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  • जोधा-अकबर की प्रेमकथा कितनी सच्ची है? जानिए इस मिथक का इतिहास।

    जोधा-अकबर की प्रेमकथा कितनी सच्ची है? जानिए इस मिथक का इतिहास।

    भारतीय जनमानस में यदि कोई ऐतिहासिक प्रेम कथा सबसे अधिक लोकप्रिय हुई है, तो वह है “जोधा-अकबर” की प्रेमकहानी। किंतु यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह कथा इतिहासकारों द्वारा नहीं, बल्कि राजनीतिक मंशाओं और सांस्कृतिक मनोरंजन उद्योग द्वारा गढ़ी गई है। यह कथा भारतीय समाज में इतिहास और स्मृति के संबंध को किस प्रकार प्रभावित करती है, इसे समझना आज पहले से अधिक आवश्यक हो गया है।

    ऐतिहासिक स्रोत क्या कहते हैं?

    मुगल सम्राट अकबर के समय के दो प्रमुख ग्रंथ, अबुल फजल द्वारा लिखा गया “अकबरनामा” और उसके पुत्र जहाँगीर द्वारा रचित आत्मकथा “तुजुक-ए-जहाँगीरी”, इनमें “जोधा बाई” नाम का कोई उल्लेख नहीं है। न ही अकबर ने, और न ही जहाँगीर ने अपनी माँ को “जोधा” कहा है।

    इतिहास में दर्ज अकबर की पाँच प्रमुख पत्नियाँ थीं:

    1. सलीमा सुल्तान
    2. मरियम-उज़-ज़मानी
    3. रज़िया बेगम
    4. कासिम बानू बेगम
    5. बीबी दौलत शाद

    इनमें मरियम-उज़-ज़मानी को बाद के स्रोतों में हीर कुंवर, हरका बाई या रुकमा बिट्टी कहा गया है, लेकिन कहीं भी “जोधा” नहीं।

    स्मृति और इतिहास के बीच टकराव

    “जोधा” नाम की रचना 18वीं सदी में हुई, जब ब्रिटिश लेखक जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक Annals and Antiquities of Rajasthan में अकबर की राजपूत पत्नी को “जोधा बाई” कहकर संबोधित किया। इसके बाद, औपनिवेशिक इतिहास लेखन, और आधुनिक फिल्मों व धारावाहिकों ने इस मिथक को इतना प्रचारित किया कि यह झूठ धीरे-धीरे जनस्मृति में सत्य की तरह स्थापित हो गया।

    ब्रिटिश लेखक जेम्स टॉड की पुस्तक Annals and Antiquities of Rajasthan

    यह मिथक क्यों गढ़ा गया?

    समाजशास्त्रीय दृष्टि से देखें तो यह कथा “सांस्कृतिक समरसता” (cultural assimilation) और “राजनीतिक नरमी” (political reconciliation) के प्रतीक के रूप में रची गई थी। एक मुगल सम्राट और एक हिंदू राजकुमारी का प्रेम विवाह आज की “गंगा-जमुनी तहज़ीब” को दर्शाने के लिए उपयोग किया गया, भले ही इतिहास इसकी पुष्टि न करता हो।

    परंतु इससे यह भी हुआ कि राजपूत अस्मिता, उनकी स्त्री स्वायत्तता और मुगल शासन के प्रतिरोध की ऐतिहासिक भूमिका पर पर्दा पड़ गया।

    पहचान की राजनीति और ऐतिहासिक पुनर्लेखन

    जब भी कोई राजपूत समूह मुगलों की साम्राज्यवादी नीतियों की आलोचना करता है, तो उनके सामने यह प्रेम कथा रख दी जाती है मानो वह ऐतिहासिक सत्य हो। “तुम तो जोधा के वंशज हो” जैसी बातें एक समाज की ऐतिहासिक चेतना को कमजोर करने के लिए इस्तेमाल होती हैं।

    यह एक प्रकार की “सांस्कृतिक गैसलाइटिंग” है, जहां समाज को अपने ही इतिहास पर संदेह होने लगता है।

    समाज के लिए यह आवश्यक है कि वह इतिहास और स्मृति में अंतर करे। हमें यह समझना होगा कि लोकप्रिय संस्कृति में प्रचलित कहानी, इतिहास नहीं होती। इतिहास को समझने के लिए हमें प्रमाणिक ग्रंथों, समकालीन स्रोतों और आलोचनात्मक अध्ययन पर भरोसा करना होगा, ना कि फिल्मों और धारावाहिकों पर।

    “जोधा-अकबर” एक सुंदर फंतासी हो सकती है, लेकिन जब यह झूठ इतिहास बन जाता है, तो यह समाज की चेतना को बदल देता है।

  • पाकिस्तान और चीन से निपटना है तो पड़ोसी देशों से संबंध मजबूत करने होंगे

    पाकिस्तान और चीन से निपटना है तो पड़ोसी देशों से संबंध मजबूत करने होंगे

    पाकिस्तान खुद बर्बाद हो रहा है, बलूचिस्तान और सिंध अलग होना चाहते हैं, उसकी पूरी अर्थव्यवस्था सेना और ब्याज चुकाने में खत्म हो रही है। ऐसे में जनता को एकजुट रखने के लिए उसे एक दुश्मन चाहिए, और वह दुश्मन है भारत।

    चीन ने भी अपने किसी पड़ोसी को नहीं छोड़ा। ताइवान को वो हथियाना चाहता है, रूस से भी।सीमा विवाद है, समुद्री विवाद कई देशों से है, और भूटान की कुछ ज़मीन तक वह हड़प चुका है।

    पाकिस्तान और चीन का साझा दुश्मन भारत है, इसलिए वे एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। अगर हम पाकिस्तान से युद्ध कर भी लें, तो चीन की ओर से मोर्चा खुलने का डर हमेशा बना रहेगा।

    इसलिए हमें अपने अन्य पड़ोसियों, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव और भूटान, से संबंध सुधारने और उन्हें बेहद मजबूत करने की ज़रूरत है।

    बांग्लादेश के साथ सीमा को मज़बूत कर घुसपैठ रोकनी चाहिए। लेकिन जब हम उन्हें नीचा दिखाते हैं या शेख हसीना जैसी नेता का समर्थन करते हैं, जिनके राज में विपक्षियों को जेल में डाला या मार दिया गया, तो वहां भारत को समर्थन कैसे मिलेगा? हमें बांग्लादेश का व्यापारिक साझेदार बनना चाहिए, उसे ऋण देना चाहिए और निवेश बढ़ाना चाहिए ताकि वह भारत पर निर्भर हो सके। वहां से आने वाले गैर कानूनी प्रवासियों को एक द्विपक्षीय सरकारी नीति के तहत शांति और सम्मान से नियमित रुप से वापस भेजना चाहिए।।

    नेपाल में एक बार फिर राजशाही की मांग उठ रही है। हमें वहां की जनता की भावनाओं के अनुसार पक्ष लेना चाहिए। नेपाली युवाओं की सेना में भर्ती और व्यापार को दोगुना करना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को नज़रअंदाज़ कर उन्हें अपना बनाना चाहिए। नेपाल आधिकारिक रूप से एकमात्र हिन्दू और हिंदी राष्ट्र हैं। हमें इसके लिए उनका कंधा थपथपाते रहना चाहिए।

    श्रीलंका में राजीव गांधी ने तमिलों की परवाह न करते हुए वहां की सरकार का समर्थन किया, जिससे एलटीटीई ने उनकी हत्या कर दी। आज तक श्रीलंका में दोनों तरफ से कुछ हद तक ये बात ज़िंदा है। हमें वहां की जनता का दिल जीतना होगा और तमिलों के अधिकारों की रक्षा भी करनी होगी। व्यापार और निवेश यहां भी हमारे हित में रहेगा।

    अफगानिस्तान के नागरिक भारत से प्रेम करते हैं। हमें किसी भी हाल में समुद्र के रास्ते वहां व्यापार बनाए रखना चाहिए। वहां सड़क, बांध, अस्पताल और सहायता जारी रखनी चाहिए और वहां के नागरिकों को भारत में शिक्षित करना चाहिए।

    भूटान से हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। हमें इन्हें संजो कर रखना होगा।

    म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ माहौल है। वहां के बौद्ध हमारा समर्थन चाहते हैं। हमें उनके साथ सीमा सुरक्षा, हथियारों और ड्रग्स को रोकने की साझेदारी करनी चाहिए, सरकार को पूर्ण समर्थन देना चाहिए और रोहिंग्या को शरण न देकर उन्हें चिन्हित कर वापस भेजना चाहिए।

    मालदीव में भारत विरोधी सुर उठ रहे हैं। ऐसे नेता और पार्टियों को हमें ‘साम, दाम, दंड, भेद’ से साधना होगा। मालदीव अभी भी भारत पर निर्भर है, और हमें इस निर्भरता को और मज़बूत करना चाहिए। फिर जनता के समर्थन से एक बेहतर सरकार को बढ़ावा देना होगा।

    हर जगह व्यापार, सहायता, सेना और शिक्षा का आदान-प्रदान बेहद महत्वपूर्ण है। साफ शब्दों में कहें तो, किसी को आप पर इतना निर्भर बना दीजिए कि वह आपके बिना न रह सके। तभी हम अपनी चारों सीमाएं मज़बूत कर पाएंगे।

    चीन का अमेरिका से व्यापार लगभग ठप हो गया है, पाकिस्तान में उसका बड़ा निवेश है, भारत में वह 150 अरब डॉलर से ज़्यादा का सामान बेचता है, वह कभी भारत-पाक का बड़ा युद्ध नहीं चाहेगा।

    हमें ज़मीनी हकीकत को समझकर हर दिन, हर हफ्ते, हर साल हर दिशा में काम करना होगा और भारत विरोधी ताकतों को सिर उठाने से पहले ही कुचल देना होगा।

  • मुर्शिदाबाद में चुन चुन के भाजपा समर्थक गाव वालों को मारा व लूटा गया। अफवाह ने बर्बाद कर दिया गाव.

    मुर्शिदाबाद में चुन चुन के भाजपा समर्थक गाव वालों को मारा व लूटा गया। अफवाह ने बर्बाद कर दिया गाव.

    “कभी शांत था यह गांव, आज राख में तब्दील है।”

    पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले का वह छोटा सा गांव अब इतिहास में दर्ज हो गया है : लेकिन किसी गौरव के लिए नहीं, बल्कि एक भयानक त्रासदी के लिए। वक़्फ़ बिल के पारित होने के बाद, सोशल मीडिया पर फैलाई गई झूठी खबरों और अफवाहों ने इस गांव की किस्मत को ऐसा मोड़ दे दिया कि यहां की ज़िंदगी अब कभी पहले जैसी नहीं होगी।

    व्हाट्सऐप ग्रुप्स, फर्जी यूट्यूब वीडियो और सोशल मीडिया के ज़रिए यह झूठ फैलाया गया कि मोदी सरकार मुसलमानों की ज़मीनें छीनने वाली है। इसी अफवाह ने आग का काम किया, और नतीजा हुआ: हिंसा, लूटपाट और नृशंस हत्याएं।

    गांव के कई घरों से हिंदुओं को बाहर घसीटकर बेरहमी से मार डाला गया। मंदिरों को लूटा गया, मूर्तियाँ तोड़ी गईं, और श्रद्धा का केंद्र बन चुकी जगहों को मलबे में बदल दिया गया। हिंदुओं की दुकानों में आग लगा दी गई, और कई घर राख हो गए।

    टारगेट थे वो, जो बदलाव चाहते थे

    जिस्ट नामक एक साहसी यूट्यूब न्यूज़ चैनल की रिपोर्टर सोनल जी, इस संकट की घड़ी में ज़मीन पर उतरीं। जिस समय बड़े मीडिया संस्थान चुप थे, उन्होंने न केवल पीड़ितों से बात की बल्कि सच को दुनिया के सामने लाकर रख दिया।

    उनकी वीडियो रिपोर्टिंग में एक दिल दहलाने वाली बात सामने आई — जिन इलाकों में सबसे ज़्यादा हिंसा हुई, वहां की दीवारों पर भाजपा के कमल का चिह्न, झंडे, और दीवार लेखन साफ दिखाई देते हैं। यह इशारा करता है कि ये हमले योजनाबद्ध थे — खास उन लोगों के ख़िलाफ़ जो बंगाल में बदलाव के लिए भाजपा के समर्थन में खड़े थे।

    “हम राष्ट्रपति शासन और BSF का कैम्प चाहते हैं। स्कूल मे तो हम शरण लिए हुए हैं,” — एक रोती हुई महिला ने सोनल जी से कहा।

    हज़ारों लोग अब स्थानीय स्कूलों और सार्वजनिक भवनों में शरण लिए हुए हैं। भोजन, दवाइयाँ, और मानसिक सहायता — सब कुछ ज़रूरत से कम है। कई बच्चे अब भी सदमे में हैं, और उनके माता-पिता की आँखों में डर की परछाइयाँ साफ दिखती हैं।

    सोनल जी ने कुछ मुस्लिम युवाओं से भी बात की। उन्होंने बताया कि मस्जिदों से मोलवियों ने हिंसा से दूर रहने की अपील की थी, लेकिन व्हाट्सऐप पर फैली झूठी बातें, जैसे “मोदी सरकार मुसलमानों की ज़मीनें छीन लेगी,” ने माहौल को जहरीला बना दिया।

    अब भाजपा द्वारा एक सशक्त जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिसमें वक़्फ़ बिल की असल सच्चाई बताई जा रही है। अफवाहों को काटने और लोगों को सच्चाई बताने की पूरी कोशिश की जा रही है और यह सराहनीय है।

    लेकिन अफ़सोस मुर्शिदाबाद के इस गांव के लिए यह प्रयास देर से आया। जिनके घर जल चुके हैं, जिनकी ज़िंदगियाँ उजड़ चुकी हैं, उनके लिए यह घाव कभी नहीं भर पाएंगे।

    यह केवल एक गांव की कहानी नहीं है, यह एक चेतावनी है।

    अगर हम अफवाहों को रोकने में नाकाम रहे, अगर हमने इस सोशल मीडिया के ज़हर को न रोका, तो अगला मुर्शिदाबाद कौन होगा इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं।

  • कॉमेडियन कामरा और ओला के भावेश में ट्विटर पे जंग। ग्राहकों ने बताया असली हाल।

    कॉमेडियन कामरा और ओला के भावेश में ट्विटर पे जंग। ग्राहकों ने बताया असली हाल।

    ओला इलेक्ट्रिक पर निशाना साधने वाले कमीडियन कुणाल कामरा और ओला के मालिक भावेश अग्रवाल के बीच ट्विटर पर हुई तकरार ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी। कुणाल कामरा ने ओला की असफलताओं को उजागर करते हुए ट्वीट किया, “क्या भारतीय उपभोक्ताओं की कोई आवाज़ है? क्या वे इस तरह के उत्पाद डिज़र्व करते हैं? दोपहिया वाहन कई दिहाड़ी मजदूरों के लिए जीवन रेखा हैं। @nitin_gadkari क्या यही भविष्य है भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का? @jagograhakjago आपका कोई जवाब?” इसके साथ ही उन्होंने ओला इलेक्ट्रिक से नाराज़ लोगों को अपनी कहानियां साझा करने का अनुरोध किया।

    इस ट्वीट पर ओला के सीईओ भावेश अग्रवाल ने तीखा जवाब देते हुए लिखा, “चूंकि तुम्हें इतनी परवाह है @kunalkamra88, तो आओ और हमारी मदद करो! मैं तुम्हें तुम्हारी ‘पेड ट्वीट’ से ज़्यादा भुगतान करूंगा, या तुम्हारे असफल कॉमेडी करियर से ज़्यादा। वरना चुप रहो और हमें असली ग्राहकों के लिए समस्याओं को ठीक करने दो। हम अपनी सर्विस नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं और जल्द ही बैकलॉग क्लियर हो जाएगा।”

    भावेश का यह जवाब सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया और लोग उन्हें पाखंड के लिए घेरने लगे। एक यूजर ने लिखा, “मैं असली ग्राहक हूं और तुम्हारी सर्विस बेकार है। जल्दी ही तुम्हारे ओला पर कोई सीरीज़ आएगी, शायद ‘Scam 2025 या 2027’। पर जरूर आएगी।”

    दूसरे लोगों ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया। एक यूजर ने लिखा, “अग्रवाल जी, यह आपके घमंड को दिखाता है। समस्या का समाधान करने के बजाय, आप सवाल उठाने वाले को ही दोषी ठहरा रहे हो। बहुत बढ़िया!”

    एक और यूजर ने कहा, “मैं कमरा से कभी सहमत नहीं होता, लेकिन क्या इस तरह से आप समस्याएं हल करेंगे? पहले समस्या को सुनिए, फिर कुछ सुधार कीजिए।” एक अन्य ने लिखा, “आपकी सर्विस इतनी खराब है कि लोग ओला को आग लगा रहे हैं। आपने अब तक क्या किया? इतना पैसा जला रहे हो, लेकिन कम गुणवत्ता के उत्पाद दे रहे हो।”

    सोशल मीडिया पर यह बहस तब और गर्म हो गई जब लोगों ने ओला के वित्तीय आंकड़े उजागर किए। “वित्तीय वर्ष 2023 में ओला का शुद्ध नुकसान 722.25 करोड़ रुपये और 2022 में 1522.33 करोड़ रुपये था। और ये व्यक्ति कुणाल कामरा के करियर को असफल बता रहा है। असली कॉमेडी यही है।”

    हालांकि, ओला ने सस्ती कीमतों पर बड़ी मात्रा में भारत में इलेक्ट्रिक स्कूटर की बिक्री की है, लेकिन जल्द ही कई समस्याएं सामने आ गईं। ग्राहकों को वाहन खराब होने या एरर कोड की शिकायतें आ रही हैं, और सर्विस सेंटरों में खराब ओला स्कूटरों की भीड़ लग गई है। इसके साथ ही ग्राहकों को समय पर सहायता न मिलने की शिकायतें भी बढ़ रही हैं।

    ट्विटर का ये विवाद ओला की सेवा गुणवत्ता और उसके प्रबंधन के प्रति सवाल उठाता है। भावेश अग्रवाल का ट्वीट इस बात को दर्शाता है कि कंपनी के प्रति नाराजगी कितनी गहरी है और भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रिक वाहनों से किस प्रकार की अपेक्षाएं रखते हैं। ओला को जल्द ही खराब हो रहे स्कूटर सही करके कस्टमर में खोया विश्वाश वापस पाना होगा।

  • वेडिंग ऑन क्रूज

    वेडिंग ऑन क्रूज

    नीति गोपेन्द्र भट्ट, नई दिल्ली: इस वर्ष 17 से 20 सितंबर को सिंगापुर के एक विशालकाय क्रूज़ पर आयोजित होने वाले दुनिया के पहले अंतर्राष्ट्रीय बी टू बी वेडिंग समिट के साथ ही डेस्टिनेशन मैरिज वेडिंग ऑन क्रूज के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा जाएगा।

    इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ़ इवेंट इंडस्ट्री (आईसीईआई) द्वारा आयोजित किए जा रहे इस अभिनव महोत्सव का नाम राजस्थान की तर्ज पर क्रूज़ेस्तान- 2024 रखा गया है। डेस्टिनेशन मैरिज के मामले में राजस्थान का नाम दुनिया भर में मशहूर है।

    यह जानकारी नई दिल्ली में क्रूज़ेस्तान- 2024 की प्री-इवेंट प्रेस वार्ता में आईसीईआई आयोजकों में से एक जयपुर के गुंजन सिंघल ने दी। कॉन्फ्रेंस में रिसॉर्ट्स वर्ल्ड क्रूज के अध्यक्ष माइकल गोह, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट इंटरटेटमेंट कोलिन केर रिसॉर्ट्स वर्ल्ड क्रूज के बिक्री और विपणन उपाध्यक्ष नरेश रावल,वेडिंग वोव (चेन्नई) के संस्थापक और सीईओ दक्षिणा नायडू मूर्ति,फोर्ट राजवाड़ा जैसलमेर के ओनर विनय खोसला,वेडिंग अफेयर्स पत्रिका के फाउंडर रजनीश राठी और आईसीईआई प्रवक्ता अश्विनी शर्मा मौजूद थे।

    गुंजन सिंघल ने बताया गया कि फोर्ट राजवाड़ा जैसलमेर (राजस्थान) और वेडिंग वोव (चेन्नई) के सहयोग से आगामी 17 से 20 सितंबर, 2024 तक सिंगापुर में एक शानदार क्रूज़ पर चार दिवसीय ग्राउंड ब्रेकिंग वेडिंग प्लानिंग कॉन्फ्रेंस होने जा रही है। इसमें भारत और दुनिया भर के 300 से ज़्यादा प्रतिष्ठित वेडिंग प्लानर एक साथ भाग लेंगे। इस तरह की अनूठी कॉन्फ्रेंस विश्व में पहली बार आयोजित की जा रही है और इसका नाम विश्व कीर्तिमान में जुड़ने की भी संभावना है।

    सिंघल ने बताया कि समिट में भाग लेने वाले मैरिज प्लानर्स का दल समुद्र के रास्ते सिंगापुर-पोर्टक्लैंग-फुकेत-सिंगापुर यात्रा और जीवंत शहर फुकेत का अवलोकन कर वहां से समुद्री मार्ग से ही वापस सिंगापुर आएगा। यह समिट अनूठी शादियों के क्षेत्र में नवाचार और सहयोग की एक प्रेरक पृष्ठभूमि प्रदान करेगी।

    इस अवसर पर सिंगापुर से विशेष रूप से भारत आए रिसॉर्ट्स वर्ल्ड क्रूज के अध्यक्ष माइकल गोह ने क्रूज उद्योग और शादी की योजना बनाने वाले योजनाकारों के बारे में बात करते हुए कहा कि “क्रूज़ अब सिर्फ़ छुट्टियां मनाने के लिए नहीं रह गए हैं। अब वे शादियों,सम्मेलनों और कॉर्पोरेट रिट्रीट सहित भव्य आयोजनों की मेज़बानी करने में सक्षम और बहुमुखी उद्देश्य वाले स्थल भी बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्रूज़ेस्तान- 2024 का उद्देश्य भविष्य की शादियों और सम्मेलनों के लिए एक शानदार स्थल के रूप में क्रूज की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित करना भी है। उन्होंने कहा कि कल्पना करें कि आप खुले समुद्र में आश्चर्यजनक दृश्यों की पृष्ठभूमि में भ्रमण पर जा रहे हैं अथवा दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत स्थानों से गुज़रते हुए किसी सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। क्रूज पर विलासिता, सुविधा और रोमांच का यह बेजोड़ मिलन और एकीकरण यादगार आयोजनों के लिए एक अदभुत एवं बेजोड़ सेट प्रदान करता है।”

    रिसॉर्ट्स वर्ल्ड क्रूज के बिक्री और विपणन उपाध्यक्ष नरेश रावल ने कहा, “हम 2024 के लिए आईसीईआई के साथ साझेदारी करके सम्मानित महसूस कर रहे हैं। यह कार्यक्रम बड़े पैमाने पर, हाई-प्रोफाइल आयोजनों के लिए एक आदर्श स्थल के रूप में क्रूज जहाजों की असाधारण क्षमताओं को भी प्रदर्शित करेगा। हम सभी अतिथियों के लिए एक यादगार अनुभव सुनिश्चित करने के लिए अपनी विश्व स्तरीय सुविधाएँ और सेवाएँ प्रदान करने के लिए उत्साहित हैं।”

    आईसीईआई के आयोजकों में से एक गुंजन सिंघल ने टिप्पणी की कि, “क्रूज़ में शादियाँ तेज़ी से बहुत लोकप्रिय हो रही हैं, जिसका सबूत अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट जैसे हाई-प्रोफ़ाइल व्यक्तियों के क्रूज़ पर आयोजित हुए समारोह हैं, जिनमें क्रूज़ पर अपनी शादी से पहले के समारोहों की मेज़बानी लाजवाब रही हैं। उन्होंने बताया कि क्रूज़ेस्तान 2024 में कई तरह की गतिविधियाँ होंगी, जिसमें पहले दिन अतिथियों के लिए स्वागत रात्रिभोज, दूसरे दिन टॉक शो और कॉन्फ़्रेंस, तीसरे दिन इवेंट इंडस्ट्री में उत्कृष्टता के लिए बीटा पुरस्कार और चौथे दिन क्रेता-विक्रेता बैठक आदि शामिल है। हमारे अतिथि ज़िपलाइनिंग, दीवार पर चढ़ना, क्लबिंग, पूल में तैरना, क्रूज़ शो, बॉलिंग एली, रोप कोर्स, मिनी गोल्फ़ कोर्स, वॉटर स्लाइड और फोम पार्टी सहित कई तरह की मनोरंजक गतिविधियों का आनंद भी ले सकेंगे। क्रूज़ेस्तान-2024 शादी की योजना बनाने वाले समूह के उद्योग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।”

    दक्षिणा नायडू मूर्ति, विनय खोसला, रजनीश राठी और विक्रांत जैन ने कहा कि, “क्रूज़ पर इस सम्मेलन की मेज़बानी करने की अभिनव अवधारणा पूरी दुनिया में काफ़ी चर्चा में है। हम सितंबर में एक अविस्मरणीय अनुभव के लिए शादी आयोजन उद्योग से जुड़े सबसे प्रतिभाशाली लोगों को एक साथ लाने के लिए उत्सुक हैं।

    उन्होंने बताया कि डेस्टिनेशन मैरिज एवं शादी की योजना बनाने का उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। विवाह करने वाले जोड़े अपने जीवन के इस खास दिन को मनाने के लिए अनोखे और यादगार तरीके खोजते हैं। क्रूज पर इस प्रकार की यादगार योजना बनाने से ज़्यादा अनोखी योजना क्या बात हो सकती है? उन्होंने कहा कि आईसीईआई अपने सभी सम्मानित वेडिंग प्लानर्स के लिए समिट के सुचारू संचालन और बेहतरीन आतिथ्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि सभी अतिथियों को एक अद्वितीय एवं रोमांचक अनुभव हो सके।”

    आईसीईआई के प्रवक्ता अश्विनी शर्मा ने बताया कि क्रूज़ेस्तान 2024 के आयोजक इस आयोजन को विश्व रिकार्ड में दर्ज कराने की औपचारिकताओं को भी पूरा कर रहे है और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड्स।

    इस विशेष प्रेस वार्ता में आगामी ब्लैक रॉक होटल्स एंड रिसॉर्ट्स क्रूज़ेस्तान 2024 के बारे में व्यापक जानकारियां और रोमांचक विवरण भी दिए गए। इस अवसर पर बताया गया कि क्रूज़ेस्तान 2024 वेडिंग प्लानिंग इंडस्ट्री में एक बेमिसाल इवेंट बनने के लिए तैयार है, जिसमें भारत और दुनिया भर के विभिन्न देशों यू ए ई, यूरोप, यूके, तुर्की,श्री लंका,हानकांग,सिंगापुर आदि से 300 से ज़्यादा प्रतिष्ठित वेडिंग प्लानर एक साथ भाग लेंगे। अपनी तरह का यह पहला सम्मेलन सिंगापुर एवं भारत के सयुक्त प्रयासों से विश्व में अपना एक अलग ही स्थान बनायेगा ।

  • कर्नाटक के यौन शोषण कांड में मौन क्यों हैं ज्यादातर महिला नेता और पत्रकार?

    कर्नाटक के यौन शोषण कांड में मौन क्यों हैं ज्यादातर महिला नेता और पत्रकार?

    कर्नाटक में एक बड़ा यौन शोषण कांड सामने आया है, जिसमें एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ द्वारा कई महिलाओं का शोषण किए जाने के आरोप हैं। यह मामला तब गरमाया जब 400 से भी अधिक कथित वीडियो और तस्वीरें सार्वजनिक हुईं, जिसमें नेता को महिलाओं के साथ अंतरंग स्थितियों में दिखाया गया था। इस घटना के बाद, कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है और मुख्यमंत्री से विशेष जांच दल की स्थापना का अनुरोध किया है।

    कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने भी विधानसभा और बाहर इस मामले को उठाया है, जिससे सत्र का कामकाज भी काफी प्रभावित हुआ है। कांग्रेस ने इस मामले की उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा निगरानी में जांच की मांग की है, जबकि सरकार ने कहा है कि जांच पहले से ही चल रही है और उसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के बेटे विधायक एचडी रेवन्ना और उनके सांसद पुत्र प्रज्वल रेवन्ना को कर्नाटक के चर्चित सेक्स स्कैंडल मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने नोटिस भी जारी किया है। दोनों को जांच के लिए पेश होने का आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई रेवत्रा के घर काम करने वाली एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के बाद की गई है, जिसमें उन्होंने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

    वही हासन जिले में सैकड़ों वीडियो वायरल होने का दावा भी किया गया है, सैकड़ों पेन ड्राइव लोगो को बसों, पार्क और सार्वजनिक स्थलों पे पड़ी मिली जिसमे प्रज्वल को यौन शोषण करते हुए बताया गया है। प्रज्वल फिलहाल कर्नाटक में नहीं है और शायद जर्मनी चले गए है। उन्होंने ट्विटर पे कहा है की वो जल्द ही एसआईटी के सामने पेश होंगे। उन्होंने इसमें अपने ड्राइवर के लिप्त होने और ब्लैकमेल की बात की है। कहा है सच जरूर सामने आएगा। हालाकि जेडीयू एस ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

    फिलहाल राज्य महिला आयोग की सिफारिश पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस मामले की गहन जांच के लिए राज्य के एडीजी बी. के. सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन किया है। मुख्यमंत्री ने प्रज्वल के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है ताकि फरार हुए को जांच के लिए लाया जा सके। उन्होंने इसके लिए राजनयिक और पुलिस चैनलों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का उपयोग करने का आग्रह भी किया गया है।

    इन घटनाओं ने कर्नाटक की राजनीति में व्यापक उथल-पुथल मचाई है, और यह भी उजागर किया है कि प्रमुख और प्रसिद्ध महिला नेताओं और पत्रकारों की ओर से इस तरह के मामलों में अधिक मुखरता की आवश्यकता है। इस मामले में ज्यादातर महिला नेताओं और पत्रकारों का मौन नैतिक और सामाजिक रूप से गलत है, क्योंकि यह समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और समर्थन की कमी को दर्शाता है। यह अपेक्षित है कि वे इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुखर हों और समाज में जागरूकता फैलाने में अपनी भूमिका निभाएं, खासकर जब यह महिलाओं के ही अधिकारों और सम्मान से जुड़ा हुआ हो।

    कुछ महिला नेताओ ने इसे घटना पे अपनी प्रतिक्रिया और रोष व्यक्त भी किया है। जैसे की महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्का लांबा ने कहा की इस कांड ने महिलाओं के साथ हुए सभी अपराधो की सीमा पार कर दी है। भाजपा इसपे चुप क्यों है?

    वही राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा की आयोग इस मुद्दे पे निगाह रखे हुए है, आखिर राज्य सरकार ने उन्हें वहा से जाने ही कैसे दिया, उनकी गिरफ्तारी क्यों नही हुई?

  • आदिवासी महिलाएं मुफ्त साड़ी नहीं काम चाहती हैं

    आदिवासी महिलाएं मुफ्त साड़ी नहीं काम चाहती हैं

    महाराष्ट्र के पालघर में एक आदिवासी गांव है वसंतवाड़ी। वसंतवाड़ी में करीब ढाई सौ परिवार रहते हैं। महानगर मुम्बई से मात्र 120 किलोमीटर दूर इस गांव झौंपड़ियां और टूटे घर आज भी आपको दिखेंगे। 16 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले ही कई गांवों के लोगों को सरकारी राशन की दुकान से लोगों को एक ऐसी मुफ्त साड़ी दी गई थी मार्च में। साड़ी और एक बैग दिया गया था साथ ही गरीब कल्याण योजनाओं का विज्ञापन भी है।

    पिछले साल नवम्बर में ही महाराष्ट्र सरकार ने बड़े त्योहार पर हर साल अंत्योदय राशन कार्ड वाली महिलाओं को मुफ्त साड़ी देने की योजना शुरू की थी। गत 3 और 8 अप्रैल के बीच पालघर के 23 गांवों की सैकड़ों आदिवासी महिलाओं ने जव्हार और दहानू तहसील कार्यालय तक मार्च निकाला तथा 300 से अधिक साड़ियां और तस्वीर वाले 700 बैग वापस कर दिए। ये महिलाएं नारे लगा रही थीं कि हमें मुफ्त चीजें मत दीजिए, हमें नौकरियां दीजिए। बेहतर स्कूल, अच्छी सड़कें और स्वास्थ्य सेवाएं दीजिए।

    वसंतवाडी की महिलाओं को पानी लाने के लिए सुबह 4 बजे उठना पड़ता है। बोरवेल दो किलोमीटर दूर है। हमें हर घर में नल चाहिए। हमें मुफ्त साड़ी और बैग नहीं चाहिए। गांव की 52 वर्षीय लाड़कुबाई तो सीधे सवाल करती है कि अगर आपने हमें नौकरी दी होती तो हम खुद साड़ी खरीद पाते। सरकार हमें साड़ी देने वाली कौन होती है? आपको क्या लगता है कि हम अपने कपडे नहीं खरीद सकते। हम इनसे अच्छी साड़िया खरीदेंगे। आप हमें काम दीजिए।

  • कालेधन और वायदा खिलाफी ने संविधान को निष्प्रभावी कर दिया है। नोटा को मिले राइट टू रिजेक्ट का दर्जा।

    कालेधन और वायदा खिलाफी ने संविधान को निष्प्रभावी कर दिया है। नोटा को मिले राइट टू रिजेक्ट का दर्जा।

    देश की लोकसभा के गठन के लिए 2 चरण का मतदान हो चुका है। यह देश के भविष्य का चुनाव है। इस चुनाव का इतिहास देखा जाए तो राजनीतिक दल सिर्फ मतदाता को ठगने के लिए मोहक प्रचार सामग्री तैयार करते है। वायदों पर कोई खरा नहीं उतरता। गरीबी और आर्थिक विषमता चारो ओर दिखाई देती है। चुनाव में कालेधन और वायदा खिलाफी का प्रभाव इतना है कि सविधान निष्प्रभावी दिखाई देता है।

    कोई सरकार, चुनाव आयोग या सुप्रीम कोर्ट चुनाव के समय जारी किए जाने वाले राजनीतिक दलों के संकल्प पत्रों, न्याय पत्रों या सीधे सीधे घोषणापत्रों को लागू करने को वैधानिक रूप से अनिवार्य बनाने को तैयार नही है। क्यों नही इन चुनावी घोषणापत्र को लागू करना राजनीतिक दलों की मान्यता से जोड़ा जाता है। अगर राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र लागू नहीं करते तो उनकी मान्यता रद्द की जाना चाहिए। जैसे कि किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को दो वर्ष का कारावास होने पर वो स्वत अयोग्य घोषित हो जाता है। इसी तरह अपने चुनावी वायदे पूरे न करने वाले राजनीतिक दल की मान्यता रद्द होना चाहिए।

    चुनाव आयोग के अधीन एक स्वतंत्र निकाय को चुनावी वायदे पूरे करने के मुद्दे पर समीक्षा का जिम्मा सौंपा जाए। इस निकाय की रिपोर्ट पर राजनीतिक दल की मान्यता रद्द की जाए। नोटा को राइट टू रिजेक्ट का दर्जा भी दिया जाए। चुनाव के लिए मान्यता प्राप्त दलों को चुनाव आयोग के जरिए फंडिंग की व्यवस्था की जाए। राजनीतिक दलों को काले धन की आपूर्ति के सारे रास्ते बंद किए जाए।

    अभी चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों की संपत्ति का विवरण लिया जाता है और हर पांच साल में बेतहाशा बढ़ती संपत्ति का स्रोत नही पूछा जाता। तब ईडी और सीबीआई क्यों हरकत में नही आती। अपने नामांकन के साथ संपत्ति का विवरण दाखिल करने वाले प्रत्याशियों की संपत्ति की जांच लोकपाल, आयकर विभाग को सौंपी जाए। हर निर्वाचित प्रतिनिधि पेंशन लेता है और अपने सेवाकाल में तमाम सुविधाएं लेकर लोकसेवक ही कहलाता है तो क्यों नही उसकी जवाबदेही तय की जाए। उसे लगातार भ्रष्टाचार निरोधक कानून की निगरानी में रखा जाए।

    भारत देश में भ्रष्टाचार की रोकथाम के बंदोबस्तों पर इतना ढीला रवैया अपनाया जाता रहा है कि लोग दशकों इंतजार ने बिता देते है। सन साठ के दशक में लोकपाल की अवधारणा को उस समय के कानून मंत्री अशोक सेन ने प्रस्तुत किया था। कानून विशेषज्ञ लक्ष्मी मल सिंघवी ने लोकपाल शब्द प्रस्तुत किया। सन 1966 में मोरार जी भाई देसाई की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग ने प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार रोकने के लिए किसी निकाय की स्थापना का सुझाव दिया था।लेकिन 2011में जन लोकपाल के लिए अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद वर्ष 2013 में संसद में लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक पारित किया जा सका और पहली जनवरी 2014 को राष्ट्रपति ने उसे मंजूरी दी।

    दैनिक दृष्टि के लिए राजेंद्र सिंह जादौन

  • विश्व पुस्तक दिवस और पुस्तकों से दूरी बनाती युवा पीढ़ी

    विश्व पुस्तक दिवस और पुस्तकों से दूरी बनाती युवा पीढ़ी

    विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल को मनाया गया पर लेखकों, पुराने पाठकों और प्रकाशकों में एक चिंता भी देखने को मिली। हमें किताबे जानकारी और कहानियों के जादुई संसार की याद दिलाती है. मगर आज देखने वाली बात ये है कि युवा पीढ़ी और बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे हैं. पहले के दिनों में बच्चे किताबों की दुकानों पर घंटों बिताते थे, कहानियों में खो जाते थे. नई कहानियों की किताबो और चाहे कॉमिक्स ही क्यों न हो, के लिए जिद करते थे. अब उनका ध्यान मोबाइल और टैबलेट की स्क्रीन पर टिका रहता है. जहां उन्हें छोटे वीडियो क्लिप्स और फास्ट फॉरवर्ड की आदत लग चुकी है. किताबें उन्हें धीमी और उबाऊ लगती हैं.

    इसका ये मतलब नहीं है कि पढ़ने का चलन पूरी तरह खत्म हो गया है. दरअसल, डिजिटल दुनिया में भी इसकी वापसी हो रही है. ऑडियोबुक और ई-बुक्स का चलन बढ़ रहा है. हालांकि, ये एक अलग अनुभव देते हैं. किताबों को छूने, उनके पन्नों को पलटने का अपना ही मजा है. लेकिन किताबें सिर्फ मनोरंजन से कहीं ज्यादा हैं. पढ़ना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है. किताबें पढ़ने से तनाव कम होता है, फोकस बढ़ता है, याददाश्त तेज होती है और हमारी सोचने-समझने की क्षमता विकसित होती है. एक दिलचस्प अध्ययन में पाया गया कि सिर्फ छह मिनट पढ़ने से भी तनाव का स्तर काफी कम हो जाता है.

    खुशखबरी ये है कि हिंदी साहित्य में नई प्रतिभाएं भी सामने आ रही हैं. युवा लेखक नई कहानियां लिख रहे हैं, पाठकों को रोमांचित कर रहे हैं. ये तारीफ की बात है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2023 में ही लगभग 80,000 नई हिंदी किताबें प्रकाशित हुई थीं. साथ ही, ई-बुक्स और ऑडियोबुक का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले चार सालों में भारतीय डिजिटल प्रकाशन बाजार का आकार दोगुना हो सकता है.

    लेकिन फिर भी, किताबों को बढ़ावा देने के लिए और भी बहुत कुछ किया जा सकता है. स्कूलों में पुस्तकालयों को आधुनिक बनाया जाना चाहिए. बच्चों को उनकी पसंद की किताबें उपलब्ध कराई जाएं. उन्हें किताबों की दुकानों पर ले जाया जाए, कहानी सुनने के सत्र आयोजित किए जाएं. अभिभावकों को भी बच्चों के साथ किताबें पढ़ने के लिए समय निकालना चाहिए. बच्चो को उनकी पसंद की किताब को होमवर्क के रूप में पढ़ने को दी जा सकती है फिर उनसे उसके बारे में रोचक जानकारी साझा करने को कहा जा सकता है.

    अगर हम सब मिलकर प्रयास करें तो किताबों को फिर से युवाओं के हाथों में ला सकते हैं. आइए, विश्व पुस्तक दिवस को सिर्फ एक दिन का उत्सव न बनाएं, बल्कि इसे किताबों के प्रेम को जगाने का अभियान बनाएं.

  • नए निर्णय और नीतियों के निर्णायक 60 दिन: राजस्थान सरकार के अहम कदम

    नए निर्णय और नीतियों के निर्णायक 60 दिन: राजस्थान सरकार के अहम कदम

    राजस्थान सरकार ने हाल ही में लिए गए नए निर्णयों और नीतियों के माध्यम से आम जनता को भविष्य में सुधार के लिए आशावादी संकेत दिए हैं। इन निर्णयों के तहत बीपीएल-उज्जवला उपभोक्ताओं को 450 रुपये में गैस सिलेंडर प्रदान किया जाएगा, जिससे गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को आराम मिलेगा। साथ ही, 20 मंदिरों के जीणोद्धार के लिए 300 करोड़ की योजना की घोषणा की गई है, जिससे धार्मिक स्थलों को विकसित करने में मदद मिलेगी।

    सरकार ने संगठित अपराधों को रोकने के लिए एंटी-गैंगस्टर टीम की स्थापना का भी ऐलान किया है। इसके अलावा, अन्नपूर्णरसोई योजना के तहत भोजन की मात्रा 450 से बढ़ाकर 600 ग्राम की गई है। पीएम सम्मान निधि में भी राशि 6,000 से बढ़ाकर 8,000 रुपए की जा रही है। गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना में एक लाख तक का व्याज मुक्त ऋण भी प्रदान किया जाएगा।

    सरकार ने ईआरसीपी का काम भी शुरू कर दिया है और ERCP पेपर लीक की जांच के लिए एसआईटी कागज़ की भी घोषणा की गई है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन में 150 रुपए की बढ़ोतरी और मीसाव डीआईआर को फिर से पेंशन शुरू करने का भी फैसला किया गया है। सीतापुरा से अंबाबाड़ी विद्युत नगर तक मेट्रो विस्तार को डीपीआर की घोषणा की गई है और 70 हजार नई भर्तियों की भी घोषणा की गई है। जयपुर के निकट हाईटेक सिटी बनाने की भी घोषणा हुई है। बुजुर्गों को रोडवेज़ बसों के किराए में 50% की छूट और बेटी के जन्म पर एक लाख का सेविंग बॉन्ड भी प्रदान किया जाएगा।

    इन सभी नए निर्णयों और योजनाओं के माध्यम से राजस्थान सरकार ने जनता को नए आशावादी संकेत दिए हैं और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

  • एएसआई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर साबित

    एएसआई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर साबित

    500 साल के इंतजार के बाद राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद के स्थान पर श्री राम लला का भव्य मंदिर श्री राम मंदिर, श्री अयोध्या में बनकर तैयार हुआ है। जिसमें राम जी के 5 साल की उम्र की भव्य मूर्ति आखिरकार प्राण प्रतिष्ठा के साथ 22 जनवरी को स्थापित हो गई। नई मूर्ति का नाम बालक राम रखा गया है व साथ ही रामलला विराजमान जो इतने सालों से राम जी की मूरत में टेंट में रहे और केस लड़ने के भी एक पात्र रहे, उन्हें भी नए राम मंदिर में नई राममूर्ति के पास ही पूर्ण परिवार के साथ स्थापित किया गया है।

    प्राण प्रतिष्ठा के कुछ दिन बाद ही खबर आई है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ASI, जो की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कर रही थी उसने यह सूचना अब वहां के हाई कोर्ट को दी है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे आखिरकार एक हिंदू मंदिर ही था जिसको तोड़कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद की स्थापना की गई। यह तर्क भी दिया जा रहा है की मस्जिद के नाम में ही हिंदू नाम छुपा हुआ है, ज्ञान वापी। आज दैनिक भास्कर में कई फोटो भी छपी हैं जो की आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया एएसआई ने वहां के हाई कोर्ट में सोपी है। इन फोटों में हिंदू स्तंभ, मूर्ति, घंटी, कमल आदि दिखाई दे रहे हैं जो की मस्जिद के नीचे और अंदर प्लास्टर करके दबे हुए हैं। इसे हिंदू पक्ष का यह दवा बेहद मजबूत हो गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद एक शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी वह अब वापस से यहां पर एक शिव मंदिर की स्थापना होनी चाहिए।

    पर इस मामले में और कृष्ण जन्म स्थान पर भी वापस से हिंदू मंदिर बनाने में एक बड़ा अड़चन है प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट 1991, जो कि अयोध्या में कार सेवा की वजह से उसे समय के तत्कालीन सरकार ने बनाया था। इस कानून में कहा गया है कि राम मंदिर को छोड़कर देश के किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति बिल्कुल वैसे ही रखी जाएगी जो की आजादी के समय 1947 में थी। यानी कि जहां मंदिर है वहां मंदिर ही रहेगा, जहां मस्जिद है वहा मस्जिद रहेगी। वहा किसी प्रकार के भी दावे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। पर यह प्लेस आफ वरशिप एक्ट कानून भी इस समय सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष के द्वारा चैलेंज किया हुआ है और इस पर फैसला आना बाकी है।

    अगर सुप्रीम कोर्ट ने प्लेस आफ वरशिप एक्ट को गैरकानूनी या असंवैधानिक घोषित कर दिया तो फिर राम जन्मभूमि के जैसे ही ज्ञानवापी “मस्जिद” और श्री कृष्ण जन्म भूमि के पावन स्थलों पर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट होते हुए अगर हिंदू पक्ष जाता और जीतता है तो वहां पर भी भव्य शिव मंदिर और श्री कृष्ण मंदिर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। जो की कानूनी भी है, संवैधानिक भी, धार्मिक भी और एक हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र के आत्मसमान के लिए जरूरी भी।