भाजपा एनडीए सरकार नहीं बनी तो शेयर बाजार 25000 पॉइंट्स तक गिर सकता है: यूबीएस

मुख्य ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म यूबीएस ने हाल ही में एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि यदि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आगामी चुनाव में हार जाती है, तो सेंसेक्स 2014 के पूर्व स्तरों पर वापस आ सकता है। इसका मतलब है कि भारतीय शेयर बाजार को एक बड़ा झटका लग सकता है। आइए, देखते हैं कि यूपीए और एनडीए के शासनकाल में सेंसेक्स का प्रदर्शन कैसा रहा है और वर्तमान में सेंसेक्स का स्तर क्या है।

यूपीए 2 के दौरान सेंसेक्स: यूपीए-2 (2009-2014) के दौरान, सेंसेक्स ने 106% की वृद्धि दर्ज की थी। इस अवधि में भारतीय शेयर बाजार ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया, और विदेशी निवेशकों ने भी काफी निवेश किया। यूपीए 2 आने पे सेंसेक्स 17000 पॉइंट्स पे था अगले 5 साल में 24000 पॉइंट्स तक आया।

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एनडीए 2 के दौरान सेंसेक्स: नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए-2 सरकार (2014-वर्तमान) के समय में, सेंसेक्स में 47.4% की वृद्धि हुई है। हालांकि, यह वृद्धि यूपीए-2 की तुलना में कम रही है। इस दौरान नोटबंदी और जीएसटी लागू करने जैसे कदमों ने अर्थव्यवस्था और बाजार पर प्रभाव डाला पर फिर भी फिलहाल सेंसेक्स 75000 पॉइंट्स के स्तर पे है, यानी 10 साल में 3 गुना बड़ा है।

वर्तमान सेंसेक्स स्तर: वर्तमान में सेंसेक्स 75,000 अंकों के करीब है। यह स्तर पिछले कुछ वर्षों में हुए सुधार, केंद्र में मजबूत सरकार और भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों की सकारात्मक भावनाओं को दर्शाता है।

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यूबीएस एक प्रमुख वैश्विक बैंकिंग और निवेश कंपनी है। उसकी एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यदि बीजेपी चुनाव हारती है, तो निवेशकों का विश्वास घट सकता है और विदेशी निवेशक अपने पैसे निकाल सकते हैं, जिससे सेंसेक्स में गिरावट आ सकती है। इसका मतलब है कि बाजार 2014 के पूर्व स्तरों पर वापस आ सकता है, जो 20,000 से 25,000 अंकों के बीच था।

साफ है की राजनेतिक स्थिरता और निवेशकों का विश्वास भारतीय शेयर बाजार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। किसी भी प्रमुख राजनीतिक परिवर्तन का सीधा असर सेंसेक्स और बाजार की समग्र स्थिति पर पड़ सकता है। आने वाले चुनावों का परिणाम और उसके बाद की सरकार की नीतियाँ निश्चित रूप से बाजार की दिशा निर्धारित करेंगी। अगर इंडिया गठबंधन और कांग्रेस की सरकार बनती है तो भी निवेशक उसमे एक मजबूत और स्थिर सरकार चाहेंगे।

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शेयर मार्केट में सिर्फ निवेशकों और विदेशी कंपनियों का ही नहीं बल्कि पेंशन, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियों आदि का भी पैसा लगा होता है।

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