आज भारत को तोड़ने की जो साज़िशें चल रही हैं, वे केवल बाहरी नहीं, बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक युद्ध के रूप में हमारे समाज के भीतर ज़हर घोलने का काम कर रही हैं। पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI लगातार कोशिश कर रही है कि भारत के साहसी, देशभक्त समुदायों में से एक, सिख समुदाय, को भ्रमित किया जाए और देश से अलग करने की भावनाएं भड़काई जाएं।
हाल ही में पाकिस्तान ने यह झूठ फैलाया कि भारतीय वायुसेना ने पंजाब में एक गुरुद्वारा पर हमला किया। सच्चाई इससे बिलकुल अलग थी। यह एक झूठा प्रचार था ताकि पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों में भ्रम और गुस्सा फैलाया जा सके। पाकिस्तान जानता है कि अगर पंजाब अस्थिर होगा तो भारत को अंदर से चोट दी जा सकती है। यही वजह है कि अब वे कश्मीर के साथ-साथ पंजाब का नाम लेने लगे हैं।
पाकिस्तान ने एक बार फिर वही पुरानी और घिनौनी साजिश दोहराई है, भारत को तोड़ने की, सिख और हिन्दू समुदायों में फूट डालने की। हाल ही में पाकिस्तान के DG ISPR (Inter Services Public Relations) ने एक झूठा और बेबुनियाद बयान दिया कि भारत के अधमपुर एयरबेस से अफगानिस्तान में सिख धर्मस्थलों पर 6 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं। यह दावा न केवल हास्यास्पद है, बल्कि गहरी साजिश का हिस्सा भी है।
इस दावे को खुद अफगानिस्तान ने खारिज कर दिया है। जमीन पर न कोई मिसाइल गिरी, न कोई धमाका हुआ, न कोई सिख स्थल नष्ट हुआ, और न ही कोई सबूत है। पाकिस्तान का इरादा स्पष्ट है, सिख भाइयों और बहनों के मन में भारत के खिलाफ गलतफहमी और गुस्सा पैदा करना।
आज भी जब पाकिस्तान या ISI “खालिस्तान” की बातें करता है, तो उसका मकसद सिखों का भला नहीं, बल्कि भारत का विघटन होता है। अगर उन्हें सिख धर्म का सच में सम्मान होता, तो वे अपने देश में गुरुद्वारों को न उजाड़ते, न सिखों पर अत्याचार करते। उन्हें न गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं से मतलब है, न खालसा के उस बलिदान से जो धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए हुआ था।
लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। यह वही सरकार है, यह वही भारत है, जिसने सिखों की शान को सिर आंखों पर रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आदमपुर एयरबेस पर उतरे थे, वहीं से जहाँ पर पाकिस्तान ने झूठा आरोप लगाया। उन्होंने एयरफोर्स कर्मियों को संबोधित करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का ज़िक्र किया और पंजाब के वीरों को याद किया।
मोदी जी ने कहा: “चिड़ियाँ ते मैं बाज तुड़ावां, गिद्धां तो मैं शेर बनावां, सवा लाख से एक लड़ावां, तबे गोविंद सिंह नाम कहावां।”
यह सिर्फ एक भाषण नहीं था, यह एक संदेश था, सिख परंपरा, उनकी बहादुरी और भारत के प्रति उनके समर्पण का सम्मान। एक प्रधानमंत्री जो सिख बलिदानों को खुले मंच से सम्मान देता है, वही पाकिस्तान के झूठे प्रचार के सामने असली जवाब है।
पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए, भारत की सिख और हिन्दू आत्माएं एक हैं। हमें कोई भी अलग नहीं कर सकता। यह भूमि गुरु नानक की भी है और राम की भी। यह वही संस्कृति है जिसमें भेद नहीं, समरसता है। और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
भिंडरांवाले का मुद्दा आज भी पंजाब में कई लोगों के लिए भावनात्मक है, लेकिन अब ज़्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि उसे 1980 के दशक में कांग्रेस और इंदिरा गांधी द्वारा, अकाली दल को कमजोर करने के लिए उभारा गया। लेकिन यह आग बाद में बेकाबू हो गई। यह भी सच है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसे कदम को शायद और संवेदनशीलता से संभाला जा सकता था, लेकिन एक बड़ा सवाल है, उस समय पंजाब में हथियार कौन पहुँचा रहा था? जवाब है, पाकिस्तान की ISI।
पाकिस्तान ने 1980 और 90 के दशक में सिख युवाओं को गुमराह करने के लिए हथियार, ट्रेनिंग और धन दिया। उस हिंसा में हजारों निर्दोष लोग मारे गए। सीमा पार से आज तक ड्रग्स पंजाब में आ रही है, क्यों? हमारे सिख नौजवानों के भविष्य को बर्बाद करने के लिए। यही साजिश अलग रूप में दोहराई जा रही है, सोशल मीडिया, विदेशों से बैठे एजेंट्स और झूठे प्रचार के ज़रिए।
सच्चाई यह है कि सिख और हिन्दू सिर्फ दो धर्म नहीं हैं, वे एक ही सांस्कृतिक जड़ से पनपे हैं, जिसे हम ‘सनातन संस्कृति’ कह सकते हैं। यह वह संस्कृति है जो गुरु नानक देव जी से लेकर कबीर, नामदेव, रविदास तक सभी को एक साथ जोड़ती है। यह संस्कृति हमें सिखाती है कि धर्म कोई दीवार नहीं, बल्कि एक पुल है, जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है, न कि तोड़ता।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जब खालसा पंथ बनाया, तो वह किसी दूसरे धर्म के विरोध में नहीं था, बल्कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक था। उनके चारों साहिबज़ादों ने धर्म और देश की रक्षा में बलिदान दिया, यह बलिदान किसी सीमित सोच या खुद के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और एक सार्वभौमिक न्याय की भावना का था।
हमारा भारत वह देश है जहां गुरु अर्जुन देव जी से लेकर गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए प्राण दिए। वो हिन्दू बच्चों को जबरन मुसलमान बनाने के खिलाफ खड़े हुए, उन्होंने किसी एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि पूरे मानव धर्म के लिए बलिदान दिया। यही भावना सिख धर्म और हिन्दू धर्म को एक सूत्र में पिरोती है।
आज वही विरासत हमें पुकार रही है कि किसी झूठे प्रचार या बाहरी साज़िश का शिकार न बनें। पाकिस्तान में सिखों की हालत किसी से छुपी नहीं है, वहां गुरुद्वारों की स्थिति, जबरन धर्मांतरण और असमानता की घटनाएं आम हैं। जबकि भारत में, सिख समुदाय को सम्मान, सुरक्षा और समान अधिकार मिले हैं, चाहे वो राजनीति हो, सेना हो या समाज का कोई और क्षेत्र।
भारतीय सेना में सिखों की भागीदारी गर्व की बात है। सिख रेजिमेंट भारत की सबसे वीर रेजिमेंटों में गिनी जाती है। कारगिल से लेकर आज तक सिख जवानों ने भारत के लिए अपनी जान दी है। क्या पाकिस्तान या कोई और देश उन्हें इतनी इज्जत दे सकता है?
आज ज़रूरत है कि हम इस षड्यंत्र को पहचानें। पंजाब और सिखों को अलग दिखाने वाली हर सोच दरअसल भारत को कमजोर करने की कोशिश है। हमें यह याद रखना चाहिए, हम सिख हों, हिन्दू हों, मुसलमान हों, ईसाई हों, हम सभी भारतीय हैं, और हमारी जड़ें एक ही सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी हैं।
भाईचारा, एकता और न्याय, यही असली खालसा की पहचान है। यही सनातन संस्कृति का सार है। झूठे प्रचार और नफरत फैलाने वाली ताकतों को नकारिए, एक-दूसरे का हाथ थामिए, और मिलकर कहिए, हम सब एक हैं। अगर हम अपनी सांझी विरासत को याद रखें, अगर हम अपने पूर्वजों के बलिदानों को समझें, तो कोई ताकत हमें न तो तोड़ सकती है, न झुका सकती है।