानी नागरिकों) को 29 जनवरी 2024 की सुवह सुरक्षित बचा लिया गया। एफवी इमान को पूरी तरह से स्वच्छ करने के बाद आगे की यात्रा पर रवाना कर गया है।

    इसके पश्चात, एक अन्य ईरानी ध्वजवाहक मछली पकड़ने वाले जहाज अल नईमी को खोजने और उसे सुरक्षित बचाने के लिए आईएनएस सुमित्रा ने फिर से कार्रवाई शुरू की। इस जहाज और इसके चालक दल (19 पाकिस्तानी नागरिक) को भी समुद्री डाकुओं ने बंधक बना लिया था । सुमित्रा ने 29 जनवरी 2024 को एफवी को रोक लिया और डाकुओं के खिलाफ जबरदस्त और शीघ्रता के साथ प्रभावी कार्रवाई को अंजाम देते हुए उन्हें चालक दल और जहाज की सुरक्षित रिहाई पर मजबूर कर दिया। जहाज पर साफ-सफाई करने और सोमाली समुद्री डाकुओं द्वारा बंदी बनाए गए चालक दल की स्वास्थ्य जांच के लिए इसे बोर्डिंग भी किया गया।

    आईएनएस सुमित्रा ने 36 घंटे से भी कम समय में, त्वरित, निरंतर और अथक प्रयासो के माध्यम से कोच्चि से लगभग 850 एनएम पश्चिम में दक्षिणी अरब सागर में 36 चालक दल (17 ईरानी और 19 पाकिस्तानी) के साथ दो अपहृत मछली पकड़ने वाले जहाजों को सुरक्षित बचाते हुए व्यापारी जहाजों पर समुद्री डकैती जैसे कृत्यों के लिए इनका भविष्य में मदर शिप के रूप में उपयोग किया जाता है । भारतीय नौसेना ने समुद्र में सभी नाविकों और जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सभी समुद्री खतरों के खिलाफ कार्रवाई करने में इस क्षेत्र में एक बार फिर से अपनी प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है।

  • आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को 40 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा देने के बाद सेवामुक्त किया गया

    आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को 40 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा देने के बाद सेवामुक्त किया गया

    भारतीय नौसेना के युद्धपोत चीता, गुलदार और कुंभीर को राष्ट्र की चार दशकों की गौरवशाली सेवा प्रदान करने के बाद 12 जनवरी, 2024 को सेवामुक्त कर दिया गया। इन जहाजों को कार्य मुक्त करने का कार्यक्रम पोर्ट ब्लेयर में एक पारंपरिक समारोह में आयोजित किया गया था, जिसमें सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज, नौसेना पताका और तीन जहाजों के डीकमीशनिंग प्रतीक को अंतिम बार नीचे उतारा गया।

    आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को पोलैंड के ग्डिनिया शिपयार्ड में पोल्नोक्नी श्रेणी के ऐसे जहाजों के रूप में तैयार किया गया था, जो टैंकों, वाहनों, कार्गो तथा सैनिकों को सीधे कम ढलान वाले समुद्र तट पर बिना गोदी के पहुंचा सकते थे। इन युद्धपोतों को क्रमशः 1984, 1985 और 1986 में पोलैंड में भारत के तत्कालीन राजदूत श्री एस के अरोड़ा (चीता एवं गुलदार) तथा श्री ए के दास (कुंभीर) की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। तीनों जहाजों के कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर क्रमशः कमांडर वीबी मिश्रा, लेफ्टिनेंट कमांडर एसके सिंह और लेफ्टिनेंट कमांडर जे बनर्जी को तैनात किया था। अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, आईएनएस चीता को कुछ समय के लिए कोच्चि व चेन्नई में रखा गया था और आईएनएस कुंभीर तथा गुलदार विशाखापत्तनम में सेवा दे रहे थे। बाद में इन जहाजों को अंडमान और निकोबार कमान में तैनात किया गया, जहां उन्होंने कार्यमुक्त होने तक अपनी सेवाएं दीं। ये युद्धपोत भारतीय नौसेना सेवा में लगभग 40 वर्षों तक सक्रिय रहे थे और 12,300 दिनों से अधिक समय तक समुद्र में रहते हुए सामूहिक रूप से लगभग 17 लाख समुद्री मील की दूरी तय की। अंडमान और निकोबार कमान के जल स्थलचर मंच के रूप में, इन जहाजों ने तट पर सेना के जवानों को उतारने के लिए समुद्र तट पर 1300 से अधिक अभियान संचालित किए हैं।

    इन युद्धपोतों ने अपनी शानदार यात्राओं के दौरान, कई समुद्री सुरक्षा गतिविधियों और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत अभियानों में भाग लिया है। उनमें से उल्लेखनीय अभियान इस प्रकार से हैं, आईपीकेएफ ऑपरेशन के हिस्से के रूप में ऑपरेशन अमन के दौरान उनकी भूमिका और मई 1990 में भारतीय व श्रीलंकाई सीमा पर हथियारों एवं गोला-बारूद की तस्करी तथा अवैध अप्रवास को नियंत्रित करने हेतु ऑपरेशन ताशा भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के सहयोग से चलाया गया एक संयुक्त अभियान था। इसके बाद इन्होंने 1997 में श्रीलंका में आए चक्रवात और 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद राहत कार्यों में उत्कृष्ट योगदान दिया था।

    भारतीय नौसेना के जहाजों चीता, गुलदार और कुंभीर ने भारतीय समुद्री परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है और उनका सेवामुक्त होना भारतीय नौसेना के इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय के अंत का प्रतीक है।पोर्ट ब्लेयर में आयोजित हुए समारोह में एयर मार्शल साजू बालाकृष्णन, एवीएसएम, वीएम, कमांडर-इन-चीफ अंडमान और निकोबार कमांड (सीआईएनसीएएन), वाइस एडमिरल तरुण सोबती, एवीएसएम, वीएसएम, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख, फ्लैग ऑफिसर, पूर्व कमांडिंग ऑफिसर तथा तीन जहाजों के कमीशनिंग क्रू भाग लिया। यह कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि एक ही श्रेणी के तीन युद्धपोतों को एक ही दिन में एक साथ सेवामुक्त कर दिया गया।