2024 के आम चुनाव को देखते हुए श्री राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के नाम से एक राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। लोकतंत्र में यह उनका अधिकार है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हर व्यक्ति को अपने विचार रखने और जनसम्पर्क करने की पूरी स्वतंत्रता है।
हालाँकि, यह यात्रा एक राष्ट्र-निर्माण या सर्वदलीय सामाजिक आंदोलन नहीं थी, बल्कि कांग्रेस पार्टी की एक राजनीतिक पहल थी। इसमें सभी समुदायों, विचारधाराओं और राजनीतिक दलों को समान रूप से शामिल नहीं किया गया था।
ऐसे में जयपुर में एक प्रमुख पुलिया का नाम ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर रखना न केवल एकतरफा निर्णय प्रतीत होता है, बल्कि यह जनता की निष्पक्ष भावनाओं के विरुद्ध भी है।
जयपुरवासियों की यह माँग है कि उस पुलिया का नाम बदला जाए और उसे भारत के महानतम नेताओं में से एक, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, के नाम पर रखा जाए। अटल जी राजनीति से ऊपर उठकर जनहित और राष्ट्रहित की बात करते थे। वे सभी धर्मों, जातियों और विचारधाराओं के बीच लोकप्रिय रहे हैं और एक सच्चे ‘राजपथ पुरुष’ के रूप में जाने जाते हैं।
इसलिए उस पुल का नाम ‘अटल बिहारी वाजपेयी सेतु’ रखना एक सर्वमान्य और सम्मानजनक निर्णय होगा, जो राजनीति से परे, देशभक्ति और जनभावना को दर्शाता है।
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