हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में इस बार राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने फिर से बाजी मार ली है और वह तीसरी बार सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है, जबकि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का गठबंधन सत्ता में आने के लिए तैयार है।
हरियाणा में भाजपा ने इस बार कुल 90 सीटों में से 49 सीटों पर बढ़त बना ली है, जो 2019 के चुनावों से बेहतर प्रदर्शन है, जब पार्टी ने 40 सीटें जीती थीं। पार्टी ने इस बार ‘जाट वर्सेज नॉन जाट’ की राजनीति से गैर-जाट वोटरों को अपने साथ किया और जाट बहुल इलाकों में भी 9 नई सीटें जीत लीं। हरियाणा के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आ रही है।
वहीं जम्मू-कश्मीर, जहां लगभग एक दशक बाद चुनाव हो रहे हैं, में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बाजी मार ली है। इस गठबंधन ने 52 सीटों पर बढ़त बनाई है, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस 36 सीटों पर और कांग्रेस 6 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, भाजपा 29 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है और अब तक 26 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है।
पिछले चुनावों में प्रमुख भूमिका निभाने वाली पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) का इस बार लगभग सफाया हो गया है और उसे केवल 3 सीटों पर जीत मिली है। आम आदमी पार्टी और जेपीसी को एक-एक सीट पर जीत हासिल हुई है। निर्दलीय उम्मीदवार भी 7 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जिनमें से 6 ने जीत दर्ज की है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और बडगाम सीट से जीत चुके हैं, जबकि गांदरबल सीट पर भी उनकी बढ़त बनी हुई है।
महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट से हार गई हैं और उन्होंने इसे जनता का फैसला मानते हुए स्वीकार किया। वहीं, भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना भी नौशेरा सीट से हार गए हैं।
यह चुनाव परिणाम जहां हरियाणा में भाजपा की मजबूती को दिखा रहे हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन कश्मीर घाटी में नई सियासी दिशा तय करता दिख रहा है। भाजपा ने जम्मू संभाग में जीत हासिल की है।
Leave a Reply