भारत और पाक में युद्धविराम। पाक के चीनी हथियार फैल। अगला कोई भी आतंकी हमला सीधे युद्ध माना जाएगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सीधी पहल पर युद्धविराम की घोषणा की गई। ट्रंप ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाते देख दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व से व्यक्तिगत संपर्क किया और कुछ ही घंटों में संघर्षविराम लागू हो गया, हालांकि पाकिस्तान मानने वाला नहीं था।

यह कदम ऐसे समय में आया जब भारत ने पाकिस्तान की कई अग्रिम चौकियों पर आक्रामक कार्रवाई की थी, और युद्ध का खतरा वैश्विक स्तर पर चिंता का कारण बन गया था।

सीजफायर का उल्लंघन: पाकिस्तान ने चार घंटे में तोड़ा भरोसा

शांति का यह क्षण मात्र चार घंटे ही टिक पाया। रात 9 बजे के करीब, पाकिस्तान ने जम्मू, पुंछ, और राजौरी सेक्टरों में भारी गोलीबारी और ड्रोन हमले शुरू कर दिए। भारतीय गांवों और पोस्टों को निशाना बनाया गया। यह सीधा उल्लंघन उस युद्धविराम का था जो अमेरिकी हस्तक्षेप से लागू हुआ था।

पाकिस्तान की इस हरकत ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह न शांति चाहता है, न समझौतों का सम्मान करता है। भारत ने पहले संयम दिखाया लेकिन जैसे ही आक्रामकता बढ़ी, जवाबी कार्रवाई शुरू हो गई।

दूसरी बार सीजफायर: जवाबी हमले के बाद पाकिस्तान झुका

भारत ने न सिर्फ सीमावर्ती पोस्टों पर, बल्कि पाकिस्तान के भीतर गहरे सैन्य ठिकानों पर सटीक प्रहार किया। एयर मार्शल भारती ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने चकलाला (नूर खान), रफीकी और रहरयार खान जैसे एयरबेस को निशाना बनाया, ये सभी पाकिस्तान की सामरिक क्षमताओं के केंद्र हैं।

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पाक के विभिन्न सैन्य ठिकाने जिन्हें भारतीय सेना ने निशाना बनाया।

नूर खान एयरबेस, जो इस्लामाबाद से महज़ 10 किमी दूर है, पाकिस्तान के VIP और सामरिक परमाणु बलों का संचालन केंद्र माना जाता है। यहां लड़ाकू विमानों में हवा में ही ईंधन भरने वाले विमान भी है, जिनका सफाया होना पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों की रेंज कम कर देता। इसके अलावा, भारत ने उनके मिलिट्री कम्युनिकेशन नेटवर्क और एयर डिफेंस सिस्टम को भी ध्वस्त किया।

अमेरिकी और चीनी सैन्य तकनीक की विफलता: भारत की रणनीतिक बढ़त

भारत की कार्रवाइयों में एक और बड़ी बात उभरकर सामने आई है, पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए अमेरिकी और चीनी हथियार तंत्र की विफलता। पाकिस्तानी पोस्ट्स पर तैनात अमेरिकी और चीन के डिटेक्शन रडार भारत के लो-फ्लाइंग ड्रोन्स और स्टील्थ मिसाइलों को पकड़ने में असफल रहे।

यह भी सामने आया है कि पाकिस्तान द्वारा दागी गई एक चीनी-निर्मित एयर-टू-एयर मिसाइल रेगिस्तान में जा गिरी और उसे DRDO की टीम ने कब्जे में लेकर रिसर्च के लिए सुरक्षित कर लिया है। माना जा रहा है कि इस मिसाइल का निष्क्रिय होना न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन के लिए भी बड़ी शर्मिंदगी है।

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भारत ने इन विफल तकनीकों का लाभ उठाते हुए पाकिस्तान की वायुसेना की सप्लाई और कंट्रोल लाइनों को पूरी तरह ठप कर दिया। इससे पहले ही, अमेरिका के ऊर्जा विभाग का एक विशेष विमान, जो माना जाता है कि परमाणु विकिरण की ट्रैकिंग करता है, पाकिस्तान में लैंड करता देखा गया; क्या भारत ने कोई संवेदनशील परमाणु साइट को निशाना बनाया? यह अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी नेतृत्व की घबराहट और अमेरिकी हस्तक्षेप का अचानक सक्रिय हो जाना, शायद इसका संकेत देता है।

अमेरिकी ऊर्जा विभाग का प्लेन पाकिस्तान पहुंचा।

नाली चाहे सोने की हो, बहता तो मल ही है

भारत में इन घटनाओं के बाद आम जनमानस में पाकिस्तान को लेकर फिर वही पुरानी कहावतें गूंजने लगीं: “कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं होती”, “कितना भी सुंदर समझौता हो, पाकिस्तान उसे तोड़ेगा ही” और “नाली चाहे सोने की बना दो, बहेगा तो मल ही”।

यह शब्द महज कहावतें नहीं, बल्कि भारत के दशकों के अनुभव का निचोड़ हैं। पाकिस्तान ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह किसी भी भरोसे या शांति प्रक्रिया के योग्य नहीं है।

आखिरी चेतावनी: अगली हरकत, सीधा युद्ध

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भारत सरकार और सेना ने अब यह साफ कर दिया है कि आगे किसी भी प्रकार का आतंकी हमला, चाहे वह प्रॉक्सी वॉर के जरिए हो या ISI-प्रायोजित ग्रुप्स द्वारा, सीधे युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी।

अब भारत “स्ट्रैटजिक पेशेंस” की नीति से बाहर आ चुका है। हमारा रुख साफ हो चुका है, अगली बार “शुरू पाकिस्तान करेगा, लेकिन खत्म भारत करेगा।”

यह संघर्ष अब सिर्फ सीमाओं या घाटी तक सीमित नहीं है यह सैन्य रणनीति, तकनीकी श्रेष्ठता, और वैश्विक मान्यता की लड़ाई बन चुकी है। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि बार-बार सीजफायर तोड़ने और आतंकी संगठनों को पनाह देने की कीमत बहुत भारी पड़ेगी।

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