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  • सैमसंग Galaxy A06 रिव्यू: 10,499 रुपये में भरोसेमंद स्मार्टफोन, वो भी मेड इन इंडिया!

    सैमसंग Galaxy A06 रिव्यू: 10,499 रुपये में भरोसेमंद स्मार्टफोन, वो भी मेड इन इंडिया!

    चीनी ब्रांड्स की भीड़ में जब हर दूसरा फोन बस फीचर्स की चमक दिखाता है, सैमसंग Galaxy A06 एक सच्चा और भरोसेमंद विकल्प बनकर सामने आता है। ₹10,499 की कीमत में (Amazon पर कार्ड डिस्काउंट के साथ) यह फोन सिर्फ बजट-फ्रेंडली ही नहीं, बल्कि एकदम “पैसा वसूल” है – और सबसे बड़ी बात, यह मेड इन इंडिया है।

    क्या है खास Galaxy A06 में?

    A05 के मुकाबले कुछ ज़रूरी अपग्रेड्स के साथ A06 पेश किया गया है:

    साइड माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर, जिससे फोन अनलॉक करना और भी आसान हो गया है।

    Android 14 पहले से इंस्टॉल, साथ ही दो मेजर सॉफ्टवेयर अपडेट का वादा।

    नए कलर ऑप्शन और थोड़ी बेहतर फिनिश।

    बाकी स्पेसिफिकेशन बिल्कुल सादा और सिंपल हैं, लेकिन डेली यूज़ के लिए एकदम परफेक्ट:

    6.7 इंच LCD डिस्प्ले (60Hz रिफ्रेश रेट)

    MediaTek Helio G85 प्रोसेसर

    4GB रैम और 64GB स्टोरेज (microSD से बढ़ाया जा सकता है)

    50MP का मेन कैमरा + 2MP डेप्थ सेंसर

    5,000mAh की बैटरी, जो 25W चार्जिंग को सपोर्ट करती है।

    क्या नहीं है इसमें?

    हर बजट फोन में कुछ समझौते तो होते ही हैं, और A06 में भी हैं:

    कोई वाटरप्रूफिंग या डस्टप्रूफिंग सर्टिफिकेशन नहीं।

    बॉक्स में बस फोन और केबल – ना चार्जर, ना कवर, बस सादा सा कार्डबोर्ड पैकेज (पर्यावरण के लिए अच्छा, लेकिन थोड़ा कमजोर)।

    90Hz या 120Hz जैसे हाई रिफ्रेश रेट डिस्प्ले की उम्मीद मत रखिए।

    फिर भी, सैमसंग का इंटरफेस, सॉफ्टवेयर अपडेट्स और कुल मिलाकर यूज़र एक्सपीरियंस इसे भीड़ से अलग बनाता है।

    चीनी नहीं, भारतीय भरोसा!

    10 हज़ार के आसपास के बजट में, चीनी ब्रांड्स कुछ ज्यादा चमकदार फीचर्स जरूर देते हैं, लेकिन उनकी लंबी उम्र, सर्विस सेंटर और सॉफ्टवेयर सपोर्ट अक्सर नाम के ही होते हैं। वहीं Galaxy A06 भारत में बना है, और सैमसंग का नाम ही काफी है टिकाऊपन और सर्विस के लिए।

    और भी कम बजट है?

    अगर आपका बजट और तंग है, तो आप सैमसंग का Galaxy M06 भी देख सकते हैं। इसकी कीमत सिर्फ ₹8,499 है। फीचर्स थोड़े कम हैं, लेकिन भरोसे की गारंटी वही है – सैमसंग।

  • 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhone अब भारत में बनेंगे। चीन से भारत की ओर एप्पल का बड़ा झुकाव।

    2026 तक अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhone अब भारत में बनेंगे। चीन से भारत की ओर एप्पल का बड़ा झुकाव।

    एप्पल का भारत की ओर झुकना अब सिर्फ रणनीति नहीं, बल्कि एक नया औद्योगिक युग है। ताजा खबर यह है कि एप्पल 2026 के अंत तक अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhone भारत में ही बनाएगा। यह फैसला सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति और सप्लाई चेन डाइवर्सिफिकेशन की दिशा में एप्पल का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।

    चीन, जहां अभी भी 80% iPhone बनते हैं, अब धीरे-धीरे एप्पल की निर्माण प्राथमिकता से बाहर होता दिख रहा है। इसकी मुख्य वजह अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध और अमेरिकी टैरिफ नीति है। चीन में बने स्मार्टफोनों पर अमेरिका ने 20% शुल्क लगाया है, जबकि भारत पर यह शुल्क रुका हुआ है, जिससे भारत अब अधिक आकर्षक विकल्प बन गया है—even if उत्पादन लागत चीन से 5-8% अधिक हो।

    भारत में एप्पल की गतिविधियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। मार्च 2025 में Foxconn और Tata ने मिलकर करीब $2 अरब मूल्य के iPhone अमेरिका भेजे—यह पिछले महीने की तुलना में 63% अधिक है। 2025 की वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बने $22 अरब के iPhone में से $17.4 अरब के iPhone एक्सपोर्ट किए गए, जिनमें अधिकतर अमेरिका गए।

    भारत में iPhone उत्पादन की गति को और तेज़ करने के लिए एप्पल ने चेन्नई एयरपोर्ट पर “ग्रीन कॉरिडोर” बनाया है, जिससे कस्टम्स प्रक्रिया 30 घंटे से घटकर मात्र 6 घंटे हो गई है। इसके साथ ही रविवार को भी फैक्ट्रियां चालू रखी जा रही हैं ताकि उत्पादन लक्ष्य पूरे हो सकें।

    हालाँकि कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं—जैसे मोबाइल पार्ट्स पर ऊँचे इंपोर्ट ड्यूटी और प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी। इसके अलावा, चीन सरकार ने भारत को भेजे जाने वाले मैन्युफैक्चरिंग इक्विपमेंट के एक्सपोर्ट अप्रूवल को धीमा कर दिया है, जिससे एप्पल की गति थोड़ी बाधित हो सकती है।

    फिर भी, “मेक इन इंडिया” के तहत सरकार द्वारा दिए जा रहे $2.7 अरब के सब्सिडी और तेजी से बनती फैक्ट्रियों की मदद से भारत अब वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दौड़ में सबसे आगे निकलता दिख रहा है।

  • जम्मू-कश्मीर कृषि स्टार्ट-अप केंद्र (हब) के रूप में उभर रहा है

    जम्मू-कश्मीर कृषि स्टार्ट-अप केंद्र (हब) के रूप में उभर रहा है

    अनुसन्धान परिषद – भारतीय समवेत औषधि संस्थान (सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन) द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी में कर्तव्य पथ पर एक झांकी के माध्यम से भद्रवाह के लैवेंडर खेतों के अभि के चित्रण पर प्रसन्नता व्यक्त की। इसे एक सफलता की कहानी के रूप में गिनाते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि अरोमा मिशन से प्रेरणा लेते हुए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और नागालैंड राज्यों ने भी अब लैवेंडर की खेती शुरू कर दी है।

    मंत्री महोदय ने बताया कि जम्मू -कश्मीर के तीन हजार से अधिक युवा स्व-रोजगार के एक बड़े अवसर के रूप में उभरे इस मिशन में लगे हुए हैं और वे इससे लाखों रूपये कमा रहे हैं। डॉ. सिंह ने रेखांकित किया कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों और हर संभव सहायता प्रदान करने के सरकार के उपायों चाहे वह युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करना हो अथवा लैवेंडर उत्पादों के लिए उद्योग लिंकेज सुनिश्चित करना या फिर अन्य आवश्यक प्रावधान करने एवं इस क्रांति को बढ़ावा देने के लिए साजो-सामान संबंधी सहायता देना हो, के कारण प्राप्त हुई है I उन्होंने बताया कि लैवेंडर से बने उत्पाद महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हजारों की संख्या में बेचे जाते हैं और जिससे उत्पादकों को भरपूर राजस्व मिलता है।

    मंत्री महोदय ने याद दिलाया कि यह प्रधानमंत्री श्री मोदी ही थे जिन्होंने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया का स्पष्ट आह्वान किया था। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद लोग इस आंदोलन से जुड़ गये I डॉ. सिंह ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्टार्ट-अप्स की संख्या अब 350 से बढ़कर 1.25 लाख हो गई है, जिससे भारत इस क्षेत्र में विश्व में तीसरे स्थान पर है। केंद्रीय मंत्री ने युवाओं से कृषि स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल होने का आग्रह किया ताकि वे अर्थव्यवस्था में मूल्य संवर्धन में अपना योगदान दे सकने के साथ ही अमृत काल के अगले 25 वर्षों में भारत को नंबर एक अर्थव्यवस्था बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करने में सहायता कर सकें।

    आगे कार्रवाई का आह्वान करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि जो अभी तक जो क्षेत्र अनछुए हैं या फिर कम खोजे गए हैं, वे अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन करने की क्षमता रखते हैं I उन्होंने आगे कहा कि 2047 तक भारत राष्ट्र को विकसित बनाने के कार्य में जम्मू और कश्मीर की अगुवाई वाली बैंगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। जम्मू-कश्मीर, विशेषकर कठुआ में सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उनके लिए बंकरों का निर्माण किया गया है ताकि वे सीमा पार से अकारण गोलीबारी से बचने के लिए उनमे आश्रय ले सकें। जबकि पहले तो इन निवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता था। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि ऐसे में वे लोग या तो अपने रिश्तेदारों के यहां या फिर पंचायत में शरण लेते रहे। डॉ. सिंह ने कहा कि इसी तरह से यात्रा में आसानी के लिए राज्य के सुदूरवर्ती दुर्गम क्षेत्रों में सड़क संपर्क में भी सुधार किया गया है।