आदिवासी महिलाएं मुफ्त साड़ी नहीं काम चाहती हैं

महाराष्ट्र के पालघर में एक आदिवासी गांव है वसंतवाड़ी। वसंतवाड़ी में करीब ढाई सौ परिवार रहते हैं। महानगर मुम्बई से मात्र 120 किलोमीटर दूर इस गांव झौंपड़ियां और टूटे घर आज भी आपको दिखेंगे। 16 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले ही कई गांवों के लोगों को सरकारी राशन की दुकान से लोगों को एक ऐसी मुफ्त साड़ी दी गई थी मार्च में। साड़ी और एक बैग दिया गया था साथ ही गरीब कल्याण योजनाओं का विज्ञापन भी है।

पिछले साल नवम्बर में ही महाराष्ट्र सरकार ने बड़े त्योहार पर हर साल अंत्योदय राशन कार्ड वाली महिलाओं को मुफ्त साड़ी देने की योजना शुरू की थी। गत 3 और 8 अप्रैल के बीच पालघर के 23 गांवों की सैकड़ों आदिवासी महिलाओं ने जव्हार और दहानू तहसील कार्यालय तक मार्च निकाला तथा 300 से अधिक साड़ियां और तस्वीर वाले 700 बैग वापस कर दिए। ये महिलाएं नारे लगा रही थीं कि हमें मुफ्त चीजें मत दीजिए, हमें नौकरियां दीजिए। बेहतर स्कूल, अच्छी सड़कें और स्वास्थ्य सेवाएं दीजिए।

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वसंतवाडी की महिलाओं को पानी लाने के लिए सुबह 4 बजे उठना पड़ता है। बोरवेल दो किलोमीटर दूर है। हमें हर घर में नल चाहिए। हमें मुफ्त साड़ी और बैग नहीं चाहिए। गांव की 52 वर्षीय लाड़कुबाई तो सीधे सवाल करती है कि अगर आपने हमें नौकरी दी होती तो हम खुद साड़ी खरीद पाते। सरकार हमें साड़ी देने वाली कौन होती है? आपको क्या लगता है कि हम अपने कपडे नहीं खरीद सकते। हम इनसे अच्छी साड़िया खरीदेंगे। आप हमें काम दीजिए।

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